
यातायात पुलिस नहीं मानती संभागीय आयुक्त का आदेश, आज भी नो एंट्री में प्रवेश कर रहे भारी वाहन







बीकानेर । शहर में लगता है यातायात व्यवस्था नहीं सुधरेगी यातायात निरीक्षक से लेकर संभागीय आयुक्त ने सभी हथकंड अपना लिये लेकिन बीकानेर शहर की यातायात व्यवस्था में कोई बड़ा सुधारा नहीं हुआ है। अधिकारियों द्वारा बड़े-बड़े दावे किये जाते है यातायात को लेकर देखने में आता है धरातल पर किसी तरह का काम नहीं होता है। शहर की व्यवस्था को लेकर संभागीय आयुक्त नीरज के पवन ने बीते दिनों बीकानेर की बिगड़ती ट्रेफिक व्यवस्था को सुधारने के लिये जिला प्रशासन के अधिकारियों की क्लास ली और व्यवस्था में सुधार के लिये आमूलचूल बदलाव के निर्देश दिये। लेकिन ट्रेफिक व्यवस्था के हालात अभी बदहाल है। इस मामले की पड़ताल में सामने आया है कि संंभागीय आयुक्त की सख्ती के बावजूद प्रशासन पुलिस के जिम्मेदार नाकामी की चादर ओढ़े बैठे है। यही वजह है कि बिगड़ती ट्रैफिक व्यवस्था के लिए जिम्मेदार न तो अतिक्रमण रुक पा रहा है और न ही ट्रैफिक नियमों को तोडकऱ शहरी क्षेत्र में धड़ल्ले से दौड़ रहे वाहनों की आवाजाही। चिंता की बात यह है कि अव्यवस्थित ट्रेफिक की वजह से एक तरफ जहां लोगों को कई बार अनावश्यक रूप से जाम का सामना करना पड़ रहा है तो वहीं गंभीर दुर्घटनाओं की आशंका भी बढ़ गई है। आए दिन ओवर लोड और भारी वाहनों की वजह से लोग दुर्घटना का शिकार होकर अस्पताल पहुंच रहे हैं। गौर करने वाली बात है कि यह समस्या केवल जिला मुख्यालय तक ही सीमित नहीं है बल्कि अंचल के लोग भी इसी समस्या का सामना कर रहे हैं। लेकिन जिम्मेदार विभाग अपनी नैतिक जिम्मेदारी ईमानदारी से नहीं निभा रहे हैं। इसी वजह से समस्या और ज्यादा विकराल होती जा रही है। जिससे न सिर्फ बीकानेर शहर का प्रत्येक व्यक्ति प्रभावित है बल्कि बाहर से आने वाले लोग भी इस समस्या का सामना कर रहे हैं। जिससे बीकानेर जिले की छवि खराब हो रही है।
समय के साथ जनसंख्या बढ़ी और शहर का विस्तार हुआ। लेकिन इस हिसाब से आने जाने के रास्तों की चौड़ाई नहीं बढ़ी। इसके उलट प्रमुख मार्गों से लेकर आम रास्तों पर कच्चे व पक्के अतिक्रमण हो गए। साथ ही गुमठियों व हाथ ठेेलों ने मार्ग को और ज्यादा संकुचित बना दिया। वर्तमान में यह हालात हैं कि यदि एक ऑटो प्रमुख बाजार के बीच से निकलना चाहे तो जाम की स्थिति निर्मित हो जाती है। यही नहीं रिहायशी इलाकों की गलियों की चौड़ाई इतनी भी नहीं बची कि ऑटो आसानी से निकल सके।
प्रशासनिक दृष्टि से अलग-अलग विभागों को कार्यक्षेत्र के हिसाब से अधिकार प्राप्त हैं। यानी कि नगरीय क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने की जिम्मेदारी नगर निगम और नगर विकास न्यास की है। जो अपना काम ठीक ढंग से नहीं निभा रही है। इसी वजह से यातायात पुलिस को ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। आए दिन यातायात पुलिस सडक़ पर नो पार्किंग जोन में खड़े वाहनों पर चालानी कार्रवाई कर रहे हैं। जिसका खामियाजा आम जनता को ही भुगतना पड़ रहा है। जबकि इसके लिए जिम्मेदार वे संस्थान हैं जिन्होंने ग्राहकों के लिए वाहन पार्किंग की व्यवस्था नहीं की है। कुल मिलाकर पुलिस-प्रशासन और संबंधित विभागों में आपसी सामंजस्य के अभाव में बिगड़ी व्यवस्था पटरी पर नहीं आ पा रही है।


