राइट टू एजुकेशन योजना का पालना नहीं करने वाले स्कूलों की मान्यता रद्द करने की तैयारी, बीकानेर में कई भी स्कूल्स इस योजना का नहीं कर रहे पालना - Khulasa Online राइट टू एजुकेशन योजना का पालना नहीं करने वाले स्कूलों की मान्यता रद्द करने की तैयारी, बीकानेर में कई भी स्कूल्स इस योजना का नहीं कर रहे पालना - Khulasa Online

राइट टू एजुकेशन योजना का पालना नहीं करने वाले स्कूलों की मान्यता रद्द करने की तैयारी, बीकानेर में कई भी स्कूल्स इस योजना का नहीं कर रहे पालना

खुलास न्यूज नेटवर्क। राइट टू एजुकेशन योजना के तहत जरूरतमंद बच्चों को एडमिशन नहीं देने पर अब शिक्षा विभाग प्राइवेट स्कूलों की मान्यता रद्द करने की तैयारी कर रहा है। बुधवार को जयपुर के जिला शिक्षा अधिकारी राजेंद्र कुमार हंस ने 24 प्राइवेट स्कूलों की मान्यता रद्द करने का प्रस्ताव शिक्षा विभाग के निदेशक कानाराम को भेजा है। इस पर अंतिम स्वीकृति मिलने के साथ ही जयपुर के 24 बड़े प्राइवेट स्कूलों की मान्यता रद्द हो सकती है।

जयपुर के जिला शिक्षा अधिकारी राजेंद्र कुमार हंस ने बताया- सरकारी नियमों के तहत प्राइवेट स्कूल राइट टू एजुकेशन (आरटीई) के तहत एडमिशन नहीं दे रहे। में 25त्न सीटों पर जरूरतमंद बच्चों को आरटीई में एडमिशन दिया जाना प्रस्तावित था। जयपुर के 24 प्राइवेट स्कूल इन नियमों की अवहेलना कर रहे थे। इसको लेकर शिक्षा विभाग कई बार इन्हें रिमाइंडर लेटर भी भेज चुका था। बावजूद इसके इनमें से किसी भी स्कूल ने शिक्षा विभाग के आदेश को नहीं माना। न ही वार्निंग लेटर का जवाब दिया। इसके बाद अब शिक्षा विभाग द्वारा इन पर कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी गई है। फिलहाल हमने जयपुर जिले के 24 प्राइवेट स्कूलों की लिस्ट तैयार कर शिक्षा विभाग के निदेशक को भेजी है। जहां से स्वीकृति मिलते ही इन सभी स्कूलों की मान्यता रद्द हो जाएगी।

 

बीकानेर में भी कई स्कूल्स बरत रहे लापरवाही

बता दें कि राइट टू एजुकेशन योजना के तहत जरूरतमंद बच्चों को एडिमशन देने के मामले में बीकानेर में भी कई निजी स्कूल्स प्रशासन द्वारा लापरवाही बरती जा रही है। जो कि न केवल इस योजना के नियमों की पालना कर रहे बल्कि विभाग के आदेशों की खुल्लेआम अवहेलना कर रहे है। सूत्रों के अनुसार शहर सहित ग्रामीण इलाकों में कई ऐसे स्कूल्स है, जो नियम के राइट टू एज्यूकेशन योजना के जरूरतमंद बच्चों का एडमिशन नहीं कर रहे हैं, अगर कोई अभिभाव स्कूल में जाता है कि उनको यह जवाब दिया जा रहा है कि उनके स्कूल में सीटे फुल हो गई। कुछ स्कूल्स ऐेसे भी है जो बच्चों को किताबे या स्टेशनरी के लिए एक विशेष दुकान से खरीदने के लिए पाबंद करते हैं, जबकि विभाग की ओर से ऐसा कोई नियम नहीं है। अधिकांश स्कूल्स प्रशासन विभाग के नियमों की डिटेल बोर्ड पर चस्पा नहीं कर रहे है, जबकि ऐसा करना अनिवार्य है। सूत्रों ने बताया शिक्षा विभाग के अधिकारी ईमानदारी के साथ अगर एक-एक स्कूल जाकर जांच पड़ताल करे तो कई स्कूलों में गड़बड़ी सामने आ सकती है।

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