नोखा में कांग्रेस व बीजेपी के लिए मुश्किलें पैदा कर सकते हैं झंवर - Khulasa Online नोखा में कांग्रेस व बीजेपी के लिए मुश्किलें पैदा कर सकते हैं झंवर - Khulasa Online

नोखा में कांग्रेस व बीजेपी के लिए मुश्किलें पैदा कर सकते हैं झंवर

– पत्रकार, कुशाल सिंह मेड़तिया की विशेष रिपोर्ट

खुलासा न्यूज, बीकानेर। नवंबर माह में राजस्थान विधानसभा के चुनाव होने हैं। बीकानेर जिले की बात की करे तो यहां सात विधानसभाओं में नोखा से मुकाबला रौचक होता नजर आ रहा है, क्योंकि डूडी व बिहारी के अलावा कन्हैयालाल झंवर भी तैयारी में जुट चुके हैं। अगर कन्हैयालाल को यहां से चुनाव नहीं लड़वाकर कहीं अन्य जगह भेज दिया जाए तो ऐसे में पलड़ा डूडी का भारी लग रहा है। लेकिन अगर यही मुकाबला यहां त्रिकोणीय हो जाता है और चुनाव कन्हैया लाल झंवर लड़ते है तो फिर बाजी कन्हैयालाल झंवर भी मार सकते हैं। क्योंकि डूडी के लिए नोखा शहर से वोट प्राप्त करना थोड़ा मुश्किल होगा, इसका कारण यह है कि शहर में वोटों की गणित को जातिवाद काफी प्रभावित करेगा। वहीं ग्रामीण क्षेत्र की बात करें तो तीनों प्रत्याशियों में वोटों का बंटवारा होगा। ऐसे में जो प्रत्याशी शहर में बाजी मार गया मानो वो चुनाव जीत गया। अभी चुनाव प्रचार प्रसार में जहां झंवर और विधायक बिहारी भी पूरी तरह एक्टिव है। जबकि रामेश्वर डूडी विधानसभा में अभी कम ही नजर आ रहे हैं। इसी तरह झंवर का सक्रिय होना न केवल डूडी बल्कि वर्तमान के भाजपा विधायक बिहारी बिश्नोई की मुश्किलें भी बढ़ा सकता है। क्योंकि पिछले चुनाव में बिहारी ने नोखा शहर से काफी वोट प्राप्त किये थे, जिनसे जीत में उनको अच्छी लीड मिली थी। राजनीति के जानकारों की माने तो पिछले विधानसभा चुनाव नोखा से बिहारी बिश्नोई की जीत का एक बड़ा कारण यह भी था कि कन्हैयालाल झंवर का बीकानेर पूर्व से चुनाव लडऩा, जिसका सीधा फायदा बिहारी विश्नोई को हुआ था। लेकिन इस बार अब तक की राजनीति परिदृश्य से मामला गड़बडा़ता हुआ नजर आ रहा है, क्योंकि झंवर यह कह चुके हैं कि वे चुनाव किसी भी हालात में नोखा से ही लड़ेंगे, चाहे पार्टी उन्हें टिकट दे या नहीं दें। हालांकि बिहारी बिश्नोई अपने कार्यकाल में क्षेत्र के विकास के लिए काफी प्रयास किये थे। उन्होंने नोखा क्षेत्र से जुड़ी समस्याओं के मुद्दों को हर बार विधानसभा सत्र में उठाया है। जिससे क्षेत्र की जनता की बीच भी अच्छी पकड़ बनाई, लेकिन राजपूत समाज के एक बड़ा धड़ा का भी विरोध झेलना पड़ सकता है। राजनीति के जानकारों की माने तो अगर राजपूत समाज बिहारी के साथ नहीं आता है तो चुनाव परिणाम मुश्किलें पैदा करने वाले आ सकते है। अगर डूडी नोखा को छोड़कर लूणकरणसर या श्रीडूंगरगढ़ से चुनाव लड़ते है तो फिर बिहारी और झंवर में रोचक मुकाबला देखने को मिलेगा। हालांकि डूडी के लिए नोखा से ज्यादा सेफ सीट लूनकरनसर है ऐसे में डूडी के लिए यहां से चुनाव जितना बहुत आसान हो सकता है। लेकिन अगर डूडी और विधायक बिहारी में सीधा मुकाबला हुआ तो डूडी फिर ये चुनाव हार जाएंगे क्योंकि शहरी वोटर का साथ डूडी को मिल पाना मुश्किल है । अब देखना है कि नोखा की राजनीति में जातिवाद हावी रहता है या विकास अभी सब इन मुद्दों पे मौन नजर आ रहे है।

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