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रेगिस्तान में 45 डिग्री तापमान के बीच एक बाबा आग के घेरे में बैठकर हठ योग (खपर धूनी) कर रहे हैं। दिन में डेढ घंटे तक वे हठ योग करते हैं। बाबा का कहना है कि 17 साल से लगातार हठ योग कर रहा हूं। बाड़मेर में शिव मुंडी गणेश मंदिर के पास बैठकर बाबा साधना कर रहे हैं।
बाबा सियाराम मूलत: उड़ीसा के रहने वाले हैं। सियाराम महाराज ने 13 साल की उम्र में बनारस आश्रम में संन्यास लेकर सीताराम महाराज से दीक्षा ली थी। बाबा साल 2010 में बाड़मेर आए थे, तब से यहीं हैं। उन्होंने बताया कि हठ योग 18 साल के लिए होता है। बाबा कहना है- यह तपस्या सदियों से चली आ रही है। आज के समय में यह तपस्या कम साधु-संत ही करते हैं।

तेज धूप में जहां लोग घर से बाहर नहीं निकल रहे, वहीं बाबा सियाराम दोपहर करीब 12 बजे चारों तरफ गोबर के कंडे जलाकर बैठ जाते हैं। आग की आंच के बीच में तपस्या करते हैं। फिर मटकी में आग लगाकर सिर पर रख लेते हैं।

बाबा सियाराम का कहना है कि 18 साल का हठ योग अनुष्ठान है। हर साल 4 महीने का होता है। यह तपस्या जन कल्याण के लिए कर रहे हैं। बाबा कहना है कि 17 साल से मैं हठ योग तपस्या कर रहा हूं। 2005 में तपस्या शुरू की थी। गुरु के निर्देश से तपस्या कर रहा हूं। इस तपस्या से जनता का कल्याण होगा। कई लोग कहते हैं कि हठ योग नहीं करना चाहिए, लेकिन आदिकाल से हठ योग होता आ रहा है।

दादा गुरु ने आश्रम बनाए थे
बाबा का कहना है कि मेरे दादा गुरु सीताराम ने बाड़मेर शिव मूंडी के नीचे आश्रम बनाया था। दादा गुरु ने चालीस साल तक यहां पर रहकर तपस्या की थी। दादा गुरु ने मुझे यहां पर बुलाया था। तब से यहीं पर हर साल गर्मी के मौसम में तपस्या करता हूं।

हठ योग गर्मी के समय में होता है
बाबा सियाराम का कहना है कि हठ योग कोर्स में अनुष्ठान चार महीने में गर्मी के समय में किया जाता है। माघ की वसंत पंचम से लेकर ज्येष्ठ गंगा दशहरा तक अनुष्ठान होता है। इस अनुष्ठान में धूप से कोई लेना-देना नहीं होता है। जब तक जप करते हैं तब तक न तो गर्मी लगती है और न ही आग का तप लगता है।

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