डॉक्टर रह चुके IPS ने कानपुर में कोविड अस्पताल खोला, IAS बहन राजस्थान में संक्रमितों का इलाज कर रहीं - Khulasa Online डॉक्टर रह चुके IPS ने कानपुर में कोविड अस्पताल खोला, IAS बहन राजस्थान में संक्रमितों का इलाज कर रहीं - Khulasa Online

डॉक्टर रह चुके IPS ने कानपुर में कोविड अस्पताल खोला, IAS बहन राजस्थान में संक्रमितों का इलाज कर रहीं

कोरोना काल में भ्रष्ट अफसरों की करतूतों की खबरों के बीच कानपुर के आईपीएस भाई और राजस्थान की आईएएस बहन की यह कहानी सुकून देने वाली है। आईपीएस अनिल कुमार कानपुर में एडीसीपी ट्रैफिक हैं, उन्होंने दूसरी लहर आते ही कानपुर में कोविड अस्पताल शुरू कर दिया। अनिल के अनुभव को देखते हुए पुलिस कमिश्नर असीम अरुण ने उन्हें कोरोना सेल का प्रभारी भी बनाया है।

अनिल की बहन डॉ. मंजू आईएएस हैं। अभी राजस्थान के उदयपुर में डिस्ट्रिक्ट डेवलपमेंट ऑफिसर हैं। वो कोरोना मरीजों का इलाज कर रही हैं। दोनों भाई-बहन सिविल सेवा में आने से पहले एमबीबीएस की पढ़ाई कर चुके हैं।

अनिल बोले- वर्दी के साथ अब डॉक्टरी का फर्ज निभाने का मौका मिला

अनिल कुमार ने जोधपुर के एसएन मेडिकल कॉलेज एमबीबीएस करने के बाद कुछ दिनों तक दिल्ली के गुरु तेगबहादुर अस्पताल में प्रैक्टिस भी की है। वह राजस्थान में झुंझनू जिले के अलसीसर के रहने वाले हैं। अनिल ने दूसरी लहर आते ही कानपुर पुलिस लाइन में 16 बेड का एक एल-1 श्रेणी का हॉस्पिटल शुरू कर दिया। ओपीडी में रोजाना बैठ रहे हैं। कहते हैं- एडीजे की पत्नी को कहीं इलाज नहीं मिला तो अपने अस्पताल में भर्ती करके ठीक कर दिया। अब तक 18 मरीजों को ठीक किया है। ओपीडी में 385 से ज्यादा संक्रमितों को इलाज दिया है। ज्यादातर पुलिसकर्मी और उनका परिवार शामिल हैं।

अनिल बताते हैं- यूपीएससी की सिविल सर्विसेज परीक्षा के इंटरव्यू में पहला सवाल यही किया गया था कि डॉक्टर होने के बावजूद सिविल सर्विसेज में क्यों जाना चाहते हैं? शायद सटीक जवाब अब मिला है। लोगों ने ताने दिए थे कि एक डिग्री और समय बर्बाद हो गया, लेकिन शिक्षा कभी भी व्यर्थ नहीं जाती। आज मुझे इस विषम परिस्थिति में वर्दी के साथ ही एक डॉक्टर का फर्ज निभाने का मौका मिला है।

बहन मंजू रोज बचा रहीं 100 मरीजों के लिए ऑक्सीजन

डॉ. मंजू ने भी एमबीबीएस करने के बाद सिविल सेवा परीक्षा पास की। अभी राजस्थान कैडर की आईएएस अफसर हैं। उदयपुर में डिस्ट्रिक्ट डेवलपमेंट अफसर डॉ. मंजू ऑक्सीजन ऑडिट टीम की प्रभारी हैं।

उन्होंने बताया- ऑक्सीजन कि किल्लत आई तो वेंटिलेटर से लेकर एक-एक बेड पर ऑक्सीजन खपत का एनालिसिस किया। पता चला कि भारी मात्रा में ऑक्सीजन मरीज के खाने, शौचालय जाने के दौरान बर्बाद हो रही थी। इस पर कंट्रोल किया। अब करीब 100 अतिरिक्त मरीजों को ऑक्सीजन दे पा रहे हैं। जिले के एक सरकारी और चार निजी मेडिकल कॉलेज में कोविड पेशेंट की देखरेख कर रही हूं। इसके साथ ही 20 निजी मेडिकल कॉलेज के मरीज और ऑक्सीजन खपत की निगरानी का जिम्मा भी है।

error: Content is protected !!
Join Whatsapp 26