प्रदेश में अब लेप्टोस्पाईरोसिस ने बढ़ाई चिंता, चिकित्सा विभाग ने जारी किया अलर्ट - Khulasa Online प्रदेश में अब लेप्टोस्पाईरोसिस ने बढ़ाई चिंता, चिकित्सा विभाग ने जारी किया अलर्ट - Khulasa Online

प्रदेश में अब लेप्टोस्पाईरोसिस ने बढ़ाई चिंता, चिकित्सा विभाग ने जारी किया अलर्ट

जयपुर: कोरोना, डेंगू, मलेरिया और अन्य मौसमी बीमारियों के बाद अब लेप्टोस्पाईरोसिस नामक बीमारी ने चिकित्सा विभाग को चिंता में डाल दिया है. प्रदेश के आधा दर्जन से अधिक जिलों में 25 से अधिक लेप्टोस्पाईरोसिस के केसेस सामने आए है, जिसके चलते चिकित्सा विभाग ने सभी सीएमएचओ को अलर्ट जारी किया है. इस अलर्ट में न सिर्फ बीमारी के लक्षण व उपचार के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है, बल्कि आमजन को जागरूक करने के निर्देश भी दिए गए है.

पिछले डेढ़ साल से कोरोना की मार झेल रहे राजस्थान में अब भले ही इस बीमारी से कुछ राहत मिली हो, लेकिन मलेरिया,डेंगू,स्क्रब टायफस और चिकनगुनिया के साथ ही लेप्टोस्पाईरोसिस के केस ने चिकित्सा विभाग के अधिकारियों को चिंता में डाल रखा है. राजधानी के आधा दर्जन जिलों में एकाएक लेप्टोस्पाईरोसिस केस बढने लगे हैं. सर्वाधिक 18 केस अकेले जयपुर में सामने आए है, जिसके चलते चिकित्सा विभाग ने सभी सीएमएचओ को आगाह करते हुए अलर्ट जारी किया है. जनस्वास्थ्य निदेशक डॉ.केके शर्मा ने बताया कि सभी को ऐसे मरीजों की प्रभावी मॉनिटरिंग के निर्देश दिए गए हैं.

आखिर क्या है लेप्टोस्पाइरोसिस ?

ये रोग लेप्टोस्पाईरा नामक बेक्टीरिया से फैलता है.

रोडेन्ट,जंगली और पालतु पशुओं से फैलता है, जिसका इन्क्युवेशन समय 5 से 14 दिनों का होता है

जिन इलाकों में पानी जमा होता है वहां ये रोग ज्यादा फैलता है

ये रोग दो तरह का होता है, एक एनिक्टेरिक लेप्टोस्पाईरोसिस और दूसरा इक्टेरिक लेप्टोस्पाईरोसिस

एनिक्टेरिक माइल्ड होता है, जिसमें 90 फीसदी रोगियों को बुखार और मांसपेशियों में दर्द जैसै लक्षण सामने आते हैं.

इक्टेरिक सिवियर होता है, जिसमें इसमें पेट दर्द,उल्टी दस्त और पीलिया भी होता है

अगर मरीज की हालात गंभीर हो जाए तो रक्त स्त्राव किडनी फेलियर और रेस्पीरेटरी फेलियर भी हो जाता है

चिकित्सा विभाग ने गाइडलाइन जारी करते हुए दवाइयों का स्टॉक सुनिश्चित करने के साथ ही पशुपालन विभाग से कॉर्डिनेट करने के निर्देश दिए गए हैं. जनस्वास्थ्य निदेशक डॉ.केके शर्मा ने बताया कि पशुओं के सम्पर्क से बचने के लिए सुरक्षा उपकरण का उपयोग करना चाहिए. इलाज के लिए कल्चर,माईक्रोस्कॉपी,इम्यूनोलॉजी-एलाईजा,मोलीक्युलर टेस्ट किए जाने चाहिए. जबकी वयस्क मरीज को डॉक्सीसाईक्लीन,गर्भवती महिलाओं के एम्पीसिलिन और बच्चों को एम्पीसिलिन और एमोक्सीसिलिन दवा दी जा सकती है.

इन जिलों में सामने आए लेप्टोस्पाइरोसिस के केस

राजस्थान में अब तक सामने आए 26 केस

अकेले जयपुर में सामने आए 18 पीडित मरीज

इसके अलावा भरतपुर में दो, चित्तौडगढ़ में एक,

धौलपुर में एक, करौली में दो, नागौर में एक और

टोंक में एक मरीज लेप्टोस्पाइरोसिस का आया सामने

लेप्टोस्पाईरोसिस त्वचा के कटे-फटे भाग पर संक्रमित पशु के सम्पर्क,संक्रमित पदार्थ के आंख,मुंह और नाक से सम्पर्क या फिर ड्रोपलेट द्वारा श्वास के माध्यम से फैल सकता है.ऐसे में चिकित्सा विभाग ने सभी सीएमएचओ को निर्देश दिए है कि वे आमजन को बीमारी के बारे में जागरूक करें, ताकि इसके स्प्रेड को रोका जा सके.

error: Content is protected !!
Join Whatsapp 26