राजस्थान को लेकर दुविधा में फंसा कांग्रेस हाईकमान, पायलट या पार्टी की साख को चुने या फिर गहलोत. - Khulasa Online राजस्थान को लेकर दुविधा में फंसा कांग्रेस हाईकमान, पायलट या पार्टी की साख को चुने या फिर गहलोत. - Khulasa Online

राजस्थान को लेकर दुविधा में फंसा कांग्रेस हाईकमान, पायलट या पार्टी की साख को चुने या फिर गहलोत.

जयपुर। कांग्रेस हाईकमान  राजस्थान को लेकर भारी दुविधा में है. हाईकमान  मल्लिकार्जुन खडग़े के सामने संकट है कि वह राजस्थान में किसे चुने? पार्टी के अनुशासन को या सचिन पायलट को या फिर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत  को. हाईकमान की दुविधा की वजह बना उनका ही वह नोटिस जो गहलोत सरकार के तीन मंत्रियों को तीन महीने पहले अनुशासनहीनता के आरोप में दिया गया था. ये मंत्री हैं नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल, जलदाय मंत्री महेश जोशी और पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़. तीनों को ये नोटिस 25 सिंतबर को पार्टी के आदेश के खिलाफ गहलोत के समर्थन में 92 विधायकों के इस्तीफे विधानसभा अध्यक्ष को सौंपने पर दिया गया था.
पार्टी की ओर से बुलाई गई विधायक दल की बैठक से इतर विधायकों की अलग से बैठक बुलाकर शक्ति प्रदर्शन और बगावत करने पर तीनों ने काफी पहले ही पार्टी को जवबा दे दिया था. लेकिन तीन महीने से कांग्रेस हाईकमान इस फैसला नहीं कर पा रहा है कि तीनों के खिलाफ कार्रवाई की जाए या फिर अभयदान दे दिया जाए. दोनों ही हालात में पार्टी के सामने दो बड़े खतरे हैं. अगर तीनों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नाराज होने का डर है. तीनों गहलोत के न सिर्फ करीबी हैं बल्कि उनकी सीएम की कुर्सी बचाने और पायलट को सीएम बनने से रोकने के लिए 25 सितंबर को पार्टी हाईकमान के खिलाफ बगावत का झंडा उठाया था. विधायकों को गहलोत के पक्ष में और पायलट के खिलाफ लामंबद कर इस्तीफे दिलवाए थे ताकि पार्टी हाईकमान सचिन पायलट को मुख्यमंत्री ना बना सके.
कार्रवाई नहीं होने से नाराज होकर माकन दे चुके हैं इस्तीफा
जाहिर है इन तीनों नेताओं के खिलाफ कार्रवाई का सीधा असर गहलोत की साख और हैसियत पर पड़ेगा. पहले कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव का हवाला देकर कार्रवाई को टाला गया था. फिर राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के राजस्थान के गुजरने तक गहलोत विरोधी कैम्प को इंतजार करने करने के लिए कहा गया था. तीनों के खिलाफ कार्रवाई न करने से नाराज होकर राजस्थान कांग्रेस के पूर्व प्रभारी अजय माकन ने तो प्रभारी पद से इस्तीफा दे दिया था. माकन का वह खत भी वायरल हुआ जिसमें तीनों के खिलाफ कार्रवाई न करने पर निराशा जाहिर की गई थी.
अगर कार्रवाई नहीं होती है हाईकमान पर पड़ेगा असर
सचिन पायलट और उनका गुट भी पार्टी हाईकमान पर लगातार दबाव बना रहा है कि तीनों नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की जाए. अब अगर कार्रवाई नहीं की जाती है तो सीधे तौर पर दो असर पड़ेंगे कि पहला सचिन पायलट और उनका गुट नाराज होगा. दूसरा असर खुद कांग्रेस हाईकमान की हैसियत और पार्टी अनुशासन पर पड़ेगा. पार्टी के कई नेताओं का कहना है कि राजस्थान के मसले पर पार्टी अगर तीनों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करती है तो देशभर में कांग्रेस के अंदर पार्टी नेतृत्व की छवि पर असर पड़ सकता है. इससे अनुशासनहीनता आने वाले वक्त में बढ़ सकती है.पायलट गुट उठा सकता है यह सवाल
इसके साथ ही ये संदेश भी जाएगा कि हाईकमान ने गहलोत के आगे सरेंडर कर दिया. दूसरा पायलट कैंप यह उदाहरण दे रहा है कि 2020 में जब पायलट कैम्प ने बगावत की तब उन समेत तीनों मंत्रियों के खिलाफ पार्टी ने कार्रवाई की थी. अब गहलोत कैम्प को ये छूट क्यों दी जा रही है. हाालंकि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के राजस्थान से गुजरने के वक्त संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा था कि तीनों नेताओं को अनुशासनहीनता पर पार्टी ने क्लीन चिट नहीं दी है. इसका फैसला पार्टी करेगी. लेकिन इस पर हाईकमान की लंबी खामोशी ने सियासी गलियारों में कई तरह की चर्चाएं छेड़ रखी है.

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