
फिर गर्माया संविदाकर्मियों को पक्का करने का मुद्दा, अब पूनिया और कल्ला आमने सामने






राजस्थान में सरकारी विभागों में कार्यरत करीब 4 लाख संविदाकर्मियों को पक्का (नियमित) करने के मुद्दे ने एक बार फिर राजनीतिक रंग ले लिया है।
इस मुद्दे पर दो दशक में भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही मिसाल पेश करने लायक कुछ नहीं किया है, लेकिन हर चुनाव में दोनों ही पार्टियां इसे लेकर बढ़-चढ़ कर घोषणाएं करती हैं।
जब भी चुनाव नजदीक आते हैं, तो यह मुद्दा इतना गर्म हो जाता है कि कांग्रेस और भाजपा दोनों ही अपने-अपने घोषणा पत्रों में उन्हें नियमित करने का वादा करते हैं, लेकिन पिछले 20 सालों में 10 प्रतिशत से अधिक संविदाकर्मी नियमित नहीं हो सके हैं, जबकि प्रदेश भर में अब भी चार लाख युवा संविदा (ठेके) पर कार्यरत हैं। इस बीच ढाई लाख से अधिक युवा ओवरएज (नौकरी की तय आयु सीमा से बाहर) हो गए या दूसरे काम-धंधों में चले गए।
रविवार को भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया ने संविदाकर्मियों को पक्का करने के संबंध में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को एक पत्र लिखा। इस पत्र में पूनिया ने गहलोत को कांग्रेस का चुनाव घोषणा पत्र (2018) याद दिलाया और मांग की कि संविदाकर्मियों को नियमित किया जाए। इसके बाद सरकार की ओर से शिक्षा मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने पूनिया व भाजपा को करारा जवाब दिया। डॉ. कल्ला की अध्यक्षता में राज्य सरकार ने एक केबिनेट सब-कमेटी संविदाकर्मियों को नियमित करने के संदर्भ में गठित की हुई है। कल्ला और पूनिया के आमने-सामने होने पर यह माना जा रहा है कि अगले साल होने वाले चुनावों में भी संविदाकर्मियों को नियमित करने के नाम पर दोनों पार्टियों के बीच राजनीतिक फुटबॉल खेली जाएगी।


