25 लाख रुपए से अधिक की रजिस्ट्री हो तो सेल्फी अपलोड करेंगे सब-रजिस्ट्रार - Khulasa Online 25 लाख रुपए से अधिक की रजिस्ट्री हो तो सेल्फी अपलोड करेंगे सब-रजिस्ट्रार - Khulasa Online

25 लाख रुपए से अधिक की रजिस्ट्री हो तो सेल्फी अपलोड करेंगे सब-रजिस्ट्रार

 

जयपुर। प्रदेश में अब 25 लाख रुपए से अधिक कीमत की बिल्डिंग, जमीन और कृषि भूमि की रजिस्ट्री से पहले सब रजिस्ट्रार को मौके पर सेल्फी और फोटो लेनी होगी। यह सेल्फी और फोटो एप पर अपलोड करनी होगी ताकि ऑनलाइन डीएलसी के आधार पर ही स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस वसूली जा सके। एप और फोटो में गूगल मैप से संपत्ति तथा जमीन की लोकेशन भी दर्ज होगी।

बिल्डिंग, संपत्ति या कृषि भूमि के विवादों की रजिस्ट्री से पहले ही जानकारी होने से फर्जी रजिस्ट्री पर रोक लगेगी। पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग ने ‘कहीं भी पंजीयन योजना’ के तहत इस नियम को लागू किया है। प्रदेश में हर साल 25 लाख रुपए से अधिक की संपत्ति के 10 लाख से ज्यादा दस्तावेज रजिस्टर्ड होते हैं। महानिरीक्षक शरद मेहरा ने सभी अतिरिक्त व उप महानिरीक्षकों को इस आदेश की सख्ती से पालना के निर्देश दिए हैं।
ऐसे होगा मोबाइल एप से मौका निरीक्षण
बिल्डिंग या जमीन की रजिस्ट्री के लिए क्रेता-विक्रेता सब रजिस्ट्रार कार्यालय में ऑनलाइन चेक लिस्ट और दस्तावेज पेश करेंगे। रजिस्ट्री के साथ सबरजिस्ट्रार दस्तावेजों की जांच करेंगे और लोकेशन के अनुसार सिस्टम पर अपलोड करेंगे। जिस सब-रजिस्ट्रार के क्षेत्र में बिल्डिंग या जमीन होगी, वह स्मार्ट फोन से जमीन की लोकेशन खेलकर सेल्फी और फोटो अपलोड करेंगे।
डीड राइटर्स और वकीलों का विरोध
कलेक्ट्रेट बार के पूर्व महासचिव राजकुमार शर्मा का कहना है ‘कहीं भी पंजीयन योजना’ में क्रेता-विक्रेता किसी भी रजिस्ट्रार दफ्तर में रजिस्ट्री करवा लेते हैं। लेकिन नए आदेश से जिस सबरजिस्ट्रार के क्षेत्राधिकार मे बिल्डिंग या जमीन है, उसे ही मौका निरीक्षण करना होगा। इससे काम की पेंडेंसी बढ़ेगी। क्रेता और विक्रेता को परेशान होना होगा। इसे भ्रष्टाचार भी बढ़ेगा।
अब तक ऐसे होती थी रजिस्ट्री
अभी 25 लाख से ज्यादा कीमत की रजिस्ट्री से पहले क्रेता व विक्रेता आवेदन व चेक लिस्ट पेश करते थे। रजिस्ट्री के समय बिल्डिंग व जमीन की फोटो लगाते थे। फिर सब-रजिस्ट्रार को मौका निरीक्षण करना होता था, लेकिन सब-रजिस्ट्रार खुद जाने के बजाए दफ्तर में ही रिपोर्ट बना कर रजिस्ट्री कर देते थे।
सब रजिस्ट्रार रिपोर्ट मैन्यूअली पोर्टल पर अपलोड करते हैं। इससे कई बार स्टांप ड्यूटी चोरी के बड़े मामले सामने आते थे। कृषि भूमि 25 लाख से ज्यादा कीमत की हो तो पटवारी की रिपोर्ट लगती है। पटवारी भी कई मौके पर नहीं जाते थे। इसमें फर्जीवाड़ा होता था।

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