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पौधे से बनाई कोविड-19 की वैक्सीन CoVLP; वैज्ञानिकों का दावा- इस तकनीक से तैयार टीके की कीमत बेहद कम होगी

सस्ते दाम पर वैक्सीन उपलब्ध कराने के लिए वैज्ञानिक ‘मॉलिक्युलर फार्मिंग’ का तरीका अपना रहे हैं। इस तकनीक का इस्तेमाल करके कोविड वैक्सीन तैयार की गई है। इसे CoVLP नाम दिया गया है। इसके अलावा एक फ्लू वैक्सीन भी बनाई गई है।

वैज्ञानिकों का दावा है, इस तकनीक से तैयार वैक्सीन की कीमत काफी कम होगी और इसे अलग-अलग लोगों को उनकी जरूरत के मुताबिक लगाया जा सकता है। जानी मानी ब्रिटिश फार्मा कंपनी ग्लैक्सो स्मिथक्लाइन और बायोटेक कम्पनी मेडिकागो ने मिलकर इसे तैयार किया है।

सबसे पहले जानिए, क्या है मॉलिक्युलर फार्मिंग
इस तकनीक से वैक्सीन बनाने के लिए सबसे पहले वैज्ञानिक लैब में वायरस के जेनेटिक मैटेरियल को तैयार करते हैं, फिर उसे एक पौधे में इंजेक्ट करते हैं। इस तरह वायरस का जेनेटिक मैटेरियल पूरे पौधे में पहुंच जाता है। पौधा बड़ा होने पर इसकी पत्तियों को तोड़कर एक्सट्रैक्ट करते हैं। यानी एक तरह से इसका रस निकाल लेते हैं। एक्सट्रैक्ट को फिल्टर करने के बाद इससे वैक्सीन तैयार की जाती है।

CoVLP क्यों अलग है और कैसे तैयार की गई
CoVLP एक वायरस-लाइक-पार्टिकल वैक्सीन है। यानी इसे ऐसे पार्टिकल से तैयार किया गया है जो हर मायने में वायरस जैसा होता है, लेकिन संक्रमित नहीं करता। आसान भाषा में समझें तो वैक्सीन के जरिए जब वायरस-लाइक-पार्टिकल शरीर में पहुंचेगा तो कोई नुकसान तो नहीं होगा लेकिन शरीर बड़ी संख्या में इसके खिलाफ एंटीबॉडीज बनाने लगेगा।

अगर कुछ महीने बाद कोरोनावायरस शरीर को संक्रमित करता है तो पहले से तैयार एंटीबॉडीज इसे मार देंगी। कंपनी का दावा है कि इस टेक्नोलॉजी से तैयार वैक्सीन बेहद सस्ती, कम समय और कम जगह में तैयार होगी।

CoVLP कैसे तैयार की गई, अब ये जानिए। वायरस-लाइक-पार्टिकल तैयार करने के बाद इसे निकोटियाना बेंथामियाना नाम के पौधे में पहुंचाया। इस तरह पौधे के हर हिस्से वायरस का जेनेटिक मैटेरियल पहुंचा। पौधा बढ़ने के साथ इनमें यह मैटेरियल भी बढ़ता है। कुछ समय बाद इसकी पत्तियों को तोड़ने के बाद एक्ट्रैक्ट किया गया और इस मैटेरियल से वैक्सीन तैयार की गई।

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