श्रीडूंगरगढ़ में कांग्रेस को नए चेहरे की तलाश, भादू मार सकते हैं बाजी! - Khulasa Online श्रीडूंगरगढ़ में कांग्रेस को नए चेहरे की तलाश, भादू मार सकते हैं बाजी! - Khulasa Online

श्रीडूंगरगढ़ में कांग्रेस को नए चेहरे की तलाश, भादू मार सकते हैं बाजी!

खुलासा न्यूज बीकानेर। विधानसभा चुनाव को जहां एक और नये-नये दावेदार निकलकर सामने आ रहे हैं तो वहीं दूसरी और पार्टी भी इन दावेदारों के दावे पर गुप्त तरीके से सर्वे करवा रही है। इस सर्वे में जिसके पक्ष में जनता का मत आएगा उसे विधानसभा चुनाव के लिए का टिकट मिलेगा। बीकानेर जिले में श्रीडूंगरगढ़ विधानसभा हॉट सीटों में से एक है, जहां फिलहाल कांग्रेस व बीजेपी के लिए जीताऊ प्रत्याशी ढूंढना कांटों भरा रास्ता बना हुआ है। इस बीच यहां से कांग्रेस के लिए नया चेहरा मूलाराम भादू उभरकर सामने आ रहे हैं, जो भले ही क्षेत्र की जनता के लिए नया चेहरा हो लेकिन इनसे उम्मीदें काफी है। बताया जाता है कि अगर पार्टी इनको टिकट दें तो कांग्रेस बाजी मार सकती है। भादू का मजबूत पक्ष का कारण एक यह भी बताया जा रहा है कि यहां से वर्षों से कांग्रेस में राजनीति करने वाले गोदारा परिवार की राजनीति से अब धीरे-धीरे डूंगरगढ़ की जनता का मोह खत्म होने लगा है। ऐसे में पार्टी इस बार कॉमरेड से सीट का गठबंधन की ओर भी जा सकती है। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस दावेदार मंगलाराम गोदारा सर्वे में सबसे कमजोर प्रत्याशी के रूप में सामने आए हैं। सात विधानसभाओं के अगर बात की जाए तो कांग्रेस प्रत्याशियों के रूप में गोदारा का ग्राफ सबसे नीचे है। ऐसे में अब यहां पर कांग्रेस को एक नए चेहरे की तलाश है जिसकी पहचान मूल कांग्रेस कार्यकर्ता के रूप में हो साथ वह संगठन में सक्रिय हो और गांव-गांव, ढाणी-ढाणी उसकी पकड़ हो। अब अगर नए चेहरों की बात की जाए तो यहां पर सिर्फ दो ही दावेदार नजर आते हैं, जिसमें हरिराम बाना और मुख्य रूप से मूलाराम भादू हैं। बताया जाता है कि कांग्रेस को अगर यहां पर सीट निकालनी है तो मूलाराम गोदारा जैसे प्रत्याशी को मैदान में उतारना होगा, वरना यहां कांग्रेस के लिए यहां से चुनाव जीतना मुश्किल हो सकता है। दूसरी यह भी बात है कि अगर यहां से कांग्रेस कॉमरेड से समझौता कर भी लेती है तो कांग्रेस को बड़ा नुकसान होगा, क्योंकि मूल कांग्रेस कभी भी यह नहीं चाहेंगे कि गिरधारी महिया कांग्रेस से चुनाव लड़े और अगर महिया चुनाव लड़ते हैं तो उनका भी चुनाव जीतना मुश्किल है। क्योंकि डूंगरगढ़ की जनता कभी भी डमी प्रत्याशी को स्वीकार नहीं करेगी। नये चेहरे मूलाराम भादू का पक्ष इसलिए मजबूत माना जा रहा है कि वे पिछले 10 साल से ज्यादा यहां राजनीति में सक्रिय हैं तथा गांव गांव ढाणी ढाणी सरकार की रीति नीति के बारे में बात करते आ रहे हैं और अनेक जन कल्याणकारी योजनाओं के बारे में ग्रामीणों को अवगत करवाकर उनको लाभ दिलवाया है।

गोदारा की राजनीति पारिवारिक, जन नेता नहीं

 

टिकट मांग रहे मंगलाराम गोदारा की राजनीति की बात करें तो उनके पास पारिवारिक राजनीति के अलावा ज्यादा कुछ भी नहीं है। हालांकि डूंगरगढ़ की राजनीति में मंगलाराम गोदारा एक बड़ा नाम है लेकिन उनको जनाधार कभी नहीं मिला। एक-दूसरे को हराने के चक्कर में उन्हें वोट मिले हैं, उन्हें वोट एक प्रत्याशी या एक विधायक के तौर पर कभी भी नहीं मिले। यही कारण है कि कांग्रेस आज यहां पर विकल्प के तौर पर वर्तमान के विधायक गिरधारी महिया को चुनाव लडऩे की सोच रही है, जबकि अगर कांग्रेस अपने यहां किसी भी प्रत्याशी को जो कांग्रेस की रीति नीति के बारे में जन-जन के बीच में जा रहा है, उसको टिकट देती है तो चुनाव फाइट किया जा सकता है। अगर यहां डमी के तौर पर या यूं कहे कि समझौते में यह सीट कॉमरेड को जाती है तो ना यहां से कॉमरेड जीत पाएगा और ना ही कांग्रेस, क्योंकि कांग्रेस का मूल कार्यकर्ता अपने आपको ठगा सा महसूस करेगा। हालांकि ये अभी श्रीडूंगरगढ़ में कांग्रेस का सिनेरियो है, परंतु यह तो समय ही बताएगा कि राजनीति का ऊंट किस करवट बैठेगा।

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