ऑटिज़्म दिवस की पूर्व संध्या पर ऑटिज़्म पज्जल दिखाकर किया जागरूक, अजीबोगरीब रोग है ऑटिज़्म - Khulasa Online ऑटिज़्म दिवस की पूर्व संध्या पर ऑटिज़्म पज्जल दिखाकर किया जागरूक, अजीबोगरीब रोग है ऑटिज़्म - Khulasa Online

ऑटिज़्म दिवस की पूर्व संध्या पर ऑटिज़्म पज्जल दिखाकर किया जागरूक, अजीबोगरीब रोग है ऑटिज़्म

खुलासा न्यूज, बीकानेर । शुक्रवार को विश्व ऑटिज़्म जागरूकता दिवस की पूर्व संध्या पर स्टेशन रोड स्थित सभागार मे संगोष्ठी का आयोजन डॉ.अमित पुरोहित की अध्यक्षता मे हुवा। कार्यक्रम मे आमजन को ऑटिज़्म पज्जल दिखाकर एवं इस बीमारी के निदान काम आने वाले उपयोगी विशेष उपकरणों के बारे मे जागरूक किया गया।

डॉ. अमित पुरोहित ने बताया कि ऑटिज़्म बच्चो मे पनपने वाली अजीबोगरीब मानसिक रोग है जो कि लड़कियों की अपेक्षा लड़को मे अधिक देखने को मिलता है जिसके लक्षण 2 वर्ष की आयु के बाद बच्चो मे नजर आने लगते है।तथा हर वर्ष 2 अप्रैल को इस रोग के प्रति जागरूक करने के लिए विश्व ऑटिज़्म जागरूकता दिवस मनाया जाता है। सामाजिक कार्यकर्ता कविता कंसल ने कहा कि जनसंख्या वृद्धि के साथ ही ऑटिज़्म के बच्चो की संख्या बढ़ रही है तथा बच्चो के पास रहकर ही इस समस्या को समझा जा सकता है।कार्यक्रम मे कपिल,मुकेश हर्ष,अमित तंवर, ज्योति,अनिता,प्रीति कुलरिया,गोपाल व्यास,जगदीश ओझा आदि लोग मौजूद थे।

आंकड़ो की माने तो हर 68 बच्चो मे एक बच्चा इस रोग से ग्रसित है जिसका मुख्य कारण आनुवांशिक एवं पर्यावरण है।

कैसे पहचाने ऑटिज़्म को (लक्षण)

*ऑटिज़्म से ग्रसित बच्चे का शारीरिक विकास सामान्य होता है लेकिन मानसिक विकास सामान्य बच्चो से कम होता है।

बच्चे जल्दी से दूसरे व्यक्ति से नजर मिलाकर बात नही करते।

नाम पुकारने पर कोई प्रतिक्रिया नही देते तथा भीड़ मे जाने एवं तेज आवाज जैसे कुकर की सीटी,मिक्सी की आवाज)से डरते है।
एक ही खिलौने से बार बार खेलते है या किसी भी शब्द,गिनती, गानों को बार बार दोहराते है।

घूमती हुई चीजो (पंखा,चकरी, गाड़ी का पहिया) को देख कर आकर्षित होते है।

घर के छोटे छोटे सामान को रेलगाड़ी की तरह व्यवस्थित करते रहते है।
ऑटिज़्म के बच्चे बेवजह हँसने या रोने लगते है तथा कभी कभी इतने उतेजित हो जाते है कि अपने आप को मारते है या दूसरे को मारने लगते है।

बाल कटवाने एवं नाखून कटवाने मे इन्हें दिक्कत होती है एवं किसी भी चीज को समझने मे दिक्कत होती है।

निदान 

समय पर बीमारी को पहचाना एवं जागरूकता एवं परिवार समाज द्वारा इन्हें अपनाना ही प्राथमिक ईलाज है।
सामान्य दवाइयों के साथ फिजियोथेरेपी, ऑक्यूपेशनल थैरेपी एवं स्पीच थैरपी के साथ विशेष शिक्षा ही ईलाज है।
खान पान की दृष्टि से देखे तो इन्हें मीठी चीजे,रंग वाली चीजे, ठंडे पेय एवं चॉकलेट आदि से दूर रखा जाता है।

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