नरेंद्र गिरि के सुसाइड नोट पर सस्पेंस बढ़ा:शिष्य बलवीर बयान से पलटे, कहा- गुरुजी की राइटिंग नहीं पहचानता; एक दिन पहले की थी पुष्टि - Khulasa Online नरेंद्र गिरि के सुसाइड नोट पर सस्पेंस बढ़ा:शिष्य बलवीर बयान से पलटे, कहा- गुरुजी की राइटिंग नहीं पहचानता; एक दिन पहले की थी पुष्टि - Khulasa Online

नरेंद्र गिरि के सुसाइड नोट पर सस्पेंस बढ़ा:शिष्य बलवीर बयान से पलटे, कहा- गुरुजी की राइटिंग नहीं पहचानता; एक दिन पहले की थी पुष्टि

महंत नरेंद्र गिरि की मौत के मामले में उनके दूसरे शिष्य बलवीर गिरि भी सवालों के घेरे में आ गए हैं। बलवीर एक दिन पहले दिए अपने बयान से पलट गए हैं। नरेंद्र गिरि के सुसाइड नोट को देखकर बलवीर ने मंगलवार को कहा था कि ये गुरुजी की ही राइटिंग है और वे अगले महंत बनने के लिए तैयार हैं। 24 घंटे के अंदर ही बयान से पलटते हुए बलवीर ने अब कह रहे हैं कि वे गुरुजी की राइटिंग को नहीं पहचानते। वहीं महंत बनने के सवाल पर कहा कि इसका फैसला पंच परमेश्वर करेंगे।

बलवीर ने कल क्या-क्या कहा था?
बलवीर गिरि ने दावा किया था कि सुसाइड नोट में महंत नरेंद्र गिरि की ही राइटिंग है। मैंने जो राइटिंग देखी है, वे गुरुदेव नरेंद्र गिरि के हाथ के अक्षर हैं। गुरुदेव ने कभी उनसे कोई परेशानी साझा नहीं की। गुरु जहर पी जाता है, शिष्य का कर्म होता है कि उनके आचरण का अनुसरण करे। नई जिम्मेदारी के लिए मैं तैयार हूं।

कथित सुसाइड नोट में लिखा है- बलवीर बाघंबरी गद्दी के महंत बनेंगे
महंत नरेंद्र गिरी के शव के पास 11 पेज का सुसाइड नोट भी मिला था। इसमें लिखा था- ‘प्रिय बलवीर गिरि, ओम नमो नारायण। मैंने तुम्हारे नाम एक रजिस्टर वसीयत की है, जिसमें मेरे ब्रह्मलीन (मरने के बाद) हो जाने के बाद तुम बड़े हनुमान मंदिर एवं मठ बाघंबरी गद्दी के महंत बनोगे। तुमसे मेरा एक अनुरोध है कि मेरी सेवा में लगे विद्यार्थी जैसे मिथिलेश पांडे, राम कृष्ण पांडे, मनीष शुक्ला, विवेक कुमार मिश्रा, अभिषेक कुमार मिश्रा, उज्जवल द्विवेदी, प्रज्ज्वल द्विवेदी, अभय द्विवेदी, निर्भर द्विवेदी और सुमित तिवारी का ध्यान रखना। जिस तरह से मेरे समय में रह रहे थे, उसी तरह से तुम्हारे समय में रहेंगे।

बलवीर गिरि 2005 में संत बने थे
निरंजनी अखाड़े के महंत सचिव स्वामी रामरतन गिरि का कहना है कि बलवीर गिरि अच्छे संत हैं। वे अखाड़े में महत्वपूर्ण पद पर रहे हैं। वे उत्तराखंड के रहने वाले हैं और 2005 में संत बने थे। वे अभी निरंजनी अखाड़े के उप महंत हैं और हरिद्वार स्थित बिल्केश्वर महादेव मंदिर की व्यवस्थाएं देखते हैं।

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