भ्रष्टाचारियों की कर्मस्थली बनी पीबीएम,अनेक मामलों के आरोपी अब भी बैठे है पदों पर
खुलासा न्यूज,बीकानेर। संभाग के सबसे बड़े पीबीएम अस्पताल भ्रष्टचारियों की कर्मस्थली बना हुआ है। जहां अनेक मामलों में आरोपित कार्मिक अभी भी मलाईदार पदों पर आसीन है। जिसको लेकर न तो पिछली सरकारें और न ही वर्तमान सरकार ध्यान दे रही है। नतीजन दिन प्रतिदिन पीबीएम भ्रष्टाचार के नये आयाम स्थापित कर रही है। अगर सरकार ऑपरेशन प्रिंस के दस्तावेजों को खंगाल लेती तो शायद अब तक कई भ्रष्ट कार्मिकों को सजा मिल जाती और पीबीएम दागदार होने से बच जाता। मंजर यह है कि अनेक घोटालों को अंजाम देने वाले कार्मिक मेडिकल कॉलेज और पीबीएम अस्पताल में भ्रष्टाचार कर रहे है। रेमडेसिविर इंजेक्शन और ऑक्सीजन सिलेंडर की कालाबाजारी में पहले ही बदनाम हो चुके बीकानेर का सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज अब एक लेखाकार के.के. गोयल की करतूत के कारण शर्मसार हुआ है। यह वहीं के के गोयल है,जिस पर ऑडिट रिपोर्ट में अनेक पैरा बनाएं गये है और गोयल पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने की बात सामने आई है। उसके बाद भी विभाग नहीं चेता। बल्कि इसे पुरस्कार स्वरूप ऐसे पदों पर आसीन रखा। जहां घपले दर घपले होते गये। पीबीएम व मेडिकल कॉलेज में उपकरण खरीद,बिलों के भुगतान,संविदाकर्मियों के ठेकों के बिलों को पास करने जैसे प्रकरणों में गोयल हमेशा ही विवादों में रहे है। पूर्व में भी एक ठेकेदार ने बिलों के भुगतान नहीं करने को लेकर आत्मदाह तक की चेतावनी पीबीएम प्रशासन को दी थी। गोयल के अलावा भी कई कार्मिक है,जो वर्षों से एक ही पदों पर जमकर घोटालों मे लिप्त है। जिन पर विभागीय जांचे भी चल रही है। किन्तु समय निकलने के साथ ही इन कार्मिकों पर कार्यवाही ठंडे बस्ते में डाल दी जाती है।
आखिर क्या है मजबूरी
यहां सवाल उठता है कि पूर्व में भी पीबीएम में भ्रष्टाचारी को लेकर अनेक समाचार प्रकाशित हुए है। जिन पर जांच कमेटियां भी बैठी। किन्तु दोषियों के खिलाफ कार्यवाहियां न के बराबर हुई है। आखिर सरकारों की ऐसी क्या मजबूरी है कि वे पीबीएम व मेडिकल कॉलेज के भ्रष्टाचारियों पर कार्यवाही करने से कतरा रही है।
ऐसे आएं शिकंजे में
जिस समय बीकानेर में कोरोना से लोगों की ऑक्सीजन की कमी से मौत हो रही थी, उस समय सप्लाई करने वाली फर्म को समय पर भुगतान देने के बजाय उससे 65 हजार रुपए की रिश्वत मांगी गई। पचास हजार रुपए लेते हुए आज भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने गिरफ्तार कर लिया। सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज ने कोरोना की दूसरी लहर की पीक में ऑक्सीजन खरीदने के लिए टेंडर किए थे। इसमेंं जगदम्बा इंडस्ट्रीज ने 63 लाख पचास हजार रुपए की ऑक्सीजन उपलब्ध कराई थी। इस ऑक्सीजन का बिल समय पर दिया गया। भुगतान के लिए लेखाकार के के गोयल ने एक प्रतिशत यानी 64 हजार रुपए की डिमांड की थी। इस पर पचास हजार रुपए में सौदा तय हुआ। इससे पहले परिवादी ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को शिकायत कर दी। ब्यूरो ने शिकायत की पुष्टि करते हुए मंगलवार को अपना जाल बिछा लिया। परिवादी जैसे ही पचास हजार रुपए देकर बाहर निकला, वैसे ही उसे दबोच लिया गया। गोयल के कब्जे से पांच सौ रुपए की वो गड्डी भी बरामद हो गई, जिस पर पहले से रंग लगा हुआ था। पुलिस निरीक्षक आनन्द कुमार को देखते ही लेखाकार गोयल के होश उड़ गए। इस कार्रवाई में हेड कानिस्टेबल बजरंग सिंह, राजेश कुमार, नरेंद्र सिंह, योगेेंद्र सिंह, कृष्ण मोहन, अनिल कुमार व प्रेम कुमार शामिल थे।
इससे पहले कालाबाजारी
कोरोना काल में ही बीकानेर में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी की जांच स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप कर रहा है। वहीं ऑक्सीजन सिलेंडर की कालाबाजारी के मामले में सदर थाने में जांच चल रही है।