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यह जंग जीतेंगे हम : हारना ही पड़ेगा कोरोना को, हर नागरिक है कोरोना वॉरियर

– लेखक : राम.एन. बिश्नोई, शिक्षाविद्

नोवेल कॉरोना वायरस की घातकता और संक्रमण की तीव्रता का अंदाज़ा सिर्फ इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि 1 दिसंबर 2019को मध्य चीन के वुहान शहर में प्रथम मामला प्रकाश में आने से लेकर 11 अप्रैल तक 133 दिनों की छोटी सी अवधि में इसने समस्त विश्व के 210 देशों व क्षेत्रों के सोलह लाख दस हजार से अधिक लोगों (विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार)को अपनी चपेट में ले लिया है जिनमें से लगभग एक लाख लोगों की तो मृत्यु हो चुकी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इसको वैश्विक महामारी घोषित करने से लेकर भारत में 30 जनवरी को पहला केस आने के बाद अब तक8000से अधिक (स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार )लोगों में संक्रमण तथा273 लोगों की मौत इसकी भयावहता के ही परिचायक हैं। पिछले केवल 40 दिनों में केवल राजस्थान में संक्रमितों की संख्या 700 होना और बीकानेर में 36 मामले मिलना ख़तरे की घंटी ही है।
इस वायरस के संक्रमण का दूसरा स्याह पक्ष यह है कि इसके सामान्य संक्रमण की स्थिति में इसके लक्षण प्रकट हो भी सकते और नहीं भी, हालांकि इसके लक्षणों में बुखार, खांसी, दस्त और सांस की तकलीफ़ एवं गंभीर स्थिति में निमोनिया, गुर्दे की विफलता और मौत तक ले जाने वाले इस संक्रमण के लिए कोई विशिष्ट उपचार भी उपलब्ध नहीं है।  इससे से चिंताजनक पहलू यह है कि यह वायरस एक संक्रमण चेन बनाता है जिससे कि एक संक्रमित व्यक्ति से यह उसके सम्पर्क में आने वाले सैकड़ों, हजारों और आगे से आगे लाखों व्यक्तियों में फैलता जाता है।आज सम्पूर्ण विश्व के सामने यह महामारी अपना मुंह खोले खड़ी है जिसमें रोज़ हज़ारों नागरिक काल का ग्रास बनते जा रहे हैं। विश्व के विकसित देश जो आर्थिक विकास के दम पर विश्व विजेता होने का भ्रम पाले हुए थे वो इस महामारी के सामने घुटने टेक रहें हैं। अमेरिका और यूरोपीय देश इसका ताज़ा उदाहरण है। जिन देशों(इटली, ब्रिटेन, जापान आदि) की स्वास्थ्य सेवाएं सम्पूर्ण विश्व में अव्वल रही हैं, आज वो भी इस महामारी के सामने बेबस है और उनकी स्वास्थ्य सेवाएं ध्वस्त हो चुकी हैं।आज भारत से अधिक विकसित और मानव विकास में सशक्त देश जिनकी जनसंख्या बहुत ही कम है जैसे सयुंक्त राज्य अमेरिका, स्पेन, इटली,फ्रांस, जर्मनी, यूनाइटेड किंगडम, ईरान, टर्की, बेल्जियम, नीदरलैंड, स्विट्जरलैंड, कनाडा, ब्राज़ील, पुर्तगाल, रशिया, ऑस्ट्रिया, इज़रायल, साउथ कोरिया, स्वीडन, आइसलैंड आदि इस महामारी के सामने निढाल साबित हो रहे हैं तो अगर समय रहते इस महामारी के संक्रमण की चेन और तीव्रता को नहीं तोड़ पाए तो भारत जैसे विकासशील देश और 130 करोड़ की आबादी हो, का क्या हस्र होगा इसकी कल्पना करना भी मुश्किल है। देश को भयंकर त्रासदी और महामारी के खौफ़नाक मंज़र में जाने से बचाने के लिए हमें उन देशों से हुई चूक से सीखना होगा। हमें इसकी संक्रमण चेन को तोड़ने के लिए हर संभव प्रयास करने होंगे।हां यह सच है कि यह समय सम्पूर्ण मानव जाति के लिए बहुत ही चुनौतीपूर्ण है, हमें इसका सफलतापूर्वक सामना करने के लिए हर स्तर पर एक योद्धा की तरह लड़ना होगा। व्यक्तिगत स्तर पर हमें इस महामारी का सामना करने हेतु निजी साफ़ सफ़ाई (पर्सनल हाइजीन) का विशेष ध्यान रखते हुए अल्कोहल आधारित द्रव्यों या साबुन पानी से लगातार हाथ धोएं, अपनी आंखों, मुंह या नाक को स्पर्श ना करें छींक या खांसी करते समय कम से कम3 फीट की दूरी बनाए रखें, उचित सोशल डिस्टेंस बनाए रखें।अपनी जान जोखिम में डालकर नागरिक सुरक्षा और जन स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने वाले पुलिस प्रशासन, चिकित्साकर्मी, सफ़ाई कर्मी, भामाशाहों और मीडियाकर्मियों का सम्मान और सहयोग करके और सरकार, प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा समय समय पर जारी आदेशों और निर्देशों का निष्ठापूर्वक पालन करना होगा जो कि हर एक नागरिक की तरफ से उसके स्वयं के, उसके परिवार, समाज, देश और सबसे बड़ी बात मानवता की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा योगदान होगा।

उम्मीद है हम सब लॉक डाउन के नियमों और सरकारी और प्रशासनिक आदेशों निर्देशों का पालन करते हुए पर्सनल हाइजीन और सोशल डिस्टेंस का ध्यान रखते हुए होम आइसोलेट होकर इस महामारी को हरा देंगे

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