राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन कार्यक्रम - Khulasa Online राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन कार्यक्रम - Khulasa Online

राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन कार्यक्रम

 

बीकानेर,। राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन कार्यक्रम के अंतर्गत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र देशनोक, कोलायत तहसील की पीएचसी दियातरा व श्रीडूंगरगढ़ तहसील की पीएचसी उदरासर एनक्यूएएस सर्टिफाइड अस्पताल बन गए हैं।  इसके लिए प्रत्येक पीएचसी-सीएचसी को 3 साल तक 3-3 लाख रुपए इंसेंटिव प्राप्त होगा। इसके अतिरिक्त सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र देशनोक के लेबर रूम ने राष्ट्रीय स्तर के प्रतिष्ठित लक्ष्य कार्यक्रम के अंतर्गत भी गुणवत्ता सर्टिफिकेट हासिल किया है। जिला कलेक्टर भगवती प्रसाद कलाल ने वर्ष की शुरूआत में ही 6 अस्पतालों को सर्टिफाई करवाने की उपलब्धि पर टीम बीकानेर को बधाई दी है। इससे पूर्व यूपीएचसी नंबर 7, पीएचसी काकड़ा व रीड़ी भी गत माह में राष्ट्रीय स्तर का गुणवत्ता प्रमाण पत्र प्राप्त कर चुके हैं। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ मोहम्मद अबरार पंवार ने बताया कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के संयुक्त सचिव विशाल चौहान द्वारा इस आशय का पत्र चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा सिंह को भेजकर बधाई प्रेषित की गई है। उन्होंने बताया कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र दियातरा को राज्य सरकार ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में क्रमोन्नत कर दिया है साथ ही माननीय ऊर्जा मंत्री श्री भंवर सिंह भाटी के प्रयासों से नवीन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भवन हेतु ₹ 5.35 करोड़ की स्वीकृति भी जारी हो चुकी है।गुणवत्ता आश्वासन कार्यक्रम के जिला नोडल अधिकारी एवं डिप्टी सीएमएचओ परिवार कल्याण डॉ योगेंद्र तनेजा ने बताया कि सीएचसी देशनोक ने राष्ट्रीय मूल्यांकन टीम द्वारा मूल्यांकन में 85.58 % अंक प्राप्त कर यह कीर्तिमान बनाया है। पीएचसी दियातरा ने 85.54 % तथा पीएचसी उदरासर ने 83.49 % अंक हासिल कर गुणवत्ता प्रमाण पत्र प्राप्त किया है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र देशनोक के लेबर रूम को 79 प्रतिशत अंकों के साथ लक्ष्य कार्यक्रम के अंतर्गत गुणवत्ता प्रमाण पत्र प्राप्त हुआ है।जिला गुणवत्ता टीम के सदस्य डॉ गजेंद्र सिंह तंवर ने बताया कि राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन कार्यक्रम के अंतर्गत प्रत्येक पीएचसी को 6 चेक लिस्ट अनुसार मानदंडों से गुजरना होता है और कम से कम 70% अंक प्राप्त करने होते हैं। प्रत्येक पीएचसी का स्वयं के स्तर, जिला, राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर मूल्यांकन करवाया जाता है।

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