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आपके पास जल्द होगा 8 टीकों का विकल्प, जानें कब तक कौन सी विदेशी वैक्सीन आ सकती है भारत?

वैक्सीनेशन की रफ्तार ने जून में एक बार फिर रफ्तार पकड़ी है। हालांकि, अभी भी देश की महज 15% आबादी ऐसी है जिसे वैक्सीन की कम से कम एक डोज लगी है। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने कई विदेशी वैक्सीन को भारत में ट्रायल की शर्त खत्म कर दी है। इस फैसले से वैक्सीनेशन की रफ्तार और बढ़ने की उम्मीद है।

वहीं, दूसरी ओर सरकार का दावा है कि देश में दिसंबर तक 216 करोड़ वैक्सीन डोज उपलब्ध होंगे। इस दौरान देश के लोगों के पास 8 टीकों का विकल्प होगा। हालांकि, अभी सिर्फ कोवैक्सिन, कोवीशील्ड और स्पुतनिक-V के टीके ही देश में मौजूद हैं।

अभी देश में वैक्सीनेशन की क्या स्थिति है?

अभी देश में बड़े पैमाने पर दो वैक्सीन ही इस्तेमाल हो रही हैं। इसमें कोवैक्सिन देश में बनी है। इसे भारत बायोटेक ने बनाया है। वहीं, ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन कोवीशील्ड को भारत में सीरम इंस्टीट्यूट बना रहा है।

रूसी वैक्सीन स्पुतनिक-V को भारत में डॉक्टर रेड्डीज लैब बना रही है। हालांकि, ये वैक्सीन अभी सिर्फ कुछ प्राइवेट अस्पतालों में ही मिल रही है। इसके जल्द ही हर जगह उपलब्ध होने की बात कही जा रही है। DCGI के फैसले से फाइजर और मॉडर्ना जैसी वैक्सीन के देश में आने का रास्ता आसान हुआ है। अगर देश के वैक्सीनेशन प्रोग्राम की बात करें तो अब तक 25 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन डोज दी जा चुकी है।

कौन-सी विदेशी वैक्सीन भारत आ सकती हैं?
भारत सरकार ने कहा है कि अमेरिकी रेगुलेटर USFDA, यूरोपीय संघ के रेगुलेटर EMA, यूके के रेगुलेटर UK MHRA, जापान के रेगुलेटर PMDA और WHO की ओर से लिस्टेड इमरजेंसी यूज लिस्टिंग में शामिल वैक्सीन को भारत में इमरजेंसी यूज अप्रूवल दिया जाएगा।

इस समय अमेरिका में मॉडर्ना, फाइजर के साथ सिर्फ जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन को अप्रूवल मिला हुआ है। इसी तरह यूरोपीय संघ में इन तीन के अलावा एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन को अप्रूवल दिया गया है। UK में फाइजर, मॉडर्ना और एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन लगाई जा रही है। जापान में सिर्फ फाइजर की वैक्सीन। WHO ने अब तक सिर्फ चार वैक्सीन को मंजूरी दी है- फाइजर, एस्ट्राजेनेका, सीनोफॉर्म और सिनोवैक।

ऐसे में फाइजर, मॉडर्ना, सिनोफॉर्म, सिनोवैक और जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन ही ऐसी है, जिनका इस्तेमाल हमारे यहां नहीं हो रहा है। इन वैक्सीन को भारत में इमरजेंसी अप्रूवल मिल सकता है। हालांकि, चीनी वैक्सीन सिनोवैक और सिनोफॉर्म की मंजूरी में अड़चने आ सकती हैं।

जो वैक्सीन भारत में आ चुकी हैं उनका क्या स्टेटस है?
ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका देश में सबसे पहले अप्रूव होने वाली विदेशी वैक्सीन है। जो भारत में कोवीशील्ड के नाम से इस्तेमाल हो रही है। जिसकी एफिकेसी 71% है। WHO, UK हेल्थ केयर बोर्ड, यूरोपियन मेडिकल यूनियन के साथ ही दुनिया के कई देशों में इस वैक्सीन को मंजूरी मिल चुकी है। कई देशों में इसे कोवीशील्ड तो कई जगह वैक्सजेवरिया के नाम से इसे बेचा जा रहा है। भारत में पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया इसे बना रही है।

कोवीशील्ड के बाद देश में मंजूरी पाने वाली दूसरी विदेशी वैक्सीन रूस की स्पुतनिक-V है। स्पुतनिक-V को रूस ने अगस्त 2020 में इमरजेंसी यूज के लिए मंजूरी दी थी। ये कोरोना के खिलाफ मंजूर हुई दुनिया की सबसे पहली वैक्सीन में से एक है। भारत में इस वैक्सीन को इस साल फरवरी में इमरजेंसी यूज के लिए मंजूरी मिली।

मई के पहले हफ्ते में इस वैक्सीन की पहली खेप भारत पहुंची। भारतीय दवा कंपनी डॉ. रेड्डीज लैब इसे देश में बना रही है। 15 मई को इस वैक्सीन का पहला टीका हैदराबाद में लगाया गया। डॉक्टर रेड्डीज के सीनियर ऑफिसर दीपक सपरा ने पहला टीका लगवाया। जून के तीसरे हफ्ते तक इस वैक्सीन से वैक्सीनेशन को रफ्तार मिलने की उम्मीद है। कोवैक्सिन और कोवीशील्ड की तरह ये भी दो डोज वाली वैक्सीन है। दोनों डोज में दो अलग तरह के वायलर वेक्टर होते हैं।

क्लिनिकल ट्रायल में इसकी एफिकेसी 91.6% रही है। जो कि बाकी दूसरी वेक्टर बेस्ड ट्रेडिशनल वैक्सीन से काफी बेहतर है। हालांकि, ये वैक्सीन कोरोना के कमजोर स्ट्रेन्स पर ज्यादा कारगर है। रूस की ही सिंगल डोज वैक्सीन स्पुतनिक लाइट को भी जल्द ही भारत में मंजूरी मिल सकती है। ऐसा होता है तो ये भारत में इस्तेमाल होने वाली पहली सिंगल डोज वैक्सीन होगी।

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