पट्टेशुदा मकान पर ही चला दिया पंजा,सवालों के घेरे में यूआईटी - Khulasa Online पट्टेशुदा मकान पर ही चला दिया पंजा,सवालों के घेरे में यूआईटी - Khulasa Online

पट्टेशुदा मकान पर ही चला दिया पंजा,सवालों के घेरे में यूआईटी

खुलासा न्यूज बीकानेर। वैसे तो सरकारी महकमें बड़े नियम कायदों से काम करते है और नियमों की आड़ में कई बार तो साधारण आदमी के काम तक अटक जाते है। यहीं वजह है कि ऐसे विभाग हमेशा ही आमजन का विश्वास हासिल नहीं कर पाते। ऐसा ही नगर विकास न्यास के साथ है। जहां हजारों पट्टे बिना किसी जांच के बन जाते है और नियमों से बने पट्टे भी कारगार साबित नहीं होते। कुछ ऐसा ही एक मकान मालिक के साथ हुआ। जिसके पट्टेशुदा मकान को यूआईटी के तहसीलदार ने बिना सूचना तोड़ डाला। मामला नोखा रोड स्थित बाबा रामदेव नगर योजना का है। जहां 2006 से निर्मित पट्टेशुदा मकान का करीब 6 फीट हिस्सा अतिक्रमण के नाम पर तोड़ दिया गया। मकान मालिक विमल सेठिया बताते है कि उन्होंने 2010 में इस मकान को खरीदा था। जिसके सारे दस्तावेज नगर विकास न्यास में मय फोटो प्रस्तुत किये गये। अगर अतिक्रमण होता तो दस्तावेजों में साफ दिखाई देता। सेठिया ने कहा अतिक्रमण दल ने न तो दस्तावेज देखने की जहमत उठाई और न ही मेरे द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों की ओर ध्यान दिया। अब जब न्यास की ओर से मेरे मकान का अधिकांश हिस्सा तोड़ दिया गया है तो मुझे न्याय भी नहीं दिया जा रहा है। सेठिया ने कहा ऐसे में फिर क्यों आम आवाम की आवाज को सुनने की बात प्रशासन और सरकार द्वारा की जाती है।
रोजाना नये नये तर्क
उधर जब पीडि़त सेठिया ने यूआईटी सचिव से बात की तो उन्होनें कहा कि आपने निर्माण की स्वीकृति नहीं ली है। मजे की बात है मकान मालिक ने 6 मई 2006 को यूआईटी से मकान निर्माण स्वीकृति ले रखी है। जब यूआईटी अधिकारियों को लगा कि यह मकान गलती से टूट गया तो मकान मालिक के सामने रोज नये नियम बताकर पेच फंसाने का काम किया जा रहा है। कभी मकान बनाते समय बेसमेंट नहीं छोडऩे की बात कही जा रही है तो कभी निर्माण स्वीकृति नहीं लेने को आधार बनाया जा रहा है। मंजर यह है कि 2006 से लेकर अब तक इस मकान का तीन बार नामांतरण भी बदल चुका है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर नगर विकास न्यास के कार्मिक जिम्मेदारी से काम नहीं कर रहे या जिन कागजों को आवेदक प्रस्तुत कर रहे है। उनको आंखे मूंदकर अनुमति प्रदान कर रहे है। पिछले 14 सालों में नगर विकास न्यास को न तो बेंसमेंट की बात याद आई और न ही मकान निर्माण स्वीकृति की। मजे की बात तो यह है कि शहर में ऐसे अनेक बिल्डिग़ है जो अवैध तरीके से निर्मित है। किन्तु न्यास अधिकारियों का ध्यान उनकी ओर नहीं जा रहा है।
कहां जाये अब
मकान मालिक विमल सेठिया ने बताया कि मकान टूटने की दिनांक से लेकर आज तक सभी जगहों पर शिकायत कर चुके है लेकिन कोई भी सुनवाई नहीं कर रहा है। जबकि मेरा पट्टाशुद्वा मकान को अतिक्रमण दस्ते ने तोड़ा डाला इसको लेकर मैं अब मानसिक परेशान होने लगा हूं आखिर इसकी सुनवाई कौन करेंगा।

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