वाह रे पीबीएम:काम अधूरा,फिर भी उन्हीं फर्मों को दिये जा रहे है ठेके - Khulasa Online वाह रे पीबीएम:काम अधूरा,फिर भी उन्हीं फर्मों को दिये जा रहे है ठेके - Khulasa Online

वाह रे पीबीएम:काम अधूरा,फिर भी उन्हीं फर्मों को दिये जा रहे है ठेके

बीकानेर। हमें अपनों ने लूटा गैरों में कहा दम था..कस्ती वहां जा डूबी जहां पानी का बहाव कम था। कुछ ये ही हालात संभाग की सबसे बड़ी पीबीएम अस्पताल के है। जहां सरकार व प्रशासन के लाख जतन के बाद भी अस्पताल का प्रशासन ठेकेदारों के दबाव में काम कर रहा है। हालात ये है कि अस्पताल में सरकारी की योजनाओं की बैंड बजी हुई है। चाहे ऑनलाईन पर्ची चढ़ाने का काम हो या सरकारी योजनाओं का रोगियों को लाभ की बात या फिर सफाई की व्यवस्था। ठेके की फर्मों के काम अधूरे होने के बाद भी अस्पताल प्रशासन उन्हीं फर्मों को काम दे रहा है और वह भी बिना नया टेण्डर निकालें। जानकारी मिली है कि सरकार के डंडे के चलते अस्पताल प्रशासन कई काम तो अपने चेहतों से उपरा उपरी करवाकर उसका भुगतान करवा रहा है। इससे राजस्व को भी दोहरा नुकसान हो रहा है।
दस लाख से ज्यादा बकाया है ऑनलाईन पर्चियां्र
सरकार की दमदार नि:शुल्क दवा योजना के हाल भी बुरे है। सूत्र बताते है कि पीबीएम के 25 दवा केन्द्रों पर वितरित की जाने वाली दवाओं की ऑनलाईन पर्चियां भी नियमित रूप से इन्द्राज नहीं हो रही है। जिससे ये आंकड़ा बढ़कर दस लाख से ज्यादा हो गया है। जानकारी के अनुसार प्रतिदिन एक दवा केन्द्र पर 200 से 300 पर्चियों आती है। जिसके हिसाब से 700 से आठ सौ पर्चियों के हिसाब से साल भर में करीब 29 लाख पर्चियां ऑनलाईन होनी चाहिए। किन्तु 4 जुलाई 2018 से 1 अगस्त 2019 तक 17 लाख 61 हजार 779 पर्चियां ही ऑनलाईन हो पाई है। जो पिछले एक साल के रिकार्ड के मुताबिक 11 लाख कम है। ऐसे में पर्चियों के ऑनलाईन न होने से पीबीएम में पर्याप्त दवाईयां भी नहीं मिल रही है।
अस्पताल को घाटा,दवाईओं का टोटा
हालात ये है कि नि:शुल्क दवा योजना की पर्चियां ऑन लाईन नहीं होने से अस्पताल में दवाईयों पर्याप्त नहीं मिल पा रही है। सरकार के पास दवाईयों का रिक ार्ड नहीं पहुंचने ओर किस दवा की कमी है। इसकी जानकारी नहीं होने से अस्पताल में पूरी दवाओं की सप्लाई नहीं हो पा रही। जिससे आमजन को इस योजना का लाभ नहीं मिल रहा। मजबूरन गरीब रोगियों को बाहर से दवाओं को खरीदना पड़ रहा है।
ठेकेदारों द्वारा कमरों पर कब्जे
मंजर ये है कि सरकार की योजनाओं के नाम पर ठेकेदारों ने अस्पताल परिसर में कमरों पर कब्जे कर लिये है। यहां ठेकेदार के कार्मिक बैठे या तो हथाई क रते है या फिर कागजी खानापूर्ति कर सरकार की ऑखों में धूल झोंक रहे है। यहीं नहीं कई ठेकेदारों ने अस्पताल परिसर में कमरों में शाही व्यवस्थाएं कर रखी है। जहां एसी,कूलर व पलंग जैसी आरामदायक व्यवस्थाएं कर रखी है। जहां बिजली भी सरकार की खपाई जा रही है। जानकारी के अनुसार ठेकेदारों द्वारा कब्जे किए गये इन कमरों में सरकार राजस्व का जमकर दुर्पयोग किया जा रहा है। जबकि ऑपरेशन प्रिंस प्रथम व द्वितीय की रिपोर्ट में सरकार को इनके दस्तावेज भी उपलब्ध करवाई गई है। फिर भी सरकार की चुप्पी समझ से परे है।
ठेके में चल रहे सब ठेके
मिली जानकारी के अनुसार कई ठेकेदारों के तो कार्य आदेश की अवधि भी खत्म हो गई है। उसके बाद भी वे अस्पताल प्रशासन से सांठगांठ कर अपने ठेकों को आगामी दो तीन माह तक बढ़ाकर अपने काले कारनामों पर लीपापोती करने में लगे है। इतना ही नहीं सफाई,ऑनलाईन पर्ची,कैन्टीन,साईकिल स्टेण्ड जैसे कार्य के तो ठेके में सब ठेके चल रहे है। अस्पताल परिसर में एक कैन्टीन की जगह तीन कैन्टीन चल रही है।
तीन मंत्री,फि र भी भ्रष्टाचार चरम पर
मजे की बात तो यह है कि जिले से मंत्री है। जो सदन में शहर की आवाज बुलंद करते है। उसके बाद भी पीबीएम में भ्रष्टाचार चरम पर है। इसमें से एक केन्द्रीय मंत्री व दो राज्य सरकार में मंत्री पद पर आसीन है। परन्तु दुर्भाग्य की बात ये है कि तीन ही मंत्री ऑपरेशन प्रिंस की रिपोर्ट पर मौनी बाबा बने हुए है। स्थिति तो तब विकट हो जाती है जब इन मंत्रियों के नाम पर यहां के ठेकेदार अस्पताल प्रशासन को धमका कर बिना निविदा निकाले ही ठेके लेने रहे है। इस बारे में शहर के सजग नागरिकों ने अनेक बार इन मंत्रियों को अवगत भी करवाया किन्तु शहर के प्रतिष्ठित इन मंत्रियों को संभाग के सबसे बड़े अस्पताल की इन अव्यवस्थाओं से कोई सरोकार नहीं लगता।

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