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‘लाल डायरी’ पर कांग्रेस ढूंढ रही डैमेज कंट्रोल का रास्ता:हाईकमान भी टेंशन में

जयपुर। चार साल के गहलोत-पायलट विवाद को 20 दिन पहले दिल्ली में मैराथन बैठक के दौरान सुलझाने का दावा करने वाली कांग्रेस नए संकट में फंस गई है। गहलोत सरकार के बर्खास्त मंत्री राजेंद्र गुढा की ओर से उछाले गए 500 करोड़ रुपए के लेनदेन वाली ‘ लाल डायरी’ के प्रकरण ने कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। डायरी में छिपे राज बाहर लाने की मांग उठाकर बीजेपी दो दिन से लगातार राष्ट्रीय स्तर पर इसे हवा दे रही है, वहीं गुरुवार को सीकर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस पर कांग्रेस को घेर सकते हैं। चूंकि मोदी शेखावाटी में आ रहे हैं और गुढ़ा इसी क्षेत्र से आते हैं। ऐसे में कांग्रेस को डर है कि मोदी इसे बड़ा मुद्दा बनाएंगे, जो राजस्थान के साथ बाकी चार चुनावी राज्यों में भी अपना असर दिखा सकता है। एआईसीसी सूत्रों का कहना है कि गुढ़ा की मंत्री पद से बर्खास्तगी का फैसला लेने में जल्दबाजी हुई है। एआईसीसी नेताओं के एक वर्ग का मत है कि एक दिन पहले आनन-फानन में गुढ़ा को मंत्री पद से हटाकर दूसरे ही दिन विधानसभा से निलंबित करने से मामले ने ज्यादा तूल पकड़ा। चुनाव से पहले मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए गुढ़ा प्रकरण को प्रदेश स्तर पर बातचीत के जरिए निपटाया जा सकता था। इस नए घटनाक्रम के बाद भाजपा लगातार यह नरैटिव सेट करने में जुटी है कि गहलोत सरकार में भारी भ्रष्टाचार हुआ है। सूत्रों का कहना है कि 6 जुलाई को दिल्ली में हुई बैठक के बाद प्रदेश कांग्रेस के माहौल में जो बदलाव आया था, गुढ़ा प्रकरण ने उसे गहरी चोट पहुंचाई है। चूंकि गुढ़ा ने डायरी में आरसीए चुनाव के दौरान और गहलोत सरकार को संकट के समय बचाने में हुए लेनदेन संबंधी ब्योरा होने के आरोप लगाए हैं। जनता में उत्सुकता है कि डायरी में जिस लेनदेन की बात हो रही है, उसमें किन-किन नेताओं के नाम है? इस वजह से यह मुद्दा पब्लिक के बीच ज्यादा चर्चाओं में आ रहा है।

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