कानून का बन रहा मखौल:आखिर सूचना देने से क्यों कतरा रहे है अधिकारी - Khulasa Online कानून का बन रहा मखौल:आखिर सूचना देने से क्यों कतरा रहे है अधिकारी - Khulasa Online

कानून का बन रहा मखौल:आखिर सूचना देने से क्यों कतरा रहे है अधिकारी

खुलासा न्यूज,बीकानेर। राज्य व केन्द्र सरकार के कार्यों में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से 2005 में सूचना के अधिकार कानून पारित किया गया। ताकि आमजन इस कानून के जरिये सरकार के कार्यों व विभाग में हो रहे कामकाज की गुणवता की जानकारी हासिल कर सके। लेकिन समय के बदलाव के साथ इस कानून को लेकर अब विभाग के अधिकारी व कार्मिक गंभीर नहीं है। महज कागजी कार्यवाही करने के लिये औपचारिता पूरी करने तक ही यह कानून रह गया है। ऐसे कई मामले प्रकाश में आये है,जिसमें विभागों की ओर से या तो गोलमोल जानकारियां प्रस्तुत की जाती है,या नियमों का हवाला देकर जानकारी देने से बचा जा रहा है। एक ऐसा ही मामला जलग्रहण विकास एवं भू संरक्षण लूणकरणसर का है। जहां आवेदक की ओर से मांगी गई सूचना को देने के लिये विभागीय अधिकारी व कार्मिक टालमटोल कर रहे है। बंगलानगर निवासी पूनमचंद पुरोहित ने 30 जून 20 को जलग्रहण विकास एवं भू संरक्षण लूणकरणसर के अधिशाषी अभियंता के नाम से सूचना के अधिकार के तहत आवेदन कर 2010-11 से 2016-17 तक ग्राम पंचायत राजासर भाटियान के जलग्रहण कमेटी के बारे में सूचना मांगी। जिसके प्रति उत्तर में जलग्रहण विकास एवं भू संरक्षण लूणकरणसर अधिशाषी अभियंता के पत्रक्रमांक 220 13 जुलाई 20 के द्वारा अध्यक्ष-सचिव जलग्रहण उप समिति राजासर भाटियान को निर्देशित करते हुए शुल्क जमा करवाने के लिये कहा। जिसके बाद आवेदक ने 4000 हजार प्रतियों के 8000 हजार रूपये जमा भी करवाएं दिये गये। मजे की बात तो यह है कि तय समय सीमा के उपरान्त भी कार्यालय स्टाफ द्वारा पूनमचंद को मांगी गई सूचना उपलब्ध करवाने की बजाय दूसरी सूचना दी गई और उसमें भी एक एक पृष्ठ के दस दस पन्ने देकर आवेदक को आर्थिक मार दी। पूनम चंद ने बताया कि उन्होनें 2010-11 से 2016-17 तक ग्राम पंचायत राजासर भाटियान के जलग्रहण कमेटी के बारे में सूचना मांगी थी। जबकि उन्हें इस समय की सूचना की बजाय 2005 से लेकर 2010 तक की सूचनाएं अनावश्यक ही थमा दी गई।
ये मांगी सूचना
पुरोहित ने जलग्रहण विकास एवं भू संरक्षण लूणकरणसर के राजासर भाटियान से जलकुंड,मेडबंदी,पशुसेड के सम्पूर्ण कार्यों की पत्रावलियां मांगी थी। जिसकी निर्धारित शुल्क भी जमा करवा दी। लेकिन विभागीय लापरवाही या नियतन मांगी गई सूचनाएं देनी की बजाय अनावश्यक सूचनाएं उपलब्ध करवाकर इस कानून का मखौल बनाया जा रहा है। पुरोहित का आरोप है कि इसको लेकर अनेक बार पंचायत समिति बीकानेर के आलाधिकारियों को भी अवगत करवाया जा चुका है। लेकिन जानबुझकर मांगी गई सूचनाओं को नहीं दिया जा रहा है। जो इस बात को इंगित करता है कि कही न कही इन कार्यों में भ्रष्टाचार किया गया है।

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