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भारत को मिलेगी पहली इंटरनेशनल वैक्सीन

ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना की कोरोना वैक्सीन के भारत में इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। सिप्ला कंपनी को इस वैक्सीन के आयात की इजाजत दी गई है। पर सूत्रों का कहना है कि सिप्ला को देश में 100 लोगों पर ब्रिज ट्रायल की शर्त को पूरा करना ही होगा। मॉडर्ना पहली ऐसी इंटरनेशनल वैक्सीन है, जो पूरी तरह तैयार होकर विदेश से आएगी और इसकी डोज लोगों को दी जाएगी। देश को मिलने वाली ये चौथी वैक्सीन है। इससे पहले कोवीशील्ड, कोवैक्सिन और स्पुतनिक-V को भी मंजूरी मिल चुकी है।

मॉडर्ना को भारत में पहली इंटरनेशनल वैक्सीन इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि यह सीधे इंपोर्ट होगी। देश में इसकी मैन्युफैक्चरिंग नहीं होगी। वहीं कोवीशील्ड को देश में सीरम इंस्टीट्यूट बना रहा है। जबकि कोवैक्सिन को भारत बायोटेक और ICMR मिलकर बना रहे हैं। वहीं रूस की स्पुतनिक-V की मैन्युफैक्चरिंग भारत में डॉ. रेड्डीज लैबोरेट्रीज करेगी। डॉ. रेड्डीज लैबोरेट्रीज स्पुतनिक के डेवलपर रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड (RDIF) की भारतीय पार्टनर है।

सिप्ला को 100 लोगों पर ब्रिजिंग ट्रायल करनी होगी
मॉडर्ना और फाइजर उन कंपनियों में शामिल हैं, जिन्होंने भारत सरकार से अपील की थी कि वह इमरजेंसी यूज की इजाजत देने के बाद होने वाले लोकल ट्रायल की बाध्यता को खत्म करे। लेकिन सिप्ला को 100 लोगों पर ट्रायल करना होगा। हालांकि, विदेशी वैक्सीन को भारत में अप्रूवल मिलने पर पहले 1500-1600 लोगों पर ट्रायल करना होता था। लेकिन 15 अप्रैल को सरकार ने पॉलिसी में बदलाव कर इसे 100 लोगों तक सीमित कर दिया था।

मॉडर्ना ने ये शर्त भी रखी थी कि उन्हें इन्डेम्निटी मिलेगी तो ही वे वैक्सीन भारत भेजेंगे। यह इन्डेम्निटी वैक्सीन कंपनियों को सब तरह की कानूनी जवाबदेही से मुक्त रखती है। अगर भविष्य में वैक्सीन की वजह से किसी तरह की गड़बड़ी हुई तो इन कंपनियों से मुआवजा नहीं मांगा जा सकता। हालांकि यह साफ नहीं हो पाया है कि मॉडर्ना को इन्डेम्निटी मिली है या नहीं।

भारत में अभी 3 वैक्सीन और एक पाउडर
देश में फिलहाल सीरम सीरम इंस्टीट्यूट की कोवीशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सिन का इस्तेमाल वैक्सीनेशन ड्राइव में किया जा रहा है। रूस की स्पुतनिक-V को भी भारत में इस्तेमाल किए जाने की मंजूरी दे दी गई है। इसके अलावा DRDO ने कोविड की रोकथाम के लिए 2-DG दवा बनाई है। इसके इमरजेंसी इस्तेमाल को भी मंजूरी दे दी गई है। यह एक पाउडर होता है, जिसे पानी में घोलकर दिया जाता है।

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