भाजपा की इस अभेद्य सीट का कांग्रेस को नहीं मिल रहा तोड़,वहीं अपने ही इस बार बन रहे राजकुमारी के लिए चुनौती - Khulasa Online भाजपा की इस अभेद्य सीट का कांग्रेस को नहीं मिल रहा तोड़,वहीं अपने ही इस बार बन रहे राजकुमारी के लिए चुनौती - Khulasa Online

भाजपा की इस अभेद्य सीट का कांग्रेस को नहीं मिल रहा तोड़,वहीं अपने ही इस बार बन रहे राजकुमारी के लिए चुनौती

खुलासा न्यूज़ बीकानेर।  पत्रकार कुशाल सिंह मेड़तिया की कलम से विधानसभा चुनाव के रण में प्रदेश की दोनों प्रमुख पार्टियों के साथ अन्य दल भी अपने सारे प्रयोग के साथ तैयारियां कर रहे हैं। चुनाव से पहले मंथन के दौर में कांग्रेस 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई बीकानेर पूर्व सीट को नहीं जीत पाई। ऐसे में कांग्रेस की नजर इस सीट पर है कि पिछले तीन चुनाव में बीकानेर पूर्व भाजपा के लिए अभेद्य किला बन गई है। जिसका तोड़ कांग्रेस को अब तक नहीं मिला। लेकिन इस बार बदली परिस्थिति में लगातार तीन बार से विधायक सिद्धि कुमारी को कांग्रेस से नहीं बल्कि अपने ही दल भाजपा से चुनौती मिल रही है।

अपने दे रहे चुनौती आम राजनेता की तरह विधायक सिद्धिकुमारी टिकट के जतन और लाबिंग के लिए कभी प्रयास करती नजर नहीं आई। ऐसा भी कभी नहीं हुआ कि सिद्धि कुमारी को टिकट के लिए कोई चुनौती मिली हो। लेकिन पहली बार ऐसा देखने में आ रहा है कि लगातार तीन जीत हासिल करने वाली सिद्धि के सामने भी भाजपा में टिकट मांगने वालों की एक लंबी फेहरिस्त है। राजनीतिक जानकारों की माने तो टिकट मांगने वाले दावेदार इसलिए ज्यादा सक्रिय है कि शायद उन्हें लग रहा है कि इस बार सिद्धि कुमारी की टिकट कटेगी। परिवर्तन यात्रा के दौरान भी बीकानेर पश्चिम की बजाय बीकानेर पूर्व में दावेदारों ने ज्यादा शक्ति प्रदर्शन करते हुए खुद के टिकट की दावेदारी की। हालांकि खुद सिद्धिकुमारी की ओर से इस तरह का कोई आयोजन नहीं किया गया बल्कि वह अन्य दावेदारों के किए गए स्वागत में भी केंद्रीय मंत्री शेखावत और अर्जुन मेघवाल के साथ नजर आई।

क्या गुल खिलाएगा कमल हालांकि जिस तरह से भाजपा में दावेदारों की फौज देखने को मिल रही है उसे यह तो साफ है कि भले ही सिद्धि कुमारी तीन बार चुनाव जीत चुकी हो लेकिन पार्टी के पैरामीटर के अनुसार तीन नाम का पैनल जरूर बनेगा और ऐसे में दूसरे दो दावेदारों का नाम भी प्रमुखता से टिकट के लिए चल सकता है। हां, यह देखने बात है कि कांग्रेस से मुकाबले के लिए दम भर रहे यह दावेदार सिद्धिकुमारी के लिए कितनी चुनौती बन पाएंगे। कुल मिलाकर बीकानेर पूर्व सीट पर इस बार कमल क्या गुल खिलाएगा इसको लेकर सबकी नजऱें टिकी हुई है।

चमत्कार के भरोसे है कांग्रेस चुनाव से पहले चल रही कवायद के बीच कांग्रेस की ओर से उन सीटों पर फोकस करने की बात कही जा रही है जो पिछले दो से तीन चुनाव में कांग्रेस नहीं जीत पाई लेकिन बात बीकानेर पूर्व की है तो कांग्रेस की ऐसी कोई रणनीति यहां ग्राउंड जीरो पर नजर नहीं आती। हालांकि कांग्रेस में दो दर्जन दावेदारों ने टिकट के लिए अपनी दावेदारी जताई है लेकिन संगठन के स्तर पर चुनाव जीतने के लिए किए जाने वाले जतन नहीं नजर आ रहे। कुल मिलाकर कांग्रेस यहां किसी चमत्कार के भरोसे ही नजर आती है।

वसुंधरा राजे की राजनीतिक खोज है सिद्धि लगातार तीन बार जीत दर्ज कर सिद्धि कुमारी ने यह साबित कर दिया है कि भाजपा के लिए यह सीट अब सुरक्षित है और कांग्रेस के लिए यहां पर पाना मुश्किल काम है। बीकानेर पूर्व सीट का परिसीमन से पहले अधिकांश भाग कोलायत में लगता था। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की राजनीतिक खोज सिद्धिकुमारी भाजपा के लिए ट्रंप कार्ड साबित हुई क्योंकि बीकानेर राजपरिवार के प्रति यहां की जनता का अगाध विश्वास और स्नेह है। भले ही विधानसभा में उनकी कम सक्रियता या फिर फील्ड में उनके ज्यादा नहीं नजर आने को उनके विरोधी मुद्दा आते हो बाबजूद उसके लगातार तीन बार सिद्धिकुमारी की जीत आने के लिए काफी है कि जनता में उनके प्रति अभी भी भरोसा है।

कांग्रेस करती रही प्रयोग,सिद्धि की हो गई हैट्रिक पिछले तीन चुनाव में हर बार कांग्रेस अलग-अलग जाति के प्रत्याशियों को मैदान में उतारते हुए नजर आई वहीं एक बार कांग्रेस के कार्यकर्ता को मौका मिला तो वही दो बार आयातित प्रत्याशियों के सहारे कांग्रेस ने मैदान में ताल ठोकी लेकिन कांग्रेस कि यह सारे प्रयोग फेल हो गए और सिद्धिकुमारी ने जीत की हैट्रिक कर ली।

बीकानेर पूर्व विधानसभा से ये दावेदार है जिन्होंने अपनी दावेदारी संगठन में जताई महावी रांका, डॉ. सुरेन्द्र सिंह शेखााव, दिलीप पुरी, मोहन सुराणा
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