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तीन महीने 1 रुपए महंगी हो सकती है बिजली!:राजस्थान इम्पोर्टेड कोयले पर खर्च करेगा

जयपुर। कोयला संकट के दौर में केंद्र सरकार ने सभी राज्यों के लिए 10 फीसदी विदेशी कोयला खरीदना अनिवार्य किया है। पहले 4 फीसदी ही विदेशों से इम्पोर्टेड कोयला खरीदना जरूरी था। नए बदलाव से राजस्थान समेत अलग-अलग राज्यों पर बड़ा वित्तीय भार आने वाला है। इसका खामियाजा बिजली उपभोक्ताओं पर ही पड़ेगा। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी केंद्र सरकार से कहा है कि इम्पोर्टेड कोयले के कारण आम उपभोक्ताओं पर पड़ने वाले अतिरिक्त भार को देखते हुए केंद्र सरकार इस अनिवार्यता को हटाए।

सूत्रों के मुताबिक अगर राज्य सरकार महंगा विदेशी कोयला इम्पोर्ट करेगी तो 1 रुपए यूनिट तक बिजली महंगी हो सकती है। फ्यूल सरचार्ज में बढ़ोतरी कर इसकी वसूली उपभोक्ताओं से की जा सकती है। फ्यूल सरचार्ज में थर्मल पावर प्लांट्स का फ्यूल यानी कोयले की खरीद रेट और उसे प्रदेश तक लाने के लिए लगने वाले सभी तरह के खर्चे, किराया,माल-भाड़ा शामिल होते हैं।

विदेशी कोयला घरेलू कोयले से 3 गुणा से ज्यादा महंगा है। (शिप में कार्गो कोल-फाइल फोटो)

3 गुणा महंगा विदेशी कोयला,1736 करोड़ रुपए का पड़ेगा
दरअसल, केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने दिसंबर, 2021 में एक एडवाइजरी जारी कह कहा था कि सभी राज्यों के केंद्र से अलॉक कुल कोयले का 4% इम्पोर्टेड कोयला खरीदना होगा। इसे 25 अप्रैल, 2022 में बढ़ाकर 10 फीसदी कर दिया गया है। इस इम्पोर्टेड कोयले का भाव कोल इंडिया लिमिटेड की ओर से दिए जा रहे कोयले की कीमत से 3 गुना से भी ज्यादा है।
राजस्थान में इसकी कीमत करीब 1736 करोड रुपए आने की संभावना है। डॉमेस्टिक कोयले की खरीद पर 5 हजार रुपए मीट्रिक टन का ही खर्च आता है, जबकि विदेशी इम्पोर्टेड कोयले के भाव 18 से 21 हजार रुपए मीट्रिक टन तक हैं। विभागीय सूत्र बताते हैं कि केंद्र ने राजस्थान को 9.66 लाख मीट्रिक टन विदेशी कोयला खरीदने के लिए कहा है, लेकिन प्रदेश में अब तक 5.79 लाख मीट्रिक टन कोयला खरीदने पर ही बात चल रही है।

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