बीकानेर जिले की सात विधानसभा सीटों पर कौन किस पर पड़ रहा भारी, कहां बन रहा त्रिकोणीय समीकरण, कहां बगावत बिगाड़ सकती है खेल, पढ़ें यह रिपोर्ट - Khulasa Online बीकानेर जिले की सात विधानसभा सीटों पर कौन किस पर पड़ रहा भारी, कहां बन रहा त्रिकोणीय समीकरण, कहां बगावत बिगाड़ सकती है खेल, पढ़ें यह रिपोर्ट - Khulasa Online

बीकानेर जिले की सात विधानसभा सीटों पर कौन किस पर पड़ रहा भारी, कहां बन रहा त्रिकोणीय समीकरण, कहां बगावत बिगाड़ सकती है खेल, पढ़ें यह रिपोर्ट

खुलासा न्यूज, बीकानेर। बीकानेर जिले की सात विधानसभा सीटों पर प्रमुख पार्टियां अपने प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। जिसके बाद प्रत्याशियों ने अपने-अपने घोड़े राजनीति के मैदान दौड़ाने शुरू कर दिए है। आज हम बताएंगे कि किसी सीट पर कौन भारी पड़ रहा है और कहां त्रिकोणीय मुकाबला हो रहा है। किसी सीट पर बागी खेल बिगाड़ सकते है। इन सभी मुद्दों पर हम विधानसभा वाइज बात करेंगे।

 

विधानसभा बीकानेर पश्चिम

बीकानेर पश्चिम विधानसभा में वैसे तो दो प्रत्याशियों के बीच सीधा मुकाबला है, लेकिन कुछ पार्टी छोड़कर आए नेता लोग कांग्रेस को नुकसान पहुंचा सकते है। बात करें तो इस सीट से कांग्रेस से डॉ. बी.डी.कल्ला तो बीजेपी से नया चेहरा हिन्दूवादी चेहरा जेठानंद व्यास मैदान में है। फिलहाल दोनों के बीच यहां टक्कर का मुकाबला है। लेकिन कांग्रेस के लिए वो लोग चिंता का विषय बन गए है, जो पार्टी के फैसले से नाराज होकर अपना फैसला लिया है। कोई बीजेपी में शामिल हुआ है तो कोई आरएलपी की टिकट से चुनाव लड़ रहा है। इस स्थिति में फिलहाल भाजपा को फायदा होता नजर आ रहा है, लेकिन कांग्रेस इस डेमेज कंट्रोल को कितना कवर कर पाती है यह आने वाला वक्त ही बताएगा कि अंत में किसे फायदा और किसे नुकसान होगा।

 

विधानसभा बीकानेर पूर्व

बीकानेर पूर्व विधानसभा में भी दो प्रत्याशियों के बीच सीधा मुकाबला नजर आ रहा है। जिसमें बीकानेर से तीन बार की विधायक सिद्धि कुमारी व कांग्रेस से यशपाल गहलोत मैदान में है। बताया जाता है कि पूर्व में मूल ओबीसी का वोट प्रतिशत अधिक है, जिसका फायदा हमेशा से यहां बीजेपी को मिलता आया है, लेकिन इस बार कांग्रेस प्रत्याशी यशपाल गहलोत उन वोटों सेंधमारी करेंगे। हालांकि वर्तमान के राजनीति सिनेरियों की बात करें यहां पर भी बीजेपी का पलड़ा भारी नजर आ रहा है, क्योंकि सिद्धि कुमारी का विरोध कर रहे महावीर रांका भी अब साथ आ गए है। वहीं यहां से दावेदारी कर रहे अन्य दावेदार जैसे सुरेन्द्र सिंह शेखावत, दीलिप पुरी सहित तमाम नेता सिद्धि के समर्थन में आ गए है जो बीजेपी के लिए मजबूत पक्ष माना जा रहा है। वहीं यहां से आरएलपी ने पार्षद मनोज बिश्नोई को टिकट देकर मैदान में उतारा है, लेकिन यह कहना अभी जल्दीबाजी होगी कि वे किसके वोटों में सेंधमारी करेंगे। इनकी ताल से किसे नुकसान और किसे फायदा होगा यह आने वाला वक्त की बता पाएगा। क्योंकि बिश्नोई पिछले लंबे समय से क्षेत्र की समस्याओं को लेकर सक्रिय रहे हैं।

 

विधानसभा कोलायत

 

कोलायत विधानसभा फिलहाल जिले की हॉट सीटों में से एक है। यहां कांग्रेस प्रत्याशी भंवर सिंह भाटी हैं जो लगातार दो बार यहां से जीतकर विधानसभा पहुंचे है, वर्तमान कार्यकाल में वे मंत्री है। इनके मजबूत पक्ष होने के पीछे यह वजह बताई जा रही है कि इन्होंने इस बार विकास खूब करवाया है। वहीं, बीजेपी से एक बार फिर देवीसिंह भाटी की पुत्रवधू पूनम कंवर को टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा है। लेकिन यहां से आरपीएल के टिकट पर चुनाव लड़ रहे रेवंतराम पंवार के मैदान में आने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। पंवार खुद एसी वर्ग से है और इस क्षेत्र में एसी वर्ग का बड़ा वोट बैंक माना जाता है, पिछले दो चुनावों की बात करें तो एसी व जाट जाती के वोट कांग्रेस को मिलते आए हैं, लेकिन इस बार रेवंतराम के प्रत्याशी बनने के बाद एससी व जाट जाती के वोटों का धु्रवीकरण हो सकता है। यहां की वर्तमान राजनीति सिनेरियों की बात करें तो फिलहाल भाजपा को यहां से कोई नुकसान नजर नहीं आ रहा है। तो वहीं कांग्रेस के मूल वोट डायवर्ट होने से कांग्रेस को नुकसान हो सकता है। अगर प्रॉपर तरीक से एससी और जाटों के वोटों धु्रवीकरण होता है तो यहां पर मुकाबला रोमांचक होगा।

 

लूनकरणसर विधानसभा

 

इस बार लूनकरणसर भी हॉट सीट बनी हुई है, क्योंकि जब से कांग्रेस ने युवा नेता राजेन्द्र मूंड को टिकट दिया है तब से कांग्रेस का एक धड़ा उनके विरोध में नजर आ रहा है। यह धड़ा चाहता है कि यहां के वरिष्ठ व पूर्व मंत्री वीरेन्द्र बेनीवाल को टिकट दिया। बीजेपी से वर्तमान के विधायक सुमित गोदार मैदान में है। इसके अलावा यहां निर्दलीय से प्रभुदयाल सारस्वत के भी चुनाव लडऩे की चर्चा चल रही है। ऐसे में यहां चतुर्थकोणीय मुकाबला होगा। इस मुकाबले में कौन बाजी मारेगा, जिसका मोटा-मोटी समीकरण यह छ: नवंबर को सामने आ जाएगा। क्योंकि चर्चा यह भी है कि यहां से अगर वीरेन्द्र बेनीवाल निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ते है तो इससे कांग्रेस को नुकसान हो सकता है। ऐसे में बेनीवाल निर्दलीय चुनाव लड़ते हैं तो कांग्रेस प्रत्याशी राजेन्द्र मूंड को कितना नुकसान पहुंचा पाते हैं और निर्दलीय प्रत्याशी सारस्वत बीजेपी प्रत्याशी सुमित गोदारा को कितना नुकसान पहुंचा पाते है यह तो आने वाला वक्त बताएगा। लेकिन कहीं ना कहीं यहां मुकाबला कांग्रेस व बीजेपी के बीच ही नजर आ रहा है।

 

विधानसभा खाजूवाला

 

खाजूवाला विधानसभा सीट पर कांग्रेस व बीजेपी में सीधा मुकाबला है। यहां कांग्रेस से वर्तमान विधायक व मंत्री गोविंद राम मेघवाल मैदान में हैं तो दूसरी ओर बीजेपी ने एक बार फिर पूर्व विधायक डॉ. विश्वनाथ पर भरोसा जताते हुए टिकट दिया है। दोनों प्रत्याशी एससी वर्ग से हैं ऐसे में जातीय समीकरण दोनों का बराबर का है। विश्वनाथ का मजबूत पक्ष यह है कि वो सरल स्वभाव के व्यक्ति है। वहीं गोविंदराम मेघवाल का मजबूत पक्ष यह है कि उन्होंने इस बार विकास कार्य करवाया है और वे लगातार सक्रिय है। ऐसे में फिलहाल यहां कांटे की टक्कर का मुकाबला नजर आ रहा है।

 

विधानसभा नोखा

 

नोखा में इस बार फिलहाल बीजेपी व कांग्रेस में सीधा मुकाबला नजर आ रहा है। हालांकि कन्हैयालाल झंवर अगर निर्दलीय के रूप में मैदान में उतरते हैं तो यहां पर भी त्रिकोणीय मुकाबला होगा। फिलहाल झंवर के मैदान में उतरने की चर्चा जोरों पर है, लेकिन अधिकारिक रूप से वे सामने नहीं आए हैं। कांग्रेस ने रामेश्वर डूडी की धर्मपत्नी सुशीला डूडी को टिकट दिया, क्योंकि रामेश्वर डूडी खुद फिलहाल अस्वस्थ चल रहे है। ऐसे में डूडी परिवार को यहां सदभावना का फायदा कितना मिल पाता है यह तो आने वाला वक्त ही बता पाएगा। वहीं अगर झंवर मैदान में उतरते हैं तो इससे बीजेपी को नुकसान होने की संभावना है। क्योंकि नोखा शहर के अधिकांश वोट परंपरागत रूप से बीजेपी के है, अगर झंवर चुनाव लड़ते हैं तो ये वोट झंवर के पक्ष में जा सकते है। अगर डूडी परिवार के साथ सदभावना नहीं जुड़ती है तो इन वोटों का धु्रवीकरण झंवर कर सकते हैं। अगर झंवर चुनाव नहीं लड़ते है तो यहां मुकाबला इस बार भी टक्कर का होगा। रामेश्वर डूडी का परिवार सदभावना को लेकर चुनाव लड़ रहा है तो वहीं बीजेपी प्रत्याशी बिश्नोई पिछले लंबे समय से क्षेत्र में सक्रिय रहकर राजनीति करते आ रहे है और इन्होंने विधानसभा की समस्याओं कई बार विधानसभा में उठाए है। वहीं, कन्हैयालाल झंवर की बात करें तो उन्होंने पीछला चुनाव बीकानेर पूर्व से लड़ा था, लेकिन जीत नहीं मिलने के कारण वे अपने गृह क्षेत्र चले गए और जनता के बीच सक्रिय रहकर चुनाव लडऩे की तैयारी में है। ऐसे में जनता किस पक्ष में जाएगी यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। फिलहाल यहां त्रिकोणीय मुकाबले के आसार बनते नजर आ रहे हैं।

 

विधानसभा श्रीडूंगरगढ़

 

श्रीडूंगरगढ़ विधानसभा की बात करें तो यहां इस बार भी गिरधारी महिया का माहौल बनता नजर आ रहा है। बीजेपी से यहां संघ पृष्ठभूम से आने वाले ताराचंद सारस्वत मैदान में है तो कांग्रेस ने अभी यहां अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस यहां अपना प्रत्याशी नहीं उतारकर कॉमरेड वर्तमान विधायक गिरधारी महिया के साथ गंठबंधन भी कर सकती है। लेकिन यह सीट गठबंधन में जाती है तो इसका सीधा फादया बीजेपी प्रत्याशी ताराचंद सारस्वत को होगा। क्योंकि मंगलाराम गोदारा व महिया के बीच तकरार रही है, ऐसे में कांग्रेस के मूल वोटों का धु्रवीकरण बीजेपी के पक्ष में हो सकता है। वहीं, बीजेपी का मजबूत पक्ष यह भी माना जा रहा है कि पिछले चुनाव में जो बागी बनकर चुनाव लड़े थे वो इस बार साथ नजर आ रहे है। इसी तरह टिकट घोषणा से पहले विरोध कर रहे छैलूसिंह भाटी, रामगोपाल सुथार, किसनाराम गोदारा, कुंभाराम सिद्ध और किसनाराम नाई का सारस्वत को कितना साथ मिल पाता है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। ये सभी नेता ऐसे है जो अपने जाती में अच्छी पकड़ रखते है।

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