सुहागनों का पर्व दोषों से मुक्ति पाने के लिए किया जाता है ऋषि पंचमी व्रत

सुहागनों का पर्व दोषों से मुक्ति पाने के लिए किया जाता है ऋषि पंचमी व्रत

ऋषि पंचमी का व्रत 11 सितंबर शनिवार को रखा जाएगा । ये व्रत दोषों से मुक्त होने के लिए किया जाता है। इसको विशेषकर महिलाएं रखती हैं। व्रत के पीछे मान्यता है कि जाने-अनजाने में सभी से कोई न कोई पाप हो ही जाता है। जैसे कहीं पांव पड़ने पर जीवों की हत्या, किसी को भला-बुरा कहने से वाणी का पाप लगता है। किसी को ठेस पहुंचाने से मानस पाप लगता है। अत: इस तरह के दोषों और पापों से मुक्ति के लिए यह व्रत फलदायी है।

कब आती है यह पंचमी: भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि को आती है ऋषि पंचमी। कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जगदग्नि और वशिष्ठ ऋषियों की पूजा इस दिन विशेष तौर पर होती है। इस व्रत में सप्तऋषियों समेत अरुंधती का पूजन होता है।

व्रत कथा सुनने का है महत्व: सप्त ऋषियों की पूजा हल्दी, चंदन, रौली, अबीर, गुलाल, मेहंदी, अक्षत, वस्त्र, फूलों आदि से की जाती है। पूजा करने के बाद ऋषि पंचमी व्रत की कथा सुनी जाती है। इस कथा सुनने का बहुत महत्व होता है।

क्या खाएं इस दिन: ऋषि पंचमी में साठी का चावल जिसे मोरधन भी कहतें हैं और दही खाए जाने की परंपरा है। हल से जुते अन्न और नमक इस व्रत खाना मना है। पूजन के बाद कलश सामग्री को दान करें। ब्राह्मण भोजन के बाद ही स्वयं भोजन करें।

ध्यान रखने वाली बातें
1. सुबह से दोपहर तक उपवास करें। पूजा स्थान को गोबर से लीपें।
2. मिट्टी या तांबे के कलश में जौ भर कर चौक पर स्थापित करें।
3. पंचरत्न,फूल,गंध,अक्षत से पूजन कर व्रत का संकल्प करें।
4. कलश के पास अष्टदल कमल बनाकर, उसके दलों में ऋषियों और उनकी पत्नी की प्रतिष्ठा करें।
5. सभी सप्तऋषियों का 16 वस्तुओं से पूजन करें।

Join Whatsapp
खबरें और विज्ञापन के लिए इस नंबर पर व्हाट्सएप करें- 76659 80000 |खबरें और विज्ञापन के लिए इस नंबर पर व्हाट्सएप करें- 76659 80000 |