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भ्रष्टाचार के आरोप में बर्खास्त बीकानेर भंडार का कर्मचारी बहाल

खुलासा न्यूज,बीकानेर। अधिनियम-नियम-उपनियम को खूंटी पर टांगकर काम करने की अपनी चिरपरिचित शैली के अनुरूप बीकानेर के खंडीय अतिरिक्त रजिस्ट्रार मंगतराम खन्ना उर्फ डॉ. एम.आर. खन्ना ने बुधवार को सहकारी भंडार के एक बर्खास्त कर्मचारी को बहाल कर दिया। खन्ना ने बतौर जोनल एडिशनल रजिस्ट्रार, बीकानेर सहकारी उपभोक्ता होलसेल भंडार के उपनियमों को ताक में रखकर, और अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर फार्मासिस्ट ओमप्रकाश वर्मा को बहाल कर दिया। भंडार ने वर्मा को भ्रष्टाचार के आरोप में दिनांक 23.09.19 को सेवा से पृथक कर दिया था। वर्मा ने इस मामले में सुनवाई कमेटी द्वारा सुने जाने हेतु उच्च न्यायालय में शरण ली। हाईकोर्ट ने 4 दिसम्बर 2020 को भंडार प्रशासन को निर्देश दिया कि वो वर्मा की अपील को पुन: सुने और तीन माह में फैसला करे।
वर्मा की अपील को सुनने के लिए भंडार द्वारा पांच सदस्यीय स्क्रीनिंग कमेटी का गठन किया गया। इसमें अध्यक्ष, महाप्रबंधक, अतिरिक्त रजिस्ट्रार या उनका प्रतिनिधि, उप रजिस्ट्रार बीकानेर तथा कॉनफैड का एक प्रतिनिधि को शामिल किया गया। बीते माह तक स्क्रीनिंग कमेटी की दो बैठक हुई, लेकिन कोरम के अभाव में बैठक की कार्यवाही सम्पादित नहीं हुई।
इस बीच बुधवार को उच्च न्यायालय द्वारा वर्मा की अपील को सुनकर निस्तारित करने की समय सीमा के अंतिम दिन, खंडीय अतिरिक्त रजिस्ट्रार मंगतराम खन्ना ने भंडार हित का हवाला देते हुए ओमप्रकाश वर्मा को आगामी आदेश तक पैंडिंग इन्क्वायरी बहाल करने का आदेश जारी कर दिया। यह आदेश मिलते ही फार्मासिस्ट वर्मा ने पुन: भंडार में ज्वाइन कर लिया।
सहकारी कानून का राज गया, मंगतराम का राज आया
बीकानेर सहकारी उपभोक्ता होलसेल भंडार के संचालक नगेन्द्र पाल सिंह शेखावत ने इस मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि अतिरिक्त रजिस्ट्रार मंगत राम ने अपने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर एवं उच्च न्यायालय की आड़ लेकर, भ्रष्टाचार के आरोप में सेवा से बर्खास्त दवाविक्रेता को बहाल कर दिया। यह सहकारी अधिनियम, सहकारी नियम और भंडार के उप नियमों की खुली अवेहलना है। शेखावत ने कहा कि बीकानेर खंड में अब सहकारिता कानून का नहीं, बल्कि सहकारिता में मंगतराम का राज आ गया है। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय में विचाराधीन प्रकरणों में भी सीधे आदेश करने का अधिकार किसी भी स्तर के अधिकारी को नहीं है। खन्ना द्वारा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की भ्रष्टाचार मुक्तप्रशासन की नीति की खुले आम धज्जियां उड़ाई गयी हैं।

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