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हैलो…………… मै रात को दुकान बंद नहीं करुंगा मेरे पास राजनैतिक पॉवर है, वोट देते है आपके राज में नहीं छूट मिले तो फिर कब मिलेगी

शहर में हो सकती है बड़ी वारदात, नहीं रुका नशा तो, पुलिस भी कर रही है इंतजार हादसे का
बीकानेर। पिछले काफी महिनों से अगर देखा जाये तो नशे का प्रचलन बढ़ा है जिसकी जकड़ में आज का युवा पूरी तरह चपेट में आ गया है अब नशा युवाओं के लिए फैशन बन गया है। शाम होते ही अच्छे घराने के लडक़े नशा बिकने वाली जगहों पर पहुंच जाते है जहां पर उन्हें आसानी से नशा मिल जाता है चाहे वो कैसा भी नशा है जिसमें सबसे प्रचलित है एमडी, गांजा, चरस, नशे की गोलियां, कफ शीरप आदि जो आज के युवाओं के लिए एक बड़ी चीज है अगर देखा जाया तो एक लडक़ा कम से कम 10 ग्राम गांजा, 3 नशे की कफ शीरप रोज पीता है। उसके बाद जोईट जो 500 व 200 नोटों पर लेकर उसको लिया जाता है। जहां एक गरीब को 500 रुपये कमाने के लिए दिनभर भगाना पड़ता है वहीं यह रसूखदारों के बेटे उस 500 के नोट पर जोईट पीते है। बडे मजे की बात है अगर इन नशेडियों की गैंग है जो अपने स्तर आदमियों को रखा हुआ है जो इनको शाम होते ही नशा पहुंचा देते है। सौदागरों को पता है कि उदाहरण की कपिल को कितना गांजा व एमडी रोज चाहिए वो उसको पहुंच देते है। इन गुर्ग के पास पूरे शहर के उन युवाओं की लिस्ट है जो कौने-कौने पर बैठकर नशा करते है उनके एक वाटसअप कॉल पर नशा पहुंचा देते है। नाम ना छापने के शर्त एक जने ने पुख्ता बताया कि शहर में नशे का सबसे बड़ा अड्डा नयाशहर, कोतवाली व सदर थाना क्षेत्र है जहां नशे के सौदागरों ने अपना ठिकाना बना रखे है। नयाशहर थाना क्षेत्र के मुरलीधर व्यास कॉलोनी, अग्निशमन रोड़ आदि सुनसान जगहों पर शाम होते ही आपको उस सडक़ पर काफी युवा नजर आयेंगे वो सभी उन्हीं सौदागरों का इंतजार करते है जो मौके पर आकर उनको एमडी चरस देकर चले जाते है। करमीसर चौराहे के आस पास इलाका पूरा नशे का बड़ा अड्डा है। इसके अलावा जस्सूसर गेट, डूडी पेट्रोल पम्प के पीछे, बंगलानगर, बड़ा बाजार आदि स्थानों पर नशा का सामान आराम से मिल जाता है। वहीं कोतवाली थाना इलाके में कई ऐसी जगह है जहां पर शाम होते ही तस्कर पहुंच जाते है क्योकि शहर की कई ऐसी छोटी गलियां है जहां पुलिस नहीं पहुंच सकती है और अंधेरा होने के कारण तस्कर आराम से नशा बेचकर चला जाता है।
नशेडियों ने चाय व अन्य दुकानों को बनाया अपना ठिकाना
नशेडियों ने पुलिस से बचने के लिए देर रात शहर व शहर के बाहर खुली रहने वाली चाय व अन्य खाने पीने वाली दुकानों को अपना सबसे बड़ा अड्डा बना लिया है जहां देर रात तक बैठे रहते है। जिसमें अगर देखा जाये तो सबसे बड़ा हब नयाशहर व कोतवाली थाना जहां अगर पुलिस की डीएसटी टीम काम करें तो इतना नशा मिले की वो स्वयं हक्के बक्के रह जाये। लेकिन मजे की बात है देर रात तक खुलने वाली दुकानें पर अपराधिक लोग, नशेडियों आदि बैठते है और वहीं पुलिस की गश्ती टीम बैठती है। पुलिस इतनी भी हिम्मत नहीं करती कि रात के 2 बजे है अब तो दुकानें बंद करवा दें। अगर कोई भला आदमी पुलिस वाले को शिकायत करें कि आप दुकानें क्यों बंद नहीं करवाते तो पुलिस वाले उनसे ऐसे उलझते है जैसे उनको चोर कह दिया है। रात को दुकान बंद करवाने की जगह जो शिकायत करता है उसी को धमकाते है कि अगर ज्यादा सामाजिक बना तो उठाकर थाने में ले जाकर बंद कर दूंगा। इसका मतलब है कि इस शहर में अब सभ्य लोग रहना बंद कर देवे।
पुलिस प्रशासन के आला अधिकारी क्यों नहीं लेतेे इस पर संज्ञान की दुकानें समय पर बंद हो
जब थानेदार से लेकर एसपी आईजी तक इस बारे में शिकायत मिल चुकी है कि शहर में जो अपराध बढ़ रहे है उनका मुख्य कारण देर रात तक खुली रहने वाली इन चाय व अन्य उत्पाद बेचने वाली दुकानों पर अपराधिक लोगों के बैठने के कारण। बदमाश प्रवृत्ति के लोग करते है सुदखोर का काम जो मोटे ब्याज पर जरुरतमंद को रुपये देते है और फिर समय पर नहीं देने पर देते है जान से मारने की धमकी, घर की महिलाओं को उठाकर ले जाने धमकी तक देते है। जिससे दोनों पक्षों में होते है झगड़े वहीं झगड़े आगे किसी की मौत बन जाती है। या तो ब्याज पर पैसे लेने वाला खुद मर जाता है या फिर सामने वाले पर फायरिंग कर मौत के घाट उतार देते है।
नयाशहर में आये दिन होती है फायरिंग,
सबसे बड़ा अपराध का गढ़ है नयाशहर थाना जहां आये दिन फायरिंग होती है और हर बार फायरिंग पैसों का लेन-देन को लेकर होती है। अभी कुछ दिन पूर्व ही जस्सूसर गेट के बाहर एक चाय की दुकान है जो देर रात तक खुली रहती है उस पर फायरिंग हुई या तो गनमीत रही कि कोई बड़ा हादसा नहीं हुई। इससे पहले भी फायरिंग में एक लडक़े की मौत हुई। अभी दो दिन पहले भी एक लडक़े ने अपने सिर पर गोली मार ली जिसकी इलाज के दौरान मौत हो गई। आखिर में इनके पास हथियार आ कहां से रहे है जो आये दिन बेधडक़ फायरिंग कर दहशत फैलाते है।
आखिर क्यों नशे के सौदगर पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ रहे है
मजे की बात है चाय की दुकान पर नशेडियों का चाय पीने का बड़ा ठिकाना है। उस दुकान पर कोतवाली थाने का स्टाफ रात को गश्त करने वाले पहुंचते है और चाय पीते है लेकिन मजे की बात है उस जगह पर खड़े होते ही गांजे व अन्य नशे की बुदबू आती है लेकिन पुलिस को नहीं आती है। इतना सब कुछ होने के बाद पुलिस किसके दबाब में तस्कारों के ठिकानों पर रेड क्यों नहीं मार रही है।
जिस तरह से नशे का कारोबार शहर में बढ़ा है उससे यह प्रतीत होता है कभी भी शहर कें अंदर वाले हिस्से में कोई बड़ा हादसा हो सकता है जिसके जिम्मेदार हम सभी होंगे। हादसे के बाद पुलिस हरकत में आयेगी।
सूत्रों से ऐसी खबर मिली है शहर के अंदर कुछ जुआरियों ने धार्मिक स्थलों व सार्वजनिक स्थानों को अपना जुए का अड्डा बना लिया है जहां शाम होते ही जुआरी पहुंच जाते है। उनको कोई नहीं रोकता है अगर कोई रोकता है तो जुआरी उनसे झगड़े करने उतारु हो जाते है। गश्त दल रात को घुमता है पर गाड़ी में बैठकर चार चक्कर लगाकर अपनी डियूुटी पूरी करते है।

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