मीटिंग के बाद बोले रंधावा- पायलट को नोटिस नहीं दिया - Khulasa Online मीटिंग के बाद बोले रंधावा- पायलट को नोटिस नहीं दिया - Khulasa Online

मीटिंग के बाद बोले रंधावा- पायलट को नोटिस नहीं दिया

खुलासा न्यूज। बीजेपी राज के करप्शन के खिलाफ एक्शन नहीं होने से नाराज सचिन पायलट के अनशन को लेकर कांग्रेस की अंदरूनी सियासत तेज हो गई है। इस प्रकरण में दिल्ली में आज बैठकों का दौर जारी है। कांग्रेस प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और प्रभारी महासचिव के सी वेणुगोपाल ने राहुल गांधी को पूरे मामले में फीडबैक दिया है। दोनों नेताओं ने राहुल गांधी से चर्चा की है। राहुल गांधी ने दोनों नेताओं को अपना व्यू बता दिया है। हालांकि राहुल ने पायलट को लेकर क्या कहा है, इसका ब्योरा नहीं मिल पाया है। राहुल गांधी से बैठक के बाद दोनों नेता कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ दो दौर की मीटिंग कर चुके हैं। खड़गे के घर से निकलते वक्त सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा कि अभी हमने पूरे मामले में रिपोर्ट सबमिट नहीं की है। हमने राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष से भी चर्चा की है। अभी इस मामले में सीनियर लीडर्स भी बात करेंगे। किसी भी मामले में फैसला करने में समय लगता ही है। हम सभी पहलू देख रहे हैं, जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं होता है।कांग्रेस में सचिन पायलट विरोधी चाहते हैं कि अनशन के मामले को पार्टी विरोधी गतिविधि मानकर उनके खिलाफ कार्रवाई हो। कांग्रेस प्रभाारी रंधावा ने 10 अप्रैल की रात को ही लिखित बयान जारी करके पायलट के अनशन को पार्टी विरोधी गतिवि​धि बताते हुए बातचीत के लिए कहा था।

पायलट का अनशन पार्टी विरोधी गतिविधि या नहीं, खड़गे तय करेंगे

सचिन पायलट के अनशन को कांग्रेस ने पहले ही पार्टी विरोधी बता दिया था। पार्टी विरोधी गतिविधि करने पर एक्शल लेने का काम पार्टी का है। पायलट का अनशन पार्टी विरोधी गतिविधि थी या नहीं, इस पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुुन खड़गे फैसला करेंगे। प्रदेश प्रभारी ने शुरुआती रिपोर्ट सौंप दी है। पायलट को नोटिस देना है या मामला पेंडिंग रखना है, इस पर खड़गे ही अंतिम फैसला करेंगे।

पायलट ने एआईसीसी से दूरी बनाई

सचिन पायलट अनशन खत्म करने के बाद से दिल्ली में हैं। पायलट ने एआईसीसी मुख्यालय से दूरी बना रखी है। अनशन के बाद से पायलट किसी बड़े कांग्रेस नेता से नहीं मिले हैं। पायलट के नजदीकी नेता सुलह चाहते थे, लेकिन अब समीकरण बदल गए हैं। समर्थक अब भी प्रेशर पॉलिटक्स के जरिए बात मनवाना चाहते हैं।

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