देवीसिंह-डूडी की बल्ले-बल्ले,गांव की सरकार में रहा वर्चस्व - Khulasa Online देवीसिंह-डूडी की बल्ले-बल्ले,गांव की सरकार में रहा वर्चस्व - Khulasa Online

देवीसिंह-डूडी की बल्ले-बल्ले,गांव की सरकार में रहा वर्चस्व

खुलासा न्यूज,बीकानेर। जिले के पंचायत चुनावों में कद्दावर नेता देवीसिंह भाटी व रामेश्वर डूडी का वर्चस्व कायम रहा। इन दोनों के मेहरबानी वालों के सिर प्रधानी क ा ताज रहा। विधानसभा चुनाव में मात खाने के बाद भी आज इन दोनों नेताओं ने यह साबित कर दिया कि गांवों की राजनीति के यह दोनों ही क्षत्रप है। हालांकि दोनों ही नेताओं के निर्वाचन क्षेत्र में विरोधी दलों का बोर्ड बना है। अगर बात करें पूर्व प्रतिपक्ष नेता रामेश्वर डूडी की तो जिला प्रमुख सहित पांचू और बीकानेर पंचायत समिति में प्रधान बनाने में उन्हें कामयाबी हासिल की। तो खुद के निर्वाचन क्षेत्र नोखा में बोर्ड न बनवा पाने का दाग भी डूडी पर लग गया। उधर भाजपा के वरिष्ठ नेता देवीसिंह भाटी का भी इस चुनाव में अपना दबदबा बनाये रखा। हालांकि कोलायत में उन्हें बोर्ड बनवाने में कामयाबी नहीं मिली। लेकिन बज्जू खालसा में बहुमत हासिल करने वाली कांग्रेस को राजनीतिक पटखनी देते हुए अपने तीन समर्थकों के साथ कांग्रेस के बागी को प्रधान बनवाकर प्रदेश भाजपा को यह संदेश दे दिया कि उनकी अनदेखी भाजपा को आने वाले समय में ओर भारी पड़ सकती है।
मेघवाल-भाटी की किरकिरी
उधर जिले के इस पंचायत चुनावों ने केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल और उच्च शिक्षा राज्यमंत्री भंवरसिंह भाटी की जमकर किरकिरी कर दी। जहां अर्जुनराम अपनी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने में कामयाब नहीं हुए। वहीं भंवरसिंह भाटी न केवल अपने पैत्रृक गांव में मात खाएं। बल्कि बज्जू खालसा की बहुमत वाली पंचायत में भी बोर्ड न बनाकर राजनीतिक गलियारों में आलोचना का शिकार हो गये। बताया जा रहा है कि कभी भाटी के निकटतम रहे भागीरथ तेतरवाल की पत्नि को टिकट न दिलावकर आलोचना के भागी बन गये है। गौरतलब रहे कि बज्जू खालसा की प्रधान बनी पप्पू देवी ने ही निर्विरोध जीतकर जिले की पंचायत में कांग्रेस के लिये जीत का खाता खोला था और उसे ही प्रधान के लिये टिकट नहीं देना भंवरसिंह को आने वाले समय में भारी पड़ सकता है।

बिहारी-सुमित की साख में बढ़ोतरी
वहीं भाजपा में विधायक बिहारी लाल विश्नोई और सुमित गोदारा ने अपने कद में बढ़ोतरी की है। जहां बिहारी ने लगातार दूसरी बार नोखा में बोर्ड बनाकर अपने श्रेष्ठता सिद्व की है। वहीं सुमित गोदारा ने लूणकरणसर में भाजपा को प्रधानी दिलाने में अपनी अहम भूमिका निभाई। यहां भाजपा के जीते हुए सदस्यों से ज्यादा वोट हासिल कर अपना वर्चस्व कायम किया है।

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