सोनिया से मिलने दिल्ली पहुंचे गहलोत, बोले मोदी सांसदों को कानून तोडऩे व आग लगाने और लोगों को भडक़ाने की बात कहते है - Khulasa Online सोनिया से मिलने दिल्ली पहुंचे गहलोत, बोले मोदी सांसदों को कानून तोडऩे व आग लगाने और लोगों को भडक़ाने की बात कहते है - Khulasa Online

सोनिया से मिलने दिल्ली पहुंचे गहलोत, बोले मोदी सांसदों को कानून तोडऩे व आग लगाने और लोगों को भडक़ाने की बात कहते है

जयपुर । राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार को कहा कि अब हमें पता चल गया है कि देश कहां जा रहा है। सभी राज्यों में हिंसा भडक़ रही है। सोशल मीडिया के जरिए लोगों को उकसाया जा रहा है। यह खतरनाक राजनीति है और लोगों को सतर्क हो जाने की आवश्यकता है। हिंसा का जवाब हिंसा नहीं हो सकता। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही सांसदों को बुला-बुलाकर कानून तोडऩे, आग लगाने और लोगों को भडक़ाने की बात कह रहे हैं।
गहलोत ने कहा कि सत्ता पक्ष का काम है कि जो हिंसा कर रहा है, उसे रोके। यह प्रयास करें कि किसी भी कीमत पर हम हिंसा को बर्दाश्त नहीं करेंगे। यह तो मैंने देखा है कि कोई प्रधानमंत्री हो, मुख्यमंत्री हो, सांसद हो या विधायक हो, उन्हें यह करना चाहिए। पर यहां तो उल्टी गंगा बह रही है। प्रधानमंत्री सांसदों को बुला-बुलाकर कह रहे हैं कि आप लोग कुछ नहीं कर पा रहे हो। आप लोग वही काम करो जो करोड़ी मीणा कर रहा है। यानी धमालपट्टी करो। कानून को तोड़ो। हाथ में लोग। लोगों को भडक़ाओ। आग लगाओ। मैंने यह सुना है कि प्रधानमंत्री यह कह रहे हैं। सच्चाई आप लोग पता करो, आप मीडिया वाले हो।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बुधवार को दिल्ली में कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी से मिले। इस दौरान उन्होंने 14 से 16 मई तक प्रस्तावित कांग्रेस के चिंतन शिविर पर बातचीत की। साथ ही प्रशांत किशोर की कांग्रेस में भूमिका पर भी चर्चा की। यह सब बातें चिंतन शिविर में आएंगी ही। सोनिया गांधी के साथ-साथ गहलोत ने पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से भी मुलाकात की।
दिल्ली पहुंचने के बाद मीडिया से चर्चा में गहलोत ने कहा कि प्रशांत किशोर अब देश में एक ब्रांड बन चुके हैं। 2014 में वे नरेंद्र मोदी के साथ थे। फिर नीतिश कुमार के साथ और पंजाब में कांग्रेस के साथ कई अन्य राज्यों में भी उन्होंने अपनी भूमिका निभाई है। हम भी विशेषज्ञों और एजेंसियों की सलाह लेते हैं। उनका अनुभव विपक्ष की एकजुटता में उपयोगी हो सकता है।

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