कोरोना संकट: राजस्थान में लगाया जा सकता है 7 दिन का सख्त लॉकडाउन - Khulasa Online कोरोना संकट: राजस्थान में लगाया जा सकता है 7 दिन का सख्त लॉकडाउन - Khulasa Online

कोरोना संकट: राजस्थान में लगाया जा सकता है 7 दिन का सख्त लॉकडाउन

गहलोत कैबिनेट की बैठक आजः संपूर्ण लॉकडाउन पर हो सकती है चर्चा, राहुल गांधी के ट्वीट के बाद सरकार में मंथन जयपुर। कोरोना संकट और संसाधनों की कमी के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बुधवार शाम 5 बजे मंत्रिमंडल व मंत्रिपरिषद की बैठक करेंगे। कोरोना पॉजिटिव होने के कारण मुख्यमंत्री आइसोलेशन में रहते हुए ये बैठक वीसी के जरिए लेंगे। पहले मंत्रिमंडल के लोग वीसी के जरिए जुड़ेंगे। इसके बाद मंत्रिपरिषद के सभी सदस्य जुड़ जाएंगे।
सूत्रों ने बताया कि कोविड की पहली लहर की तरह मुख्यमंत्री सहित अन्य मंत्री-विधायकों, आइएएस-आइपीएस व आरएएस-आरपीएस अधिकारियों के वेतन का एक हिस्सा स्थगित रखने का फैसला किया जा सकता है। राज्य सरकार फिलहाल वेतन कटौती को लेकर नहीं सोच रही है। राज्य सरकार सात दिन का सख्त लॉकडाउन लागू करने का भी निर्णय कर सकती है। जन अनुशासन पखवाड़े में सख्ती नहीं होने पर मुख्यमंत्री कोविड समीक्षा बैठकों में कई बार नाराजगी जता चुके हैं। बैठक में मुख्यमंत्री कोरोना के गम्भीर संक्रमितों की बढ़ती संख्या को देखते हुए ऑक्सीजन, ऑक्सीजन टैंकर, आइसीयू, वेंटिलेटर, ऑक्सीजन बेड, दवाओं सहित विभिन्न संसाधनों की कमी दूर करने के उपायों पर भी चर्चा करेंगे।गौरतलब है कि कोरोना की पहली लहर के चलते सरकार ने पिछले वर्ष मार्च में वेतन स्थगित रखने और उसके बाद सितम्बर में वेतन कटौती के निर्णय किए थे। इसके तहत मार्च में मुख्यमंत्री सहित अन्य मंत्रियों एवं विधायकों का 75 प्रतिशत, आइएएस का 60, आरएएस एवं अधीनस्थ सेवा के अधिकारी-कर्मचारियों का 50, अन्य कार्मिकों एवं पेंशनर्स का 30 प्रतिशत हिस्सा स्थगित रखा गया था। सितम्बर में मुख्यमंत्री, मंत्री एवं राज्यमंत्री के प्रत्येक माह के सकल वेतन से 7 दिवस का वेतन प्रतिमाह, सभी विधायकों के एक दिवस का वेतन, अखिल भारतीय एवं राज्य सेवा के अधिकारियों का दो दिवस का तथा अधीनस्थ सेवा एवं अन्य राज्य कर्मचारियों के सकल वेतन में से एक दिवस का वेतन कटौती कर मुख्यमंत्री सहायता कोष (कोविड सहायता) में जमा कराने का निर्णय किया गया था। हालांकि नवम्बर 2020 को वेतन कटौती स्वैच्छिक कर दी गई थी। वेतन स्थगन एवं कटौती से चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं के सभी संवर्गों के अधिकारियों-कर्मचारियों, पुलिसकर्मियों, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों तथा संविदा एवं मानदेय पर कार्यरत कार्मिकों को मुक्त रखा गया था।

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