
अब कैलेंडर में होगी 30 फरवरी, नहीं होगा लीप वर्ष!






विदेश साल 2020 एक लीप वर्ष था। चार साल में आने वाला लीप वर्ष दरअसल पृथ्वी की परिक्रमा और हमारे कैलेंडर्स के बीच तालमेल न होने के कारण है। यूं तो पृथ्वी 365 दिनों में करीब 94 करोड़ किमी (584 मिलियन मील) का चक्कर लगाकर सूर्य की परिक्रमा पूरी करती है। लेकिन 365 दिनों के अलावा यह चक्कर पूरा करने में पृथ्वी को 5 घंटे, 45 मिनट और 46 सेकंड्स का अतिरिक्त समय लगता है। इसी अतिरिक्त समय को परिभाषित करने के लिए वैज्ञानिकों ने लीप दिवस को डिजायन किया था। लेकिन जल्द ही हमारे कैलेंडर से लीप वर्ष गायब हो सकता है। दरअसल, अमरीका की जॉन होपकिंस विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्री स्टीव एच. हैंके और खगोल विज्ञानी रिचर्ड कॉन हेनरी एक नया कैलेंडर विकसित कर रहे हैं। अगर दोनों अपने शोध में सफल होते हैं और इसे मान्यता मिलती है तो हो सकता है यह दिवस अतीत की बात हो जाए
जल्द ही कैलेंडर में होगी 30 फरवरी, नहीं होगा लीप वर्ष!
फरवरी में होंगे 30 दिन, अतिरिक्त सप्ताह भी उनका बनाया हैंक-हेनरी परमानेंट कैलेंडर में 364 दिन ही होंगे। यह एक सुसंगत (कनसिस्टेंट) कैलेंडर होगा जिसमें साल की शुरुआत हमेशा सोमवार से ही होगी। वहीं प्रत्येक व्यक्ति का जन्मदिन सप्ताह के एक ही दिन आया करेगा। जॉन होपकिंस विश्वविद्यालय में खगोल विज्ञानी और कैलेंडर बनाने वाले वैज्ञानिक रिचर्ड कॉन हेनरी का कहना है कि कैलेंडर हर साल एक समान होगा। इतनला ही नहीं फरवरी में हमेशा 30 दिन होंगे। इस कैलेंडर में जनवरी, अप्रेल, मई, जुलाई, अगस्त, अक्टूबर और नवंबर में भी 30 दिन होंगे। बाकी चार महीने 31 दिनों के होंगे। कैलेंडर में कोई लीप दिवस नहीं होगा। लेकिन प्रत्येक 5-6 वर्ष के बाद साल के आखिर में एक पूरा अतिरिक्त सप्ताह होगा। 100 अरब हुए थे खर्च वर्ष 2000 म ग्रेगोरियन कैलेंडर बनाने वाले खगोलविदों का मानना था कि हमें बहुत सटीक कैलेंडर की आवश्यकता नहीं है। कैलेंडर ऐसा हो जिससे जीवन व्यवस्थित रह सके। हैंके का अनुमान है कि उनके नए कैलेंडर को लागू करने का खर्चा साल वर्ष 2000 (ङ्घ2्य) से कम आएगा। 2000 में कंप्यूटरों व आंकड़ों से समायोजन पर अकेले अमरीका में ही 100 अरब रुपए खर्च हुए थे।


