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राजनीतिक नियुक्तियां पर विवाद 13 हारे नेताओं को भी सरकार में मिली भागीदारी

जयपुर । सरकार बनने के तीन साल बाद बोर्ड, आयोग व निगमों में कांग्रेस ने 58 में से 13 उन नेताओं को राजनीतिक नियुक्ति दी हैं जो विधानसभा या लोकसभा का चुनाव हार चुके हैं। इनमें वे नेता भी शामिल हैं जिनको पिछले चुनावों में टिकट नहीं दिया गया था और अब पार्टी ने सरकार में किसी न किसी रूप में उन्हें शामिल किया है। यहां तक कि एक पार्षद का चुनाव हारी प्रत्याशी को भी नियुक्त दी गई हैं।
उधर, एक-एक कर नियुक्तियों को लेकर विरोध या विवाद सामने आना शुरू हो गए हैं। कुछ नियुक्तियों को लेकर विवाद या विरोध के अलावा कार्यकर्ता इस बात से भी खफा हैं कि पार्टी जिन्हें पहले ही टिकट देकर मौका दे चुकी है, उन्हें फिर से मौका क्यों दिया गया है। पहले से चुनाव जीतकर विधायक बन चुके हैं, ऐसे 11 नेताओं को भी पार्टी ने फिर नई जिम्मेदारी दे दी है। इसके कारण सालों से इंतजार कर रहे बहुत से नेता व कार्यकर्ताओं की नाराजगी उजागर होने लगी है।
लोकसभा और विधानसभा चुनाव में हारे, मगर पार्टी नहीं भूली
इसमें बीसूका उपाध्यक्ष डा. चंद्रभान, स्टेट एग्रो इंडस्ट्रीज डवलपमेंट बोर्ड के अध्यक्ष रामेश्वर डूडी, खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष ब्रजकिशोर शर्मा, मेवात विकास बोर्ड अध्यक्ष जुबेर खान, स्टेट सीड्स कॉरपोरेशन अध्यक्ष धीरज गुर्जर, वरिष्ठ नागरिक कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष गोपाल सिंह शेखावत, सैनिक कल्याण सलाहकार समिति अध्यक्ष मानवेंद्र सिंह जसोल, मगरा क्षेत्रीय विकास मंडल अध्यक्ष लक्ष्मण सिंह रावत, धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह जाड़ावत, लघु उद्योग विकास निगम अध्यक्ष राजीव अरोड़ा, विमुक्त घुमंतु एवं अद्र्ध घुमंतु कल्याण बोर्ड अध्यक्ष उर्मिला योगी, डॉ. भीमराव अंबेडकर फाउंडेशन के अध्यक्ष मदनगोपाल मेघवाल और मारवाड़ क्षेत्रीय जनजाति विकास बोर्ड उपाध्यक्ष कीर्ति सिंह भील शामिल हैं।
विशेष योग्यजन आयोग आयुक्त का मामला राजभवन पहुंचा
विशेष योग्यजन आयोग के आयुक्त की नियुक्ति संवैधानिक नियुक्ति है। भाजपा नेता व पूर्व मंत्री डॉ. अरुण चतुर्वेदी ने उमाशंकर शर्मा की नियुक्ति पर आपत्ति जताई है। चतुर्वेदी ने राज्यपाल को पत्र लिखकर कहा है कि यह नियुक्ति दिव्यांग अधिकार अधिनियम 2016 व विशेष योग्यजन अधिकार नियम 2018 के तहत की जाती है।
राज्य आयुक्त के पद पर उसी व्यक्ति को नियुक्त किया जा सकता है, जिसे कम से कम 10 साल का समाज सेवा का प्रमाणिक अनुभव हो। इसमें से अंतिम तीन साल का विशेष योग्यजन सबलीकरण के क्षेत्र में कार्य करना जरूरी है। आरोप है कि उमाशंकर शर्मा को ऐसा कोई अनुभव नहीं है। शिल्प एवं माटी कला बोर्ड उपाध्यक्ष डूंगरराम गैदर की नियुक्ति का विरोध भी पार्टी कार्यकर्ता कर रहे हैं।

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