राजस्थानी भाषा का भविष्य उज्ज्वल, धन के अभाव में पढ़ाई बाधित नही होगी: गोयनका - Khulasa Online राजस्थानी भाषा का भविष्य उज्ज्वल, धन के अभाव में पढ़ाई बाधित नही होगी: गोयनका - Khulasa Online

राजस्थानी भाषा का भविष्य उज्ज्वल, धन के अभाव में पढ़ाई बाधित नही होगी: गोयनका

बीकानेर। राजस्थान की संस्कृति,तीज,त्योहार ओर राजस्थानी भाषा हर राजस्थानी के लिए आत्मगौरव का विषय है और इसके लिए हर राजस्थानी को अपने आप मे गौरवान्वित महसूस करना चाईये कि हम इतनी संमद्र्ध संस्कृति में जी रहे है तथा राजस्थानी भाषा बोल रहे है, पढ़ रहे है।
राजस्थानी भाषा के विद्यार्थियों का भविष्य उज्ज्वल है और इसके अध्ययन हेतु धन की किसी भी प्रकार की कमी नही आने दी जाएगी यह उदगार व्यक्त करते हुए कोलकाता के सफल व्यवसायी श्री गौयनका के प्रतिनिधि के रूप में राजीव हर्ष ने राजस्थानी मोटयार परिसद के द्वारा रखे गए सम्मान समारोह में परिषद के पदाधिकारियों के समक्ष बताई।
उन्होंने कहा कि हमारे गौरवशाली इतिहास,संस्कृति को आज की युवा पीढ़ी राजस्थानी विषय से ही जान सकती है और राजस्थान सरकार और भारत सरकार से भी समय- समय पर हुई वार्ता अनुसार राजस्थानी विषय को उचित सम्मान मिलने वाला है।
विदित है कि महाराज गंगासिंह विश्विद्यालय में राजस्थानी विषय के विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करने हेतु समय -समय पर भामाशाओ द्वारा छात्रवर्ती प्रदान की जाती रही है इसी कड़ी में इस वर्ष राजस्थानी विषय मे स्नातकोत्तर में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों को 5000 रु की राशि भी प्राप्त हो चुकी है और इस बार यह राशि कोलकाता के प्रसिद्ध व्यवसायी प्रह्लाद राय गौयनका ने उपलब्ध करवाई है
प्रह्लाद राय गौयनका एवं अन्य व्यवसायियों से भाषा हेतु निरन्तर संवाद करने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले राजीव हर्ष का कल राजस्थानी मोट्यार परिसद द्वारा भव्य सम्मान किया गया।
सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ गौरीशंकर प्रजापत ने कहा कि अन्य विषयों के मुकाबले राजस्थानी विषय के विद्यार्थी बड़े चाव से राजस्थानी विषय का चयन करते है तथा अच्छे प्रतिशत भी बनाते है, हर प्रकार की प्रतियोगिता परीक्षा में राजस्थानी विषय का लाभ मिलता है।
आयोजन का मंच संचालन करते हुए प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ नमामीशंकर ने कहा कि उम्मीद है अब महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय में शीघ्र ही राजस्थानी विभाग स्थायी हो जाये जिससे यंहा के विद्यार्थी यही पर स्नातकोत्तर के बाद पीएचडी कर सके।
आयोजन समारोह को संबोधित करते हुए राजस्थानी मोट्यार परिसद के बीकानेर संभाग अध्यक्ष डॉ हरिराम बिश्नोई ने बताया कि सरकारी गतिविधियों के अनुसार राजस्थानी को राजभाषा ओर केंद्र द्वारा संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मुहिम में सकारात्मक परिणाम शीघ्र ही देखने को मिल सकते है।
सरस्वती काव्य कला संस्थान के अध्यक्ष श्री अरविंद उभा ने बताया कि राजस्थानी भाषा हेतु हमारी संस्था दिनरात कार्य करती है तथा किसी भी समय किसी भी प्रकार की सहायता के लिए हम तत्पर है।
राजस्थानी मोट्यार परिसद के बीकानेर कोषाध्यक्ष राजेश चौधरी ने बताया कि राजस्थानी भाषा के विद्यार्थियों हेतु हर प्रकार की सहायता अध्ययन से सम्बंधित परिसद द्वारा की जाती रही है तथा आगे भी की जाती रहेगी।
परिसद के शोधार्थी प्रशांत जैन ने कहा कि राजस्थानी विषय मे शोध कार्य करना अपने आप मे ज्ञान संवर्धन करना है तथा इससे प्रतियोगिता परीक्षा में काफी सहायता मिलती है।
परिसद के ही पदाधिकारी सरजीत सिंह, रामावतार उपाध्याय,भरत दान चारण आदि ने एक स्वर में भाषा हेतु किये जाने वाले कार्यो के प्रति प्रत्येक राजस्थानी को जागरूक रह कर कंधे से कंधा मिलाने का आह्वान किया।
सम्मान समारोह में काफी सारे भाषाप्रेमी जिनमे धीरज पंचारिया,नीरज पंचारिया,रणजीत उपाध्याय के साथ साथ विशाल कांटिया,महेंद्र,सुनील बिश्नोई, पुखराज, आदि उपस्तिथ रहे।

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