गहलोत सरकार पर फिर से संकट,अब इन्होंने ने पैदा की मुसीबत

गहलोत सरकार पर फिर से संकट,अब इन्होंने ने पैदा की मुसीबत

जयपुर। कांग्रेस के सियासी संकट के दौरान अशोक गहलोत सरकार को बचाने वाली भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) ने समर्थन वापस ले लिया है। पार्टी के दोनों विधायकों राजकुमार रोत व रामप्रसाद ने शुक्रवार को राष्ट्रीय अध्यक्ष और गुजरात के विधायक महेश वसावा से समर्थन वापसी की अधिकारिक घोषणा करने के लिए कहा। इस पर पार्टी नेतृत्व ने गहलोत सरकार से समर्थन वापस ले लिया। पार्टी के दौनों विधायकों ने पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट और उनके समर्थकों की बगावत के समय गहलोत सरकार का समर्थन दिया था। राज्यसभा चुनाव में भी दोनों विधायक कांग्रेस के साथ रहे और केसी वेणुगोपाल व नीरज डांगी के पक्ष में मतदान किया था, लेकिन बृहस्पतिवार को हुए जिला परिषद चुनाव के बाद पार्टी ने कांग्रेस से समर्थन वापसी का फैसला कर लिया। हालांकि गहलोत सरक ार पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। सरकार के पास 119 विधायकों का समर्थन है। दरअसल, प्रदेश के आदिवासी डूंगरपुर जिले में जिला परिषद सदस्यों के चुनाव में बीटीपी को बहुमत मिला था, लेकिन बीटीपी का जिला प्रमुख बनने से रोकने के लिए कांग्रेस और भााजपा दोनों ने हाथ मिला लिया। इस कारण बीटीपी का जिला प्रमुख नहीं बन सका और भाजपा ने अपना जिला प्रमुख बना लिया। यहां 27 सदस्यीय जिला परिषद में बीटीपी के 13 सदस्य जीते थे। बहुमत के लिए एक सदस्य की जरूरत थी, लेकिन बीटीपी का आदिवासी इलाकों में बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए एक-दूसरे की विरोधी कांग्रेस और भाजपा साथ आ गई। आठ सदस्य जीतने के बावजूद भाजपा का जिला प्रमुख की सीट पर कब्जा हो गया, कांग्रेस ने उसे समर्थन दिया।
विधायक बोले, हमारे साथ धोखा किया
बीटीपी विधायक रामप्रसाद ने बताया कि गहलोत सरकार से समर्थन वापस ले लिया गया है। कांग्रेस ने हमारे साथ धोखा किया है। पहले तो कांग्रेस के नेताओं ने समर्थन की बात कही और फिर भाजपा के साथ मिल गए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में जब आंतरिक असंतोष हुआ था, उनके खुद के विधायक बागी हो गए थे, तब हमने गहलोत सरकार को बचाया और अब हमारे साथ ही धोखा कर लिया। रामप्रसाद ने कहा कि कुछ समय पूर्व डूंगरपुर व उदयपुर के आदिवासी इलाकों में हुए आंदोलन को भी कांग्रेस व भाजपा ने मिलकर हवा दी और बदनाम हमें कर दिया। हमारे कार्यकर्ताओं के खिलाफ मुकदमें दर्ज कर लिए। पार्टी नेता छोटू भाई वसावा ने भी समर्थन वापसी की पुष्टि की।
उल्लेखनीय है कि बीटीपी का राजस्थान के गुजरात से सटे आदिवासी जिलों में पिछले दो-तीन सालों में प्रभाव बढ़ा है। पहली ही बार में दो विधायक बनने के साथ ही छात्रसंघ चुनाव में अच्छी सफलता मिली और अब पंचायत चुनाव में बीटीपी को आदिवासियों का समर्थन मिला। बीटीपी के आदिवासियों में बढ़ते प्रभाव से कांग्रेस और भाजपा दोनों ही परेशान है। विशेषकर कांग्रेस के परंपरागत वोट बैंक आदिवासियों में बीटीपी ने सेंध लगाई है।

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