कोरोना के भयावह हालात, भावुक हो गए मुख्यमंत्री गहलोत और अचानक बोल दी ये बात - Khulasa Online कोरोना के भयावह हालात, भावुक हो गए मुख्यमंत्री गहलोत और अचानक बोल दी ये बात - Khulasa Online

कोरोना के भयावह हालात, भावुक हो गए मुख्यमंत्री गहलोत और अचानक बोल दी ये बात

खुलासा न्यूज , जयपुर  । मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोमवार को पंचायत स्तर तक के जन प्रतिनिधियों के साथ हुई वीसी में कोरोना के भयावह हालात बताए और भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि इस कोरोना काल में ऐसे-ऐसे किस्से सामने आ रहे हैं कि रात को नींत नहीं आती। सिफारिशें आ रही हैं कि एक बेड दिलवा दीजिए। डॉक्टर कहते हैं किस मरीज को हटाकर बेड दें। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति की किसी ने कल्पना नहीं की थी। पता चलता है कि बेड नहीं मिला, बेड मिला तो ऑक्सीजन नहीं मिली। कुछ घंटे या दिन में 30-35 साल के युवाओं की मौत हो गई। किसी अस्पताल से सूचना आती है कि २ घंटे की ऑक्सीजन बची है। ऑक्सीजन नहीं पहुंची तो मरीजों का क्या होगा। 13 महीने से लड़ते-लड़ते थक गए डॉक्टर-नर्सेज: मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी तो 15-20 हजार मरीज ही अस्पताल पहुंचे हैं। अस्पतालों में भी एक सीमा तक कोरोना से लड़ पाएंगे। संक्रमितों की संख्या बढ़ती गई तो उसके अनुसार न तो ऑक्सीजन पैदा कर सकते हैं, न दवाएं बना सकते हैं। 13 महीनों से लड़ते-लड़ते डॉक्टर्स व नर्सेज तक थक गए हैं।ऑक्सीजन बिना अस्पताल किस काम के: मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार, सामाजिक संस्थाएं और भामाशाह मिलकर बड़े-बड़े अस्पताल खड़े कर लेंगे लेकिन ऑक्सिजन के बिना ये किस काम के? ऑक्सीजन, दवाओं की व्यवस्था केंद्र ने अपने हाथ में ली हुई है। ऑक्सीजन एवं दवाओं की कमी के कारण हाहाकार मचा है। गहलोत ने फिर दोहराया कि ऑक्सीजन, वैक्सीन व दवाएं केंद्र से मांग रहे हैं, इसका मतलब ये नहीं हैं कि हम शिकायत कर रहे हैं। मांगने से ही काम चलेगा। धर्म, विचारधारा, वर्ग मत देखो, मदद करो: गहलोत ने कहा कि संकट की इस घड़ी में धर्म, विचारधारा, वर्ग देखने का वक्त नहीं है। जहां पीडि़त देखो, उसकी मदद करो। जो भी मदद चाहता है, उस तक मदद पहुंचाओ। मानवता का अभी एक ही दुश्मन है, कोरोना। इससे लड़ जाओ। राजनीतिक विचारधारा अलग रखकर पक्ष-विपक्ष मिलकर कोरोना से लड़ेंगे।

बुजुर्गों का इलाज छोड़ा, हमारी ऐसी परम्परा नहीं: गहलोत ने कहा कि इटली में 60 साल से अधिक आयु के लोगों का इलाज करना छोड़ दिया। वे मरे तो मरें, युवा व बच्चे नहीं मरने चाहिए। यह स्थिति सामने आई तो कई तरह के विचार दिल में आए। हमारे यहां बुजुर्गों का खास ख्याल रखा जाता है। घर-गहने बेचकर इलाज कराते हैं। यह हमारी परम्परा रही है। इंग्लेंड ने पूरी दुनिया पर राज किया लेकिन चार-पांच महीने लॉकडाउन लगाया तब कोरोना पर काबू पाया।

कोई वैज्ञानिक भी नहीं जानता कल क्या होगा: उन्होंने कहा कि कोरोना की तीसरी-चौथी लहर की बात हो रही है और इन्हें बच्चों के खिलाफ माना जा रहा है। दुनिया के किसी साइंटिस्ट को नहीं मालूम कि कल क्या होगा।

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