क्या अब खुलेगी पीबीएम में भ्रष्टाचार की परतें ?,मची खलबली - Khulasa Online क्या अब खुलेगी पीबीएम में भ्रष्टाचार की परतें ?,मची खलबली - Khulasa Online

क्या अब खुलेगी पीबीएम में भ्रष्टाचार की परतें ?,मची खलबली

खुलासा न्यूज,बीकानेर। संभाग की सबसे बड़ी पीबीएम अस्पताल में पहले रेमिडिसिवर और ऑक्सीजन सिलेण्डरों में हेराफेरी के सनसनीखेज मामले खुलने के बाद पीबीएम में खलबली मच गई है। इन मामलों की सरकार और स्थानीय प्रशासन गंभीरता से जांच की जाएं तो निश्चित तौर पर पीबीएम में व्याप्त भ्रष्टाचार की ओर परतें खुलेगी। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कोरोना काल के दौरान सिलेण्डरों की कालाबाजारी के तार अस्पताल प्रशासन से जुड़े हुए है। इसमें अनेक चिकित्सकों और स्टाफकर्मियों के नाम उजागर होने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता। ऐसे में अस्पताल प्रशासन में इसको लेकर खलबली मच गई है और बचाव के जतन शुरू हो गये है। जानकारी यह भी मिली है कि ऑक्सीजन सिलेण्डरों की कालाबाजारी का मुख्य सरगना भुवनेश कुमार की कई चिकित्सकों और स्टाफकर्मियों से सांठगांठ है। जो ऑक्सीजन,एम्बूलेंस भेजने,जयपुर तथा जिले के बाहर के अस्पतालों से रैफर करने तथा वहां के चिकित्सकों को दिखाने तक की मिलीभगती की जाती है।
भ्रष्टाचार को जानने वालों को पदों से हटाया
सूत्र बताते है कि अनेक अनियमितताओं में मिलीभगती की जानकारी रखने वाले कई कार्मिकों को उन्हें अपने पदों से या तो हटा दिया जाता है या फिर उन्हें अन्यत्र ठंडे बस्ते वाले अनुभागों में लगा दिया जाता है। जिसके चलते इन चोरियों पर पर्दा पड़ा रहे।
आखिर कार्यवाही नहीं करने की क्या मजबूरी
बताया जा रहा है कि पीबीएम में अनियमिताओं की पुष्टि होने पर भी आज तक कार्यवाही नहीं हो पाई है। पिछले छ:-सात वर्षों से इन भ्रष्टाचारियों पर कार्यवाही नहीं होने से सिस्टम के हौसलें बुलंद हो गये है।
ऑपरेशन प्रिंस में व्याप्त अनियमिताओं की हो रही है पुष्टि
आपको बता दे कि पूर्व में तत्कालीन अतिरिक्त संभागीय आयुक्त राकेश शर्मा की ओर से ऑपरेशन प्रिंस की दो बार हुई जांचों में कई अनियमिताएं सामने आई थी। जिसकी रिपोर्ट का एक पूरा पुलिंदा राज्य सरकार को भेजा गया। लेकिन उस पर आज तक किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं हुई। गौरतलब है कि वर्ष,2015-16 में तत्कालीन संभागीय आयुक्त सुबीर कुमार के निर्देशन में सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज और पीबीएम अस्पताल में चलाए गए ऑपरेशन प्रिंस के दौरान एसपीएमसी व पीबीएम के कई चिकित्सकों, नर्सिंगकर्मियों, लेखाकर्मी, फार्मासिस्ट व अन्य कर्मचारियों की शिकायतें आमजन सहित अन्य माध्यमों से प्रशासनिक अधिकारियों को मिली थीं। इन शिकायतों पर गंभीर चर्चा कर इन्हें सत्यापित करने के पश्चात सूचीबद्ध कर उचित कार्रवाई के लिए रिपोर्ट में संलग्न किया। साथ ही रिपोर्ट में अनुशंषा की गई कि विभाग इन दोषियों की जांच करके कार्रवाई करने के लिए प्रमाणित कर सकता है। दोषियों पर कार्रवाई करके उन्हें पीबीएम से हटाया जाना आमजन व खुद पीबीएम के लिए हितकर होगा। स्वयं भू बने बैठे इन चिकित्सकों पर कार्रवाई के पश्चात निश्चित ही पीबीएम के नवनिर्माण के द्वार खुलेंगे एवं नए युग का सूत्रपात होगा।
ऑपरेशन प्रिंस की रिपोर्ट में ये बताई गई है चिकित्सकों की करतूत
पीबीएम के वरिष्ठ चिकित्सकों की करतूतों को ऑपरेशन प्रिंस की रिपोर्ट के जरिए सरकार के सामने लाने की कोशिश की गई। इसमें तीन दर्जन चिकित्सकों में से अधिकतर के बारे में कमीशनखोर, चापलूस व सिफारिशी, प्रतिभाहीन, मेडिकल स्टोर, पैथोलॉजी लैब व प्रोपेगंडा कम्पनीज से गठबंधन करने,निजी अस्पतालों में जाकर काम करने, पीबीएम व बाहर राजनैतिक गतिविधियों में लिप्त रहने, विभाग में आ ंतरिक राजनीति करने के बारे में स्पष्ट रूप से लिखा गया है। इतना ही नहीं कई वरिष्ठ चिकित्सकों को प्रशासकिय चिकित्सकों और जयपुर बैठे आला अधिकारी के चापलूस, सिफारिशी भी बताया गया है।
आइएएस और आरएएस अधिकारियों की भी नहीं सुन रही सरकार
सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज और उससे संबद्ध पीबीएम अस्पताल की व्यवस्थाओं को सुधारने और वहां बड़े पैमाने पर किए जा रहे भ्रष्टाचार को खत्म करने के पवित्र उद्देश्य को लेकर तत्कालीन संभागीय आयुक्त सुबीर कुमार के निर्देश पर वहां ऑपरेशन प्रिंस चलाया गया था। ऑपरेशन प्रिंस चलाने वाली टीम में अतिरिक्त संभागीय आयुक्त डॉ. राकेश कुमार शर्मा, तत्कालीन जिला कलेक्टर पूनम, प्रशिक्षु आईए एस शुभम चौधरी शामिल थे, इनके सहयोगी के रूप में संभागीय आयुक्त कार्यालय के तीन वरिष्ठ और कर्मठ कर्मचारी रतनसिंह निर्वाण, योगेश सुथार व चेतन आचार्य शामिल थे। इन अधिकारियों और क र्मचारियों ने कई महीने की मेहनत और हजारों लोगों से चर्चा कर ऑपरेशन प्रिंस चलाया था और उसकी रिपोर्ट तत्कालीन वसुन्धरा राजे सरकार को भेजी थी लेकिन हैरानी की क सरकार ने अपने ही प्रशासनिक अधिकारियों की सिफारिश नहीं मानी। उससे भी ज्यादा हैरानी तो इस बात की है कि उसके बाद सत्ता में आई कांग्रेस की गहलोत सरकार भी भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने में आनाकानी क र रही है।

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