वाह रे शिक्षा विभाग: लगभग एक साल पहले जारी किये नोटिस,भेजे 5 फरवरी को

वाह रे शिक्षा विभाग: लगभग एक साल पहले जारी किये नोटिस,भेजे 5 फरवरी को

 

37 करोड़ गबन मामला
श्रीगंगानगर। शिक्षा विभाग के श्रीगंगानगर सीबीईओ कार्यालय में 37.38 करोड़ रुपए के गबन के बाद से काफी सख्ती बरती जा रही है। लेकिन इस बीच एक बार फिर से विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है। विभाग ने इस प्रकरण से संबंधित 7 अधिकारी व कार्मिकों को 20 फरवरी 2020 में नोटिस जारी कर दिया था।
लेकिन इन अधिकारियों व कार्मिकों को नोटिस डिलीवर ही नहीं करवाए गए। शुक्रवार को इन सभी 7 अधिकारियों व कार्मिकों को नोटिस भेजे गए।
सूत्रों के अनुसार तत्कालीन बीईईओ बलविंद्र सिंह, बीईईओ सुरेश कौशिक, सीबीईओ हंसराज, बीईईओ सुरेंद्र महर्षि, बीईईओ जगदीश बेनीवाल, एबीईईओ रणवीर सिहाग व विजय जैन को नोटिस भेजे गए हैं। उनसे जवाब मांगा गया है।आपको बता दें कि आरोपी ओमप्रकाश शर्मा वर्तमान में मल्टीपर्पज स्कूल में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहा है। जानकारी के अनुसार इस मामले की जांच अतिरिक्त निदेशक रचना भाटिया कर रही हैं।
इस मामले में संयुक्त निदेशक देवलता को भी दी जा चुकी है 16 सीसीए की चार्जशीट
इस मामले में शासन उपसचिव शंकरलाल रहेजा ने संयुक्त निदेशक बीकानेर देवलता चांदवानी को सेवानिवृत्त होने से एक दिन पहले 16 सीसीए की चार्जशीट जारी कर दी थी। शिक्षा निदेशक माध्यमिक सौरभ स्वामी ने मामले की जांच रिपोर्ट तैयार कर चार्जशीट के लिए सचिवालय भेजी थी।
इसके बाद शासन उपसचिव ने देवलता को चार्जशीट दे दी। शिक्षा निदेशक ने बताया कि 37.38 करोड़ रुपए के घोटाले की जांच पूरी होने के बाद भी तत्कालीन संयुक्त निदेशक देवलता इस केस में दखलअंदाजी करती थी। शिक्षा विभाग में 37.38 करोड़ रुपए के महाघोटाले का आरोपी शारीरिक शिक्षक ओमप्रकाश शर्मा निलंबित है। मामले में आरोपी की गिरफ्तारी हुई थी। निलंबन के दौरान आरोपी को राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय मल्टीपर्पज श्रीगंगानगर में उपस्थिति दर्ज करवाने के आदेश हैं।
वह अभी यहीं अपनी नियमित रूप से हाजिरी लगा रहा है। आरोपी की नियमित रूप से हाजिरी लगवाने की जिम्मेदारी स्कूल प्रधानाचार्य की है। यदि हाजिरी लगाने में कोई अनियमितता पाई जाती है तो प्रधानाचार्य पर कार्रवाई होगी। सूत्रों के अनुसार आरोपी पीटीआई ओमप्रकाश शर्मा के मामले की जांच लगातार जारी है। इस मामले में कई शिक्षा अधिकारियों के मिले होने की आशंका है। डायरेक्टर सौरभ स्वामी ने भी ओमप्रकाश मामले को गंभीरता से लिया हुआ है।
उनका कहना है कि इस मामले से जुड़े किसी भी आरोपी को नहीं छोड़ा जाएगा। सभी के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करवाई जाएगी ताकि भविष्य में कोई भी शिक्षक इस तरह का कदम न उठा सकें।

जांच लंबित है
विभाग ने 37.38 करोड़ के गबन मामले से संबंधित सभी अधिकारियों व कार्मिकों को नोटिस दिए थे। इन सभी अधिकारियों व कार्मिकों के खिलाफ जांच लंबित है। इस मामले में किसी भी तरह की कोई भी लापरवाही नहीं बरती जा रही है।
हंसराज यादव, कार्यवाहक सीडीईओ

जल्द मामले की अधूरी जांचों को पूरा करवाया जाएगा
मैंने अभी कार्यभार संभाला है। इस प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए जल्द से जल्द मामले की अधूरी जांचों को पूरा करवाया जाएगा। ताकि विभाग में इस तरह का गबन दुबारा न हो पाए।
वीरेंद्र सिंह नेगी, एसीबीईओ सेकेंड
​​जानिए पूरे प्रकरण को
2015 में घोटाला, 2019 में पकड़ में आया…अभी भी चल रही जांच
सीबीईओ कार्यालय में लिपिक के रूप प्रतिनियुक्त रहे ओमप्रकाश शर्मा ने एक ही बिल पर पांच-पांच कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति दिखाकर एक ही दिन में लाखों का घोटाला कर लिया था। आरोपी पीटीआई ने ये सभी बिल खुद, पत्नी, साले, भाई व कुछ परिचितों के नाम से बनाए हुए थे। वर्ष 2015 में यह घोटाला शुरू हुआ था। विभागीय पड़ताल के अनुसार चार साल में 2019 तक ओमप्रकाश ने 24 लोगों के नाम से 515 बैंक खाते खुलवाकर उसमें 37 करोड़ 38 लाख रुपए ट्रांसफर कर किए थे।

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