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रात गहराते ही घोड़ी पासों पर लगते है लाखों रुपये के दाव

खुलासा न्यूज,बीकानेर। धर्मनगरी के नाम पहचाने जाने वाला बीकानेर में अब अपराध ने अपनी जड़े जमा लगा है। जिले में आये दिन लूट,हत्या,चोरी,मारपीट की घटनाएं हो रही है। इनको रोक पाना पुलिस के लिए चुनौती बन गया है। इस अपराध में शामिल अपराधियों को ऊंची रसूखदार का शह है। वे पर्दे के पीछे होकर काम कर रहे है। ऐसे में पुलिस भी छुटभैये अपराधियों पर ही हाथ डालती है। मिली जानकारी के अनुसार शहर कई ऐसे इलाके है जहां रात गहराते ही घोड़ी पासों पर लाखों रुपये का खेल एक घंटे में पूरा हो जाता है। शहर के नयाशहर,कोतवाली,गंगाशहर,जेएनवीसी आदि थाना क्षेत्र में नामी बुकी व सटोरियों ने पनाह ले रखी है। नयाशहर शहर के कोठारी अस्पताल के पास,झंवरों का चौक,मोहता का चौक,नत्थसूर गेट,हरिजन बस्ती,डागा चौक,सुथारों की गुवाड़,संसोलाव तालाब, बारह गुवाड़ आदि कई ऐसे इलाके है जहां रात होते ही जुआरियों की महफिल जम जाती है,जो देर रात तक चलती है। इन इलाकों में जुआरियों के सुरक्षित अड्डे है। जिसमें पूरे तामझाम के साथ यह लोग बैठते है जहां पुलिस भी नही पहुंच पाती है।
जुआरियों के ठिकाने कितने सुरक्षित
शहर में जुआरी उसी जगह बैठते है जिस घर के दो दरवाजे अलग अलग दिशाओं में खुलते हो। जिससे अगर एक दरवाजे पर पुलिस आ भी जावें तो जुआरियों की टोली दूसरे दरवाजे से मौके से भाग जाते है। जब खुलासा टीम ने शहर के अलग अलग स्थानों पर लोंगो से जानकारी चाही तो लोगों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि शहर में बड़े जुआरियों के अड्डों पर आसपास जिलों व गांवों से भी जुआरी खेलने आते है।
इन क्षेत्रों में भरमार है जुआरियों की
शहर के दो तीन ऐसे इलाके है जहां जुआरियों की भरमार है जिसमें झंवरों का चौक, बाहर गुवाड़, नत्थुसर व जस्सूसर गेट आदि शहर के ऐसे इलाके है जहां जुआरियों के बड़े ठिकाने है। मजे की बात पुलिस गश्त करती है लेकिन पुलिस को जुआरियों के अड्डों का पता नहीं है। वहीं गंगाशहर के पाबू चौक, गांधी चौक, चौपड़ा बाड़ी, सुजानदेसर, नोखा रोड़, घड़सीसर रोड़ आदि ऐसे इलाके है जहां बड़े स्तर पर जु आरियों के अड्डे है। ऐसे ही जेएनवीसी थाना क्षेत्र में कई सुने इलाकों में जुआरियों ने अपने अड्डे बना रखे है।
पुलिस तक पहुंचती है बंधी
खुलासा टीम ने जब एक जुआरी से बात करनी चाही तो उसने बताया कि हम थाने तक बंधी पहुंचाते है। जिस के कारण पुलिस हमारे अड्डों पर छापा नहीं मारती है। अगर थानाधिकारी पर ऊपर से कोई बड़ा दबाब हो तो हमें पहले से ही सूचना भेज दी जाती है। जिस के कारण हम दो दिन इलाका छोड़ देते है। रसूखदारों का पूरा हाथ हम पर होता है जिससे पुलिस हमारे ऊपर हाथ नहीं डालती है और ना ही हमारे अड्डों पर छापा मारती है।
हजारों परिवार हो चुके है बर्बांद
शहर के युवा वर्ग नशे के साथ घोड़ी पासा में लिप्त है जो रात होते ही किसी से भी रुपये उधार लेकर इस खेल में बैठ जाते है। कभी कभी तो उधार ज्यादा हो जाता है और सूद मांगने वाले परेशान करते है। ऐसे युवाओं को आखिर में मौत को गले लगाना पड़ता है। इस तरह के कई उदाहरण भी सामने आ चुके है।
10 रुपये से 20 रुपये सैकड़ा ब्याज पर मिलते है रुपये
जुआरी व उनके आसपास बैठने वाले लोग पहले तो युवा वर्ग को अपने पास बैठाते है और बाद में उनको इसकी लत लग जाने पर ब्याज पर रुपये उधार देते है। वो भी 10 से 20 रुपये सैकड़ा ब्याज। इतने मोटे ब्याज की रकम तो दूर की बात ब्याज भी समय पर नहीं जाता है। कभी कभी तो हजार रुपये के लाखों रुपये हो जाते है।

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