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आज वर्ल्ड वॉटर डे: परंपरागत जल स्त्रोत होने लगे विलुप्त, जमीन में पानी का घट रहा स्तर, 2030 तक आ सकता है गंभीर जल संकट

बीकानेर. हर साल 22 मार्च को वर्ल्ड वॉटर डे यानी विश्व जल दिवस मनाया जाता है। इसे सबसे पहले साल 1993 में मनाया गया था। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के मुताबिक दुनिया में आज भी 220 करोड़ लोगों के पास पीने का साफ पानी उपलब्ध नहीं है। ऐसे में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता लाना बेहद जरूरी है। बीकानेर की मानें तो ऐसे कई परंपरागत जलस्त्रोत है जो आज विलुप्त होने की कगार पर है। जलसंरक्षण के लिए जोहड़-पायतन, नाड़ी, तालाब, झीलें, कुएं, बावड़ी, झालरा आदि बनाए गए थे, लेकिन इनमें ज्यादातर अब विलुप्त होने की कगार पर है तो कई अतिक्रमण व खनन की भेंट चढ़ चुके है। इन परंपरागत जलस्त्रोतों की सारसंभाल नहीं होने से वे अब अपना अस्तित्व खोते जा रहे है। पिछले कई दशकों में लोग इन जलस्त्रोतों की सहारे ही अपना जीवनयापन करते थे, लेकिन नई-नई तकनीक व सुविधाएं तथा नहर आने से लोग इन जलस्त्रोतों का महत्व नहीं समझते है ऐसे में कई जलस्त्रोत तो सूखकर अपना वैभव भी खो दिया है। जानकारों के मुताबिक इतिहास इस बात का गवाह है कि जलसंसाधनों का विनाश करने वाली मानव सभ्याताएं भी नष्ट हो जाती है। अगर समय रहते इन जलसंसाधनों व जलस्त्रोतों की सारसंभाल व संरक्षित नहीं किया गया तो बीकानेर में भी जलसंकट की समस्याएं उत्पन्न हो सकती है इसलिए इन जलस्त्रोतों को समय रहते संरक्षित करने की महत्ती आवश्यकता है। बीकानेर में हर्षोलाव तालाब, संसोलाव तालाब, जस्सोलाई क्षेत्र सहित कई तालाब, बावड़ी व कुएं जो आज सूख गए है और विलुप्त होने की कगार पर है। सरकार भी इन कुओं, तालाबों व बावड़ियों को संरक्षित करने के लिए नई योजना लाने की आवश्यकता है। जिससे शहरवासियों को पानी की भरपूर पानी मिल सकें। जिले में कई जगह तो जमीन में पानी स्तर लगातार नीचे जाता जा रहा है जो काफी चिंता का विषय है।

भारत की बात करें तो पूरे विश्व में पानी कंज्यूम करने के मामले में इसका नंबर टॉप 10 देशों में आता है। हालांकि देश में दुनिया के 4 प्रतिशत फ्रे श वॉटर सोर्स ही मौजूद हैं।

इस साल की थीम भूजल को समर्पित
भूजल ग्राउंड वॉटर के सोर्स अदृश्य होते हैं। हम उन्हें देख नहीं सकते, लेकिन वो हमारी जिंदगी का एक बहुत अहम हिस्सा हैं। दुनिया को इस बात का एहसास दिलाने के लिए इस साल वर्ल्ड वॉटर डे की थीम भूजल: अदृश्य को दृश्य बनाना रखी गई है।

भारत में कितना पानी
भारत में 33 लाख वर्ग किलोमीटर के एरिया में इस्तेमाल में आने वाला पानी मौजूद है। हमारे देश में दुनिया की 16 प्रतिशत आबादी रहती है, इसलिए इस हिसाब से पानी की मात्रा बहुत कम है। सेंट्रल ग्राउंड वॉटर बोर्ड की 2017 की रिपोर्ट के मुताबिक 700 में से 256 जिलों में भूजल का स्टेटस नाजुक या ज्यादा शोषित है।

देश में 2030 तक पैदा होगा जल संकट
यूएन का अनुमान है कि भारत के 4 बड़े शहर दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई में 2030 तक गंभीर जल संकट पैदा हो जाएगा। यह संकट दक्षिण अफ्रीका के केप टाउन की तरह हो सकता है। वहां कुछ समय पहले लोगों को पीने के लिए तक पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा था। केप टाउन में कुछ इलाकों की स्थिति अब भी जस की तस है।

भारतीय पानी कंज्यूम करने के मामले में आगे
भारत सरकार ने शहरों में 135 लीटर पानी प्रति व्यक्ति प्रति दिन निर्धारित किया है। वहीं ग्रामीण इलाकों के लिए जल जीवन मिशन के अंतर्गत 55 लीटर पानी प्रति व्यक्ति प्रति दिन निर्धारित किया गया है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो प्रति व्यक्ति हर दिन 25 लीटर पानी ही काफी है। मगर डीएनए की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में 272 लीटर पानी प्रति व्यक्ति प्रति दिन की खपत होती है, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है।

इन 5 तरीकों से पानी बचाएं​​​​​​​
-रोजमर्रा के कामों में कम से कम पानी का उपयोग करने की कोशिश करें। ब्रश करते या नहाते समय पानी को व्यर्थ न होने दें।
– घर में ढीले नल हैं तो उनकी तुरंत मरम्मत कराएं।
– ज्यादा से ज्यादा पेड़.पौधे लगाएं। इससे भूजल के स्तर को बचाया जा सकता है।
– बारिश के मौसम में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग अपनाएं। यह पानी जमा करने की तकनीक है।
– पानी को रिसाइकिल करने के तरीके अपनाएं।

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