काबुल एयरपोर्ट पर महिलाओं ने बच्चों को कंटीले तारों के पार फेंका, ब्रिटिश सैनिकों की आंखें भी नम हुईं

काबुल एयरपोर्ट पर महिलाओं ने बच्चों को कंटीले तारों के पार फेंका, ब्रिटिश सैनिकों की आंखें भी नम हुईं

अफगानिस्तान में तालिबान के कहर से बचने के लिए महिलाएं अपने बच्चों की जान भी दांव पर लगा रही हैं। ये महिलाएं परिवार के साथ किसी तरह देश से बाहर निकल जाना चाहती हैं। हजारों लोग काबुल एयरपोर्ट पर जुटे तो वहां कंटीले तालों की फेंसिंग कर दी गई, ताकि लोग एयरक्राफ्ट्स के नजदीक न पहुंच पाएं। ऐसे में कुछ महिलाओं ने अपने छोटे बच्चों को फेंसिंग के दूसरी तरफ उछाल दिया। वहां पहरा दे रहे कुछ ब्रिटिश सैनिकों ने इन बच्चों को कैच कर लिया। यह दर्दनाक मंजर देखकर ब्रिटिश सैनिकों की आंखों में भी पानी आ गया।

क्या है इस कवायद का मकसद
जब एयरपोर्ट पर नुकीले तारों की बाड़ लगाई गई तो उसका मकसद था- अनचाहे लोगों या भीड़ को विमान तक जाने से रोकना। फेंसिंग के एक तरफ भीड़ और दूसरी तरफ अमेरिकी और ब्रिटिश सैनिक। कुछ महिलाएं यहां पहुंचीं। इनकी गोद में मासूम थे। महिलाओं ने सोचा कि अगर बच्चों को फेंसिंग के दूसरी तरफ पहुंचा दिया जाए तो उन्हें सैनिक एयरक्राफ्ट में मजबूरन बिठा देंगे। यही वजह है कि उन्होंने बच्चों को उठाया और फेंसिंग की तरफ उछाल दिया। सैनिकों ने इन्हें थाम लिया। इस दौरान सैनिकों की आंखें भी नम हो गईं।

रोने लगे ब्रिटिश सैनिक
एक ब्रिटिश अफसर ने कहा- ये लोग आजाद रहने के लिए बच्चों को ढाल बना रहे हैं। ये तालिबान के कहर से बचना चाहते हैं। कुछ बच्चे तो कंटीले तारों में फंस गए और दर्द से कराहने लगे। मुझे अपने सैनिकों की भी फिक्र है। वे हालात देखकर रोने लगे। उनकी काउंसलिंग की जा रही है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, बेहतर जिंदगी पाने के लिए किसी दूसरे देश भाग जाना चाहते हैं। इसके लिए वे काबुल एयरपोर्ट पहुंच रहे हैं। रास्ते में फायरिंग हो रही है, लेकिन वे खतरा मोल लेने में नहीं घबराते। रास्ते में तालिबान उनसे मारपीट कर रहे हैं।

यह मिशन मानवता के लिए
‘स्काय न्यूज’ से बातचीत में एक ब्रिटिश सैनिक ने कहा- तालिबान हमसे एक मीटर ही दूर हैं। यह एयरपोर्ट नहीं, जंग का मैदान है। हमारे लिए यह मानवता का मिशन है। सैनिक भी बेबस हैं। एक तरफ छलछलाई आंखों से गुहार लगाते लोग और दूसरे तरफ उन्हें रोकने का फर्ज। करें तो क्या करें। तालिबान दावा करते हैं कि सब ठीक है, लेकिन दुनिया सब देख रही है। यह सही मायनों में मानवीय त्रासदी है।

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