
3 नवंबर को आरबीआई की स्पेशल मीटिंग महंगाई कंट्रोल नहीं कर पाने से जुड़ी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगा






नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने लगातार नौ महीनों तक महंगाई को 2 प्रतिशज-6 प्रतिशत के दायरे में नहीं रख पाने के बाद 3 नवंबर को एक एडिशनल मॉनेटरी पॉलिसी मीटिंग बुलाई है। इस मीटिंग में क्रक्चढ्ढ महंगाई को कंट्रोल नहीं कर पाने के कारणों से जुड़ी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगा। छह साल पहले मुद्रास्फीति-लक्षित मौद्रिक नीति व्यवस्था अपनाने के बाद पहली बार ये मीटिंग होगी।
ये बैठक आरबीआई अधिनियम 1934 की धारा 4र्5ंहृ के प्रावधानों के तहत की जा रही है। सेंट्रल बैंक ने मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी के रेगुलेशन 7 और मॉनेटरी पॉलिसी प्रोसेस रेगुलेशन 2016 का भी जिक्र किया है। रूक्कष्ट स्ट्रक्चर के तहत सरकार ने क्रक्चढ्ढ को यह जिम्मेदारी सौंपी थी कि महंगाई 2त्न-6त्न के दायरे में बनी रहे। हालांकि, इस साल जनवरी से ही महंगाई लगातार 6त्न से ऊपर बनी हुई है।
इस सेक्शन में कहा गया है यदि क्रक्चढ्ढ इंफ्लेशन टारगेट को पूरा करने में विफल रहता है, तो उसे विफलता के कारणों को एक्सप्लेन करते हुए सरकार को एक रिपोर्ट पेश करनी होगी। रिपोर्ट में सेंट्रल बैंक को इंफ्लेशन टारगेट को हासिल करने में विफलता के कारण, बैंक अब क्या कदम उठाएगा और इन कदमों को उठाकर महंगाई को कंट्रोल करने में कितना समय लगेगा ये बताना होगा।
एमपीएस का रेगुलेशन 7 क्या है?
एमपीएस आरबीआई के रेगुलेशन 7 और मॉनेटरी पॉलिसी प्रोसेस रेगुलेशन्स 2016 में कहा गया है कि सरकार को भेजी जाने वाली रिपोर्ट पर चर्चा और ड्राफ्ट तैयार करने के लिए नॉर्मल पॉलिसी प्रोसेस के हिस्से के रूप में एक अलग बैठक शेड्यूल करने की आवश्यकता है।
आरबीआई को रिपोर्ट कब तक भेजनी है?
नियमों के मुताबिक जिस तारीख को आरबीआई इंफ्लेशन टारगेट को पूरा करने में विफल रहा, उस तारीख से एक महीने के भीतर सरकार को रिपोर्ट भेजी जानी आवश्यक है। मौजूदा मामले में सितंबर महीने के महंगाई के आंकड़े 12 अक्टूबर को जारी किए गए थे। इसलिए क्रक्चढ्ढ के पास सरकार को रिपोर्ट भेजने के लिए 12 नवंबर तक का समय है।


