बीकानेर में राजपासा की कार्यवाही शून्य, 23 बदमाशों को जिलाबदर किया - Khulasa Online बीकानेर में राजपासा की कार्यवाही शून्य, 23 बदमाशों को जिलाबदर किया - Khulasa Online

बीकानेर में राजपासा की कार्यवाही शून्य, 23 बदमाशों को जिलाबदर किया

बीकानेर। सरकार ने भले ही 18 साल पहले राजपासा-एक्ट लागू कर दिया हो, लेकिन आदतन अपराधियों पर इसका कोई असर नहीं पड़ा। अपराधी बेखौफ समाज में खौफ पैदा कर रहे हैं। गौरतलब है कि सक्रिय अपराधी जो समाज में डर का माहौल बना रहे हो, उनके खिलाफ राजपासा की कार्रवाई कर सीधे छह माह से एक साल तक के लिए जेल में डाला जा सकता है। हैरत की बात है कि बीकानेर रेंज में पिछले 18 साल में एक भी अपराधी के खिलाफ राजपासा की कार्रवाई नहीं हुई है। गुंडा एक्ट में कार्रवाई जरूर हो रही है। वैसे बीकानेर रेंज में गुजरे सात साल में 23 बदमाशों को जिलाबदर करवाया जा चुका है।
इतनों के खिलाफ डेढ़ साल में इस्तगासे
पुलिस विभाग के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2022 में बीकानेर, श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ में एक भी सक्रिय बदमाश के खिलाफ राजपासा एक्ट में कार्रवाई करने के लिए एक भी इस्तगासा पेश नहीं किया गया, जबकि चूरू में तीन बदमाशों के खिलाफ इस्तगासे पेश किए गए। वहीं वर्ष 2023 में बीकानेर में दो, श्रीगंगानगर में एक, हनुमानगढ़ में चार, एवं चूरू में दो बदमाशों पर राजपासा-एक्ट में कार्रवाई करने के लिए पुलिस ने इस्तगासे जिला कलक्टर के समक्ष पेश किए हैं। यह इस्तगासे संबंधित जिलों के कलक्टर एवं कुछ गृह विभाग के पास विचाराधीन हैं।
क्या है राजपासा
लगातार सक्रिय अपराधी, जिनसे लोगों में भय पैदा हो रहा हो। पुलिस की निरोधात्मक कार्रवाई के बावजूद भी अपराध करता हो। पुलिस ऐसे व्यक्ति को राजस्थान समाज विरोध क्रियाकलाप अधिनियम 2006 की धारा 2 (ग) , 2(घ) के तहत 6 माह से एक साल तक जेल में बंद करवा सकती है। इसके लिए एसएचओ की रिपोर्ट पर पुलिस अधीक्षक कलक्टर के समक्ष इस्तगासा पेश करता है और कलेक्टर उसे निरुद्ध करने के आदेश देता है । इसके बाद सात दिन में गृह विभाग को रिपोर्ट भेजता है। दो जजों की कमेटी एसएचओ, एसपी, कलक्टर और अपराधी को बुलाकर उनका पक्ष सुनती है। उसके बाद निर्णय लेती है। कमेटी की सहमति मिलने पर अपराधी को एक साल तक के लिए जेल में रखा जा सकता है।
क्या है गुंडा एक्ट
किसी शख्स के खिलाफ छह माह में आईपीसी के तीन मुकदमें, तीन मामलों में सजा या जुर्माना हो, उसके खिलाफ गुंडा एक्ट की कार्रवाई की जाती है। एसएचओ की रिपोर्ट पर एसपी की ओर से कलक्टर को इस्तगासा पेश किया जाता है। कलक्टर ने शहरी क्षेत्र के लिए एडीएम सिटी और ग्रामीण क्षेत्र के लिए एडीएम प्रशासन को अधिकृत किया हुआ है। दोनों सुनवाई कर निर्णय लेते हैं। अपराधी को अधिकतम एक साल के लिए तड़ीपार कर सकते हैं। अपराधी को जिस जिले के थाना क्षेत्र में भेजा जाता है, वहां प्रतिदिन उपस्थिति देनी होती है।

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