मनमर्जी का गढ़ बना बीटीयू,स्थानीय मंत्री बेखबर - Khulasa Online मनमर्जी का गढ़ बना बीटीयू,स्थानीय मंत्री बेखबर - Khulasa Online

मनमर्जी का गढ़ बना बीटीयू,स्थानीय मंत्री बेखबर

खुलासा न्यूज,बीकानेर। बीकानेर में उच्च शिक्षण संस्थाओं की स्थापना के लिये भले ही राजनेताओं ने आन्दोलन किये हो। लेकिन उनकी सार संभाल या मॉनिटरिंग के अभाव में ये उच्च शिक्षण संस्थाएं मनमर्जी के गढ़ बनती जा रही है। जिसका ज्वलंत उदाहरण बीकानेर तकनीकी विवि है। यहां पदस्थापित कुलपति एच डी चारण पर अनेक बार अनियमितताओं के आरोप लग चुके है और कई शिकायतें भी विवि को लेकर हो चुकी है। उसके बाद भी न केवल राज्य सरकार बल्कि स्थानीय मंत्री भी इसको लेकर बेखबर है। या यूं कहे खबर होने के बाद भी उनके कानों तक जूं नहीं रेंग रही है।जबकि उच्च शिक्षा राज्यमंत्री तक बीकानेर से है। यहीं नहीं एक कदावर मंत्री का यह गृह क्षेत्र है। ताजा मामला विवि के बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट की बैठक को लेकर सामने आया है। विश्वस्त सूत्र बताते है कि विवि के बोम की बैठक 9 जनवरी को होनी है। जबकि इसके आदेश 6 जनवरी को निकाले गये है। ऐसे में बीटीयू अपने ही आदेशों को धता बताकर बैठक आयोजित कर रहा है। जानकारी मिली है कि बीटीयू के बने एक्ट के तहत बोम सदस्यों को 7 से 10 दिन पहले बैठक की सूचना मय एजेण्डा दिया जाना आवश्यक है। लेकिन कुलपति चारण ने आनन फानन में पूर्व कुलसचिव महावीर प्रसाद के स्थानान्तरण के अगले ही दिन कार्यवाहक कुलसचिव व वित अधिकारी पवन कस्वां से एक आदेश निकालकर 9 जनवरी को बोम की बैठक बुलाने को कह दिया। ऐसे में किसी भी विवि की ओर से महज तीन दिनों में बोम बैठक को बुलाना चर्चा का विषय बन गया है।
पहले भी पुलिस पहरे में हुई थी बोम बैठक
आपको बता दे कि इससे पहले भी दूसरी बोम की बैठक पुलिस पहरे में हुई थी। उस समय भी कुलपति खासे विवादों में रहे। इस संदर्भ में मुक्ता प्रसाद निवासी सुरेन्द्र जाखड़ ने कुलपति द्वारा बार बार नियमों का मखौल उड़ाने की शिकायत भी तकनीकी मंत्री व विभाग को की है। किन्तु विभाग की ओर से कोई कार्यवाही आज तक नहीं की।
अनदेखी का नतीजा ईसीबी की बदहाल स्थिति
जिले में उच्च शिक्षण संस्थाओं की जिले के मंत्रियों द्वारा अनदेखी करना भारी पड़ रहा है। अब राजनीति गलियारों में यह बात आम हो चली है कि अनदेखी के चलते ईसीबी की स्थिति बदहाल हो चुकी है। तकनीकी विभाग को बार बार शिकायतों व खबरों के जरिये आगाह करने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं होने के कारण अब ईसीबी की आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी है। जिसकी कीमत यहां काम करने वाले कार्मिकों को बेरोजगारी से चुकानी पड़ रही है। मंजर यह है कि विभाग ईसीबी में ओर छंटनी की योजना को मूर्तरूप देने में लगा है।

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