गहलोत सरकार के इन विधायकों की जान को खतरा, मिलेगी स्पेशल सुरक्षा

गहलोत सरकार के इन विधायकों की जान को खतरा, मिलेगी स्पेशल सुरक्षा

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सलाहकार बनने वाले विधायकों जान का खतरा है। इनके जीवन के संभावित खतरों के आधार पर इन 6 विधायकों को स्पेशल सिक्योरिटी देने की तैयारी की जा रही है। राज्य की इंटेलिजेंस पुलिस ने वाई श्रेणी की सुरक्षा उपलब्ध कराने की अनुशंसा की है। फि लहाल, मामला राज्य सरकार के पास विचाराधीन है।

गौरतलब है कि पिछले दिनों मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने छह विधायकों को अपना सलाहकार नियुक्त किया थाण् सलाहकार बनने वाले विधायकों में बाबूलाल नागर, संयम लोढ़ा, डॉ राजकुमार शर्मा, रामकेश मीणा, दानिश अबरार और शामिल है। हाल ही में राज्य की इंटेलिजेंस पुलिस की ओर से सलाहकार बने इन सभी विधायकों को ल् श्रेणी के समकक्ष सुरक्षा उपलब्ध करवाने का प्रस्ताव विभाग को भिजवाया।

इंटेलिजेंस पुलिस ने प्रस्ताव में इन विधायकों के जीवन के संभावित खतरों के मद्देनजर सुरक्षा उपलब्ध करवाने का आग्रह किया गया है। मुख्यमंत्री के सलाहकारों को विभिन्न जिलों के दौरे करना होगा। वहां लोगों के बीच सरकारी योजनाओं को लेकर बातचीत भी करनी होती हैण् ऐसे में उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार को प्रस्ताव प्रस्ताव भिजवाया है। फि लहाल सुरक्षा का यह प्रस्ताव मंजूरी के लिए मुख्यमंत्री के पास भिजवाया गया है।

तीन निर्दलीय और तीन कांग्रेसी विधायक हैं सलाहकार
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री के सलाहकार बनाए गए विधायकों में तीन निर्दलीय और तीन कांग्रेसी विधायक हैं। इनमें दूदू से निर्दलीय विधायक बाबूलाल नागरए सिरोही से निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा, गंगापुर सिटी से निर्दलीय विधायक रामकेश मीणा, नवलगढ़ से कांग्रेस विधायक डॉक्टर राजकुमार शर्मा, सवाई माधोपुर से कांग्रेस विधायक दानिश अबरार, खेतड़ी से कांग्रेस विधायक डॉक्टर जितेंद्र सिंह शामिल हैं।

वाई श्रेणी के समकक्ष ये सुरक्षा दी जा रही
मुख्यमंत्री के इन सभी छह सलाहकारों को वाई श्रेणी के समकक्ष सुरक्षा देने की तैयारी की जा रही है। इसमें सभी विधायकों को 2 पीएसओ तथा 1 हेड कांस्टेबल 3 कांस्टेबल गार्ड दी जा रही है। बता दें कि सभी विधायकों को पहले से ही1-1 पीएसओ मिला हुआ है। वहीं, वाई श्रेणी में 2 पीएसओ 1 एचसी, 4 कांस्टेबल की सुरक्षा दी जाती है।

स्टेटस सिंबल या जान को खतरा
हालांकिए सूत्रों के मुताबिक इस बात की चर्चा भी हो रही है कि मुख्यमंत्री का सलाहकार बनने के बाद सभी विधायकों को सुरक्षा दी जा रही है यह स्टेटस सिंबल ज्यादा है। मुख्यमंत्री के सलाहकार बनने के बाद ज्यादा खतरे वाली बात नहीं है, लेकिन इन्हें मंत्री का दर्जा नहीं दिया जा सकता ऐसे में सुरक्षा का आकलन कर सुरक्षा देने की सिफारिश की गई है।

दो आधार पर की जाती है सुरक्षा
प्रदेश में राज्य सरकार की ओर से पदीय आधार पर और व्यक्ति के जानकी खतरे की संभावना के आधार पर सुरक्षा दी जाती हैण् इसमें पद के आधार पर सुरक्षा निर्धारित है जबकि खतरे का आकलन स्थानीय पुलिस अधीक्षक और विशेष शाखा की जॉन अधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर इंटेलिजेंट राज्य सरकार को सुरक्षा देने का प्रस्ताव देती हैण् यह प्रस्ताव मंजूरी के लिए मुख्यमंत्री जाता है इसके बाद गृह विभाग से सुरक्षा के आदेश जारी होते हैं।

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