
वैक्सीन क्यों जरूरी, एक्सरे की 2 तस्वीरों से समझें






कोरोना वैक्सीन लगवानी कितनी जरूरी है, इसे अमेरिका के एक डॉक्टर ने एक्सरे की 2 तस्वीरों से समझाया है। वैक्सीन न लेने वाले कोरोना संक्रमित और वैक्सीन लेने वाले मरीज के संक्रमित हुए फेफड़े इसके असर को बताते हैं।
कोरोना होने पर वैक्सीन के असर को एक्सरे की दो फोटो से समझते हैं..
कोरोना संक्रमित होने पर वैक्सीन न लगवाने वालों के फेफड़े की एक्सरे रिपोर्ट में सफेद धब्बे दिखते हैं। यह दिखाता है कि फेफड़ों में वायरस लोड काफी है और इनमें से ऑक्सीजन गुजरने की जगह नहीं है। यही स्थिति सांस लेने में परेशानी की वजह बनती है।
दूसरी तरफ, वैक्सीन लगवाने वाले लोगों में संक्रमण का असर कम दिख रहा है। एक्सरे में ज्यादा काला हिस्सा नजर आने का मतलब यह है कि इनके फेफड़ों में ऑक्सीजन जाने की जगह भी है और संक्रमण का असर भी बेहद कम है। फेफड़ों में कम संक्रमण होने पर रिकवरी टाइम भी कम होता है और पोस्ट कोविड कॉम्प्लीकेशन भी कम होते हैं।
निमोनिया होने पर सांस लेने में दिक्कत
तस्वीर जारी करने वाले SSM हेल्थ सेंट लुइस यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ. घस्सन कामेल मार्च 2020 से कोरोना पीड़ितों का इलाज कर रहे हैं। कामेल कहते हैं कि कोरोनावायरस निमोनिया का खतरा बढ़ाता है। ऐसा होने पर फेफड़ों में पानी भर जाता है और इनमें सूजन आ जाती है।
काले फेफड़े यानी ऑक्सीजन की कमी नहीं
डॉ. कामेल कहते हैं, एक्सरे में दिखने वाले काले फेफड़े बताते हैं कि मरीज काफी मात्रा में ऑक्सीजन ले सकता है। वहीं, एक्सरे की दूसरी रिपोर्ट में दिखने वाले सफेद फेफड़े बताते हैं कि इनमें पानी भरा है और वायरल लोड अधिक है।
वैक्सीन न लेने पर वेंटिलेटर की जरूरत हो सकती है
आसान भाषा में समझें तो फेफड़ों में छोटे-छोटे छिद्र होते हैं। कोरोना मरीजों के फेफड़े में पानी भरा होने के कारण इन छिद्रों में ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती। नतीजा, खांसी और सांस में लेने की तकलीफ जैसे लक्षण दिखने लगते हैं। वैक्सीन न लेने मरीजों के फेफड़े का एक्सरे बताता है कि इन पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। इन्हें अधिक ऑक्सीजन या वेंटिलेटर की जरूरत पड़ सकती है। वहीं, टीका लगवाने वालों में इनकी जरूरत कम ही पड़ती है।


