1999 के बाद काटे गए भूखंड और पट्टों को कानूनी मान्यता नहीं - Khulasa Online 1999 के बाद काटे गए भूखंड और पट्टों को कानूनी मान्यता नहीं - Khulasa Online

1999 के बाद काटे गए भूखंड और पट्टों को कानूनी मान्यता नहीं

जयपुर। जयपुर विकास प्राधिकरण क्षेत्र के कृषि भूमि पर 17 जून, 1999 के बाद सृजित, विकसित हुई आवासीय कॉलोनियों या कृषि भूमि पर बनाये गए भूखंडों के नियमन, आवंटन के लिए गृह निर्माण सहकारी समितियों द्वारा जारी पट्टों को कोई कानूनी मान्यता नही है। नगरीय विकास, स्वायत्त शासन एवं आवासन मंत्री शान्ति धारीवाल ने बताया कि कृषि भूमि पर 17 जून, 1999 तक विकसित हुई आवासीय कॉलोनियों के नियमन के संबंध में गृह निर्माण सहकारी समितियों द्वारा जारी पट्टों को मान्यता दी गई है।
गृह निर्माण सहकारी समितियों से 17 जून, 1999 से पूर्व जारी पट्टों की सूची रिकॉर्ड जयपुर विकास प्राधिकरण द्वारा 31 दिसम्बर, 2001 तक जमा करा लिया गया था और जेडीए द्वारा ऐसे भूखण्ड धारी सदस्यों की सूची भी पुस्तिकाओं रूप में मुद्रित करा ली गई थी। गृह निर्माण सहकारी समितियों द्वारा जो भी रिकॉर्ड उस समय तक संधारित किया गया था। उसमें से यदि पट्टे अभी तक जारी नहीं किए गए हैं तो वह ही रिकॉर्ड मान्य होगा जो जेडीए द्वारा मुद्रित बुकलेट में शामिल हैं।
उसके बाद यदि किसी समिति द्वारा कोई रिकॉर्ड अब प्रस्तुत किया जाता है, तो वह विधि मान्य नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि गृह निर्माण सहकारी समितियों की केवल उसी सदस्यता सूची और पट्टों को मान्यता दी जावेगी, जो कि जेडीए में 31 दिसम्बर, 2001 तक प्रस्तुत किये जा चुके है तथा जिनका पुस्तिकाकरण हो चुका है।
यदि गृह निर्माण सहकारी समितियों द्वारा जेडीए में प्रस्तुत सूची के बाद भूखण्डधारियों द्वारा अपने भूखण्ड का बेचान किया गया है या विरासत के आधार पर नाम हस्तान्तरण हुआ है ऐसे मामलों में जेडीए द्वारा नाम हस्तान्तरण की मान्यता दी जायेगी।
बैकडेट के पट्टे होंगे अवैध
यदि कोई आवासीय कॉलोनी 17 जून, 1999 के बाद बिना अनुमति के विकसित हो गई है, तो ऐसी कॉलोनियों में गृह निर्माण सहकारी समितियों के रिकॉर्ड के आधार पर नियमन नहीं किया जाएगा, साथ ही उनके द्वारा जारी किए गये पट्टे जो 17 जून, 1999 के पूर्व के जारी किये दर्शाए गए हैं, उन्हें वास्तविकता में वर्तमान में बैक डेट में जारी किये गए माने जाकर विधि मान्य नहीं माने जाएंगें।
ऐसे भूखंडधारकों को कैसे मिलेंगे वैध पट्टे
1999 के बाद के भूखण्डधारियों ने यदि भूखंडों पर आवास या आंशिक निर्माण, चारदीवारी का निर्माण कर लिया है एवं उस पर भूखण्ड धारी का कब्जा है तो वे राजस्थान टाउनशिप पॉलिसी के तहत ले-आउट के साथ आवेदन कर सकते हैं। जेडीए द्वारा भूखंडों का सर्वे करवाकर सूचियां तैयार कर नियमन किए जा सकेंगे। भूखंडधारी को निर्माण संबंधी कोई एक सबूत दस्तावेज कब्जे की पुष्टि करने के रूप प्रस्तुत करना होगा। जिसमें बिजली/पानी/टेलिफोन बिल, पासपोर्ट, ड्राइंविंग लाइंसेन्स, सम्पति दस्तावेज आदि जमा करा सकते हैं।

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