राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा। इस यात्राः कही राजस्थान से पायलट की छुट्टी तो नही

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा। इस यात्राः कही राजस्थान से पायलट की छुट्टी तो नही

जयपुर।कांग्रेस ने उदयपुर में नव संकल्प शिविर में कई अहम फैसले लिए थे। उसमें एक था- राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा। इस यात्रा की रूपरेखा तय करने की जिम्मेदारी जिस समिति को दी है, उसमें सचिन पायलट भी सदस्य रहेंगे।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मंगलवार को तीन नई कमेटियों की घोषणा की है। टास्क फोर्स 2024, पॉलिटिकल अफेयर्स ग्रुप और सेंट्रल प्लानिंग ग्रुप। सेंट्रल प्लानिंग ग्रुप की जिम्मेदारी राहुल गांधी की गांधी जयंती (2 अक्टूबर) से प्रस्तावित भारत जोड़ो यात्रा की रूपरेखा तैयार करना और उसका समन्वय करना है। सचिन के अलावा राजस्थान के दिग्गज नेता भंवर जितेंद्र सिंह को भी एक अहम कमेटी में रखा गया है।

कांग्रेस की राष्ट्रीय स्तर की समिति में पायलट को मिली जगह से दो तरह की बातें हो रही हैं। पहली, उदयपुर में सफल नव संकल्प शिविर का आयोजन कर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनी मन की कर ली है। वह चाहते थे कि अगले साल होने वाले राजस्थान के विधानसभा चुनावों से ठीक पहले पायलट को केंद्र की राजनीति में भेजना चाहिए। कुछ हद तक यह सफल भी रहा। इससे गहलोत खेमा यह प्रचारित कर रहा है कि सचिन को राजस्थान से बाहर का रास्ता दिखाने की तैयारी कर ली है। गहलोत समर्थकों ने तो नारा भी दे दिया है- ‘राजस्थान छोड़ो, भारत जोड़ो’।

दूसरी ओर, सचिन पायलट को मिली जिम्मेदारी से उनके खेमे में भी खुशी की लहर है। बताया जा रहा है कि इससे उनके नेता को राहुल गांधी के करीब रहने को मिलेगा। अगर यात्रा सफल रहती है तो अगले साल के चुनावों में पायलट को मुख्यमंत्री प्रत्याशी के तौर पर भी प्रोजेक्ट किया जा सकता है। पायलट समर्थकों को लग रहा है कि 2018 में पार्टी की जीत में महती भूमिका निभाने वाले उनके नेता ही अगले मुख्यमंत्री बनेंगे। वैसे भी गहलोत और पायलट के बीच कुर्सी की होड़ किसी से छिपी नहीं है। बात राजस्थान की राजनीति की…

राजस्थान के दो नेताओं को केंद्र में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलना खास है। दोनों ही बड़े नेता हैं। अपने-अपने इलाके में अपनी धाक और दखल रहते हैं। भंवर जितेंद्र सिंह पहले भी राष्ट्रीय राजनीति में ही सक्रिय रहे हैं, परंतु सचिन राजस्थान में ही सक्रिय रहे हैं। बीच-बीच में अटकलें भी लगती रही हैं कि सचिन मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं और पार्टी से नाराज चल रहे हैं। बीच में तो उनके भाजपा में जाने की खबरें भी हर अखबार में सुर्खियां थीं।

कुछ राजनीतिक जानकार कहते हैं कि अगर सचिन केंद्र में व्यस्त होते हैं तो 2023 के विधानसभा चुनावों की तैयारियों की जिम्मेदारी पूरी तरह गहलोत के कंधे पर होगी। इससे उनके सामने कोई चुनौती नहीं होगी और वे आसानी से खुद को मुख्यमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट कर सकेंगे। अब इस मसले पर अनौपचारिक मुहर भी लग चुकी है

दूसरी ओर पायलट के प्रति सहानुभूति रखने वाले राजनीतक पंडितों का कहना है कि जब उन्हें पार्टी को देशभर में मजबूत करने की जिम्मेदारी मिली है तो यह समझना गलती होगी कि उन्हें राजस्थान से बाहर भेजा जा रहा है। आने वाले समय में सचिन और बड़ी ताकत के साथ राजस्थान की राजनीति में लौटेंगे।

यह तीन ग्रुप बनाए हैं कांग्रेस ने
पॉलिटिकल अफेयर्स ग्रुप: राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, गुलाम नबी आजाद, अंबिका सोनी, दिग्विजय सिंह, आनंद शर्मा, केसी वेणुगोपाल, भंवर जितेंद्र सिंह।
टास्क फोर्स-2024: टास्क फोर्स में पी. चिदंबरम, मुकुल वासनिक, जयराम रमेश, केसी वेणुगोपाल, अजय माकन, प्रियंका गांधी, रणदीप सिंह सुरजेवाला, सुनील कानुगोलू शामिल किए गए हैं।
भारत जागो यात्रा के लिए सेंट्रल प्लानिंग ग्रुप: दिग्विजय सिंह, शशि थरूर, सचिन पायलट, रणजीत सिंह बिट्टू, केजे जॉर्ज, जोथि मणी, प्रद्यूत, बारदोलोई, जीतू पटवारी और सलीम अहमद।
 

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