बीकानेर: पिछले 10 सालों में बढ़ गए इतने लाख वाहन, नतीजा इस वजह से बढ़ गया ट्रैफिक का दबाव - Khulasa Online बीकानेर: पिछले 10 सालों में बढ़ गए इतने लाख वाहन, नतीजा इस वजह से बढ़ गया ट्रैफिक का दबाव - Khulasa Online

बीकानेर: पिछले 10 सालों में बढ़ गए इतने लाख वाहन, नतीजा इस वजह से बढ़ गया ट्रैफिक का दबाव

बीकानेर: पिछले 10 सालों में बढ़ गए इतने लाख वाहन, नतीजा इस वजह से बढ़ गया ट्रैफिक का दबाव

बीकानेर। 2014 से पहले बीकानेर जितना फैला था उसमें कोई खास बदलाव नहीं आया। शहर की बसावट में कोई अंतर नहीं आया। मास्टर प्लान बनाकर सड़कें चौड़ी की जानी चाहिए थीं पर नहीं की गईं। 10 सालों में शहर की सड़कों पर साढ़े तीन लाख वाहन बढ़ गए। इसी का नतीजा है कि शहर के गली-मोहल्लों में ट्रैफिक का दबाव बढ़ गया। कई मोहल्ले रात में पार्किंग स्थल का रूप ले लेते हैं। कोटगेट की सड़कें जैसी 20 से 30 साल पहले थीं आज भी उतनी ही चौड़ी हैं। यही हाल रानी बाजार का है। परकोटे की किसी सड़क की न तो लंबाई बढ़ी, न चौड़ाई। 2014 से पहले 1 लाख 31 हजार 76 वाहन परिवहन विभाग में रजिस्टर्ड थे। अब 4 लाख 85हजार 110 वाहन रजिस्टर्ड हैं। यानी 10 सालों में 3 लाख 54 हजार 34 वाहन बढ़ चुके हैं। रात के समय कई मोहल्ले और गलियों के हालात यूं होते जैसे कोई पार्किंग स्थल हो। ये हालात सिर्फ परकोटे के ही नहीं शहर के बाहरी क्षेत्रों के भी ऐसे ही हैं। पुरानी कॉलोनियों में लोगों ने चार पहिया वाहनों के अनुसार घर नहीं बनाए। संपन्नता आई तो चार पहिया वाहन आ गए। सभी स्ट्रीट पार्किंग में ही वाहन खड़े होते हैं। ये हालात शहर की किसी भी सड़क पर जाएं चारों तरह वाहनों की कतार मिलेगी। सड़क पर लोड बढ़ता है तो उसकी चौड़ाई बढ़ाई जाती है। सर्वे कर बीकानेर की सड़कों की चौड़ाई बढ़ाने की जरूरत है। पुराने शहर में तो प्राइवेट पार्किंग एक बिजनेस बन गया है। शहर में सड़कें भी संकरी हैं इसलिए कुछ लोगों ने निजी जमीन पर वाहन खड़े करने का किराया लेकर इसे नया बिजनेस बना लिया है। लोगों को कार खड़ी करने के लिए सिर्फ जगह के 1500 रुपए महीने तक देने पड़ रहे हैं। अगर सड़कों की चौड़ाई बढ़ती है तो इससे राहत मिलेगी। बीकानेर शहर के एक लाख हेक्टेयर एरिया में आगामी 20 साल का नया मास्टर प्लान तैयार है। इसमें 63 गांव-चक शामिल कर सुनियोजित विकास की रूपरेखा बनी है। 2003 में 20 साल का मास्टर प्लान बना था। उसकी मियाद खत्म हो गई। अब अगले 20 साल यानी वर्ष-2043 तक का मास्टर प्लान बना है। नए मास्टर प्लान के लिए यूआईटी और केन्द्र सरकार के उपक्रम वाप्कोस से एग्रीमेंट हुआ था। नए मास्टर प्लान में बढ़ती आबादी के अनुसार स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, प्ले ग्राउंड, सड़कों और औद्योगिक स्थान तय किए जाएंगे।

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